नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक

  • 22 Aug 2020
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये

आसियान

मेन्स के लिये

आसियान-भारत नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने आसियान- इंडिया नेटवर्क ऑफ थिंक टैंक (ASEAN-India Network of Think Tanks-AINTT) की 6वीं गोलमेज बैठक में भाग लिया। आसियान का संबंध दक्षिण पूर्व के एशियाई देशों के संघ से है। AINTT की स्थापना भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के मध्य सहयोग के भविष्यगामी निर्देशों पर नीतिगत इनपुट प्रदान करने के लिये की गई थी।

प्रमुख बिंदु

  • भारत द्वारा उठाए गए मुद्दे:

    • इस बैठक के दौरान भारत ने उन समस्याओं पर प्रकाश डाला जो COVID-19 महामारी से निपटने की सशक्त प्रतिक्रिया में बाधा उत्पन्न कर रही थी। इसमें कहा गया कि कई देशों और पुराने ढंग के बहुपक्षीय संगठनों के व्यक्तिगत व्यवहार ने वैश्विक महामारी के लिये एक सामूहिक प्रतिक्रिया को बाधित किया।
      • भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों चीन और अमेरिका के बीच मतभेदों के कारण महामारी पर एक बयान जारी कर सकने की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की विफलता का भी जिक्र किया।
      • भारत के इस संदर्भ में अमेरिका द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर यह आरोप लगाते हुए कि उसने चीन के इशारे पर COVID-19 को एक महामारी घोषित करने में देरी की, अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) से बाहर हो गया, का मुद्दा भी शामिल था।
    • भारत के अनुसार, COVID-19 महामारी के बाद दुनिया के समक्ष उत्पन्न होने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में केवल अर्थव्यवस्था की बिगड़ती स्थिति ही शामिल नहीं है, बल्कि इसमें समाज को पहुँची क्षति और शासन के समक्ष उत्पन्न चुनौतियाँ भी शामिल हैं।
      • इस महामारी ने वैश्विक मुद्दों और विश्व व्यवस्था के भविष्य की दिशाओं पर एक बहस भी छेड़ दी है।
  • भारत द्वारा दिये गए सुझाव:

    • भारत ने आसियान देशों का आह्वान करते हुए कहा कि उन्हें महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के समाधान खोजने के लिये व्यापार, राजनीति और सुरक्षा की वर्तमान गतिविधियों से परे जाकर सोचने की ज़रूरत है।
    • भारत ने COVID महामारी से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के लिये अधिक से अधिक सहयोग का आग्रह और सामूहिक समाधानों का आह्वान किया।
    • इस सहयोग के भाग के रूप में भारत ने वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं के संदर्भ में उपयोग की जाने वाली सामरिक स्वायत्तता के विचार को अपनाने का आग्रह किया।
    • इसका तात्पर्य उत्पादन सुविधाओं को चीन से स्थानांतरित करने या चीनी सामान पर कम से कम निर्भरता बनाए रखने जैसे पक्षों से है, क्योंकि इस महामारी के दौरान संपूर्ण विश्व ने यह अनुभव किया है कि वह चीनी सामान पर बहुत अधिक निर्भर है जो कि उनकी आत्म निर्भरता के कमज़ोर पक्ष को उजागर करता है।
    • सामरिक स्वायत्तता को किसी राज्य की उस क्षमता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसके आधार पर वह अपने राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाता है और बगैर किसी बाधा के अधिमानित विदेश नीति को अपनाता है।

स्रोत: द हिंदू

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow