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न्यायपालिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता

  • 08 Mar 2022
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

ई-कोर्ट परियोजना, मशीन लर्निंग (ML) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG), SUPACE

मेन्स के लिये:

न्यायपालिका में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कानून मंत्री ने कहा है कि ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण को लागू करने के लिये न्याय वितरण प्रणाली की दक्षता बढ़ाने हेतु मशीन लर्निंग (ML) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) की नई अत्याधुनिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता है।

  • न्यायिक क्षेत्र में एआई के उपयोग का पता लगाने के लिये भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कमेटी का गठन किया है।
  • समिति ने न्यायिक दस्तावेज़ों के अनुवाद, कानूनी अनुसंधान सहायता और प्रक्रिया स्वचालन में एआई प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग की पहचान की है।

ई-कोर्ट परियोजना:

  • परिचय:
    • ई-कोर्ट परियोजना की संकल्पना सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) के माध्यम से भारतीय न्यायपालिका में बदलाव लाने की दृष्टि से की गई थी।
    • ई-कोर्ट परियोजना, एक पैन-इंडिया परियोजना (Pan-India Project) है, जिसकी निगरानी और वित्तपोषण का कार्य न्याय विभाग, कानून एवं न्याय मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा किया जाता है।

परियोजना का उद्देश्य:

  • ई-कोर्ट प्रोजेक्ट में प्रस्तावित प्रावधानों के तहत प्रभावी और समयबद्ध तरीके से नागरिक केंद्रित सेवाएँ प्रदान करना।
  • न्यायालयों में निर्णय समर्थन प्रणाली को विकसित और स्थापित करना।
  • न्यायिक प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और सूचना प्राप्ति को अधिक सुगम बनाने के लिये इससे जुड़ी प्रणाली को स्वचालित बनाना।
  • न्याय वितरण प्रणाली को सुलभ, लागत प्रभावी, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाने के लिये न्यायिक प्रक्रिया में आवश्यक (गुणवत्तापरक और मात्रात्मक) सुधार करना।

न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी की आवश्यकता:

  • लंबित मामले: हाल ही में राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) से पता चलता है कि ज़िला और तालुका स्तरों पर 3,89,41,148 मामले लंबित हैं तथा 58,43,113 मामले अभी भी उच्च न्यायालयों में अनसुलझे हैं।
    • इस तरह के लंबित मामले एक स्पिन-ऑफ इफेक्ट को प्रदर्शित करते हैं जो न्यायपालिका की दक्षता को बाधित करने के साथ ही न्याय तक लोगों की पहुँच को कम करते हैं।

न्यायपालिका में प्रौद्योगिकी के उपयोग के उदाहरण:

  • आभासी सुनवाई (Virtual Hearing): कोविड-19 महामारी के दौरान ई-फाइलिंग और आभासी सुनवाई के लिये प्रौद्योगिकी के उपयोग में प्रयोगात्मक वृद्धि देखी गई है।
  • SUVAS (सुप्रीम कोर्ट कानूनी अनुवाद सॉफ्टवेयर): यह एक AI सिस्टम है जो निर्णयों के क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद में सहायता कर सकता है।
    • न्याय तक पहुँच बढ़ाने के लिये यह एक और ऐतिहासिक प्रयास है।
  • SUPACE (सुप्रीम कोर्ट पोर्टल फॉर असिस्टेंस इन कोर्ट एफिशिएंसी): इसे हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लॉन्च किया गया था।
    • यह न्यायिक प्रक्रियाओं को समझने हेतु डिज़ाइन किया गया है जिसमें स्वचालन की आवश्यकता होती है, फिर यह न्यायिक प्रक्रियाओं को समाहित करके दक्षता में सुधार तथा लंबितता को कम करने में न्यायालय की सहायता करता है, इसमें एआई के माध्यम से स्वचालित होने की क्षमता होती है।
  • इसी तरह की अन्य वैश्विक पहल:
    • यूएस: COMPAS (वैकल्पिक प्रतिबंधों के लिये सुधारात्मक अपराधी प्रबंधन रूपरेखा)।
    • यूके: हार्ट (HART) (हार्म एसेसमेंट रिस्क टूल)।
    • चीन/मेक्सिको/रूस: कानूनी सलाह तथा पेंशन को मंज़ूरी देना।
    • एस्टोनिया (Estonia): छोटे मामलो पर फैसला सुनाने के लिये रोबोट जज।
    • मलेशिया: सज़ा के फैसले का समर्थन।
    • ऑस्ट्रिया: परिष्कृत दस्तावेज़ प्रबंधन।
    • अर्जेंटीना/कोलंबिया: प्रोमेटिया (मिनटों में तत्कालिक मामलों की पहचान करना)।
    • सिंगापुर: अदालत की सुनवाई का रियल-टाइम में अनुलेखन करना।

न्यायपालिका में AI और ML के संभावित उपयोग:

  • न्यायपालिका की दक्षता बढ़ाना: इसमें न्यायाधीशों को तेज़ी से और अधिक प्रभावी ढंग से सुनवाई में मदद मिलने की संभावना है जिससे मामलों की लंबितता में कमी आएगी।
    • इससे कानूनी पेशेवरों को बेहतर कानूनी तर्क, कानूनी वार्ता और कानूनों की व्याख्या करने हेतु अधिक समय मिलेगा।
  • ‘बेहतर विश्लेषण में सहायक: एप्लीकेशन को ‘न्यायिक उदाहरणों’ के एक विशाल सेट के माध्यम से प्रशिक्षित किये जाने के बाद यह ‘एप्लीकेशन’ उन प्रमुख बिंदुओं को उजागर करने में सक्षम है, जो विशिष्ट अनुबंधों में प्रासंगिक हैं।
    • यह पिछले हज़ारों मामलों का विश्लेषण करने और 'जज एनालिटिक्स' बनाने में मदद करेगा।

‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ और ‘मशीन लर्निंग’:

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस:
    • यह ऐसे कार्यों को पूरा करने वाली मशीनों की कार्रवाई का वर्णन करता है जिनके लिये ऐतिहासिक रूप से मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है।
    • इसमें मशीन लर्निंग, पैटर्न रिकग्निशन, बिग डेटा, न्यूरल नेटवर्क, सेल्फ एल्गोरिदम आदि जैसी तकनीकें शामिल हैं।
    • AI में जटिल चीज़ें शामिल होती हैं, जैसे- मशीन में किसी विशेष डेटा को फीड करना और इसके द्वारा विभिन्न स्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देना।
    • यह मूल रूप से सेल्फ-लर्निंग पैटर्न बनाने से संबंधित है, जहाँ मशीन कभी जवाब न देने वाले सवालों के जवाब भी दे सकती है।
    • AI तकनीक डेटा का विश्लेषण करने में मदद करती है और इस प्रकार कारों, मोबाइल उपकरणों, मौसम की भविष्यवाणी, वीडियो एवं छवि विश्लेषण में बिजली प्रबंधन जैसी प्रणालियों की दक्षता में सुधार कर सकती है।
    • उदाहरण (उपयोग): सेल्फ ड्राइविंग कार।
  • मशीन लर्निंग:
    • मशीन लर्निंग (ML) एक प्रकार का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है, जो सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन को परिणामों की भविष्यवाणी करने में अधिक सटीक बनने की अनुमति देता है।
    • मशीन लर्निंग एल्गोरिदम नए आउटपुट मूल्यों की भविष्यवाणी करने के लिये ऐतिहासिक डेटा का उपयोग इनपुट के रूप में करते हैं।

आगे की राह

  • AI के दुष्परिणाम: जैसे-जैसे AI तकनीक बढ़ती है, डेटा सुरक्षा, गोपनीयता, मानवाधिकार और नैतिकता के बारे में चिंताएँ नई चुनौतियाँ पेश करेंगी और इन प्रौद्योगिकियों के डेवलपर्स द्वारा बड़े आत्म-नियमन की आवश्यकता होगी।
    • इसके लिये विधायिका द्वारा कानून, नियमों, विनियमों एवं न्यायपालिका द्वारा न्यायिक समीक्षा और संवैधानिक मानकों के माध्यम से बाह्य विनियमन की भी आवश्यकता होगी।

विगत वर्षों के प्रश्न

विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से कौन-का कार्य प्रभावी ढंग से कर सकती है? (2020)

1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना
2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना
3. रोग निदान
4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण
5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b) 

स्रोत: द हिंदू

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