शासन व्यवस्था
ART नियमन: इलाज की लागत और गर्भधारण के अवसरों पर प्रभाव
- 28 Jun 2023
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प्रिलिम्स के लिये:सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी, मौलिक अधिकार, इन विट्रो निषेचन मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, महिलाओं से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के तहत सीमा निर्धारण का निर्णय लेना चिकित्सकों तथा दंपतियों के लिये चिंता का विषय बन गया है।
- वैसे तो ये नियम दाताओं और रोगियों के लिये चिकित्सा देखभाल और सुरक्षा बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं, परंतु ये ART उपचार की इच्छा रखने वाले दंपतियों के लिये इलाज की लागत में वृद्धि करते हैं और साथ ही गर्भधारण के अवसरों को भी सीमित करते हैं।
सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी:
- ART से तात्पर्य उस विधि से है जिसमें गर्भावस्था के लिये किसी महिला के प्रजनन तंत्र में युग्मकों (Gametes) को स्थानांतरित किया जाता है।
- इसमें विभिन्न तकनीकें शामिल हैं, जैसे- इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF), इंट्रासाइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI), गैमेट डोनेशन, इंट्रायूटरिन इनसेमिनेशन, प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक टेस्टिंग, सरोगेसी।
- ART का उपयोग अक्सर उनके लिये किया जाता है जो बाँझपन, आनुवंशिक विकार तथा अन्य प्रजनन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं अथवा जिनकी प्रजनन प्रणाली विधिवत कार्य नहीं कर रही होती है।
- आमतौर पर ART प्रक्रियाओं में महिला के गर्भाशय में युग्मकों को स्थानांतरित करने से पहले प्रयोगशाला में शुक्राणुओं, अंडाणुओं अथवा भ्रूणों को प्रबंधित किया जाता है।
ART नियमन अधिनियम, 2021 की मुख्य विशेषताएँ:
- पंजीकरण: प्रत्येक ART क्लिनिक तथा बैंक को एक केंद्रीय डेटाबेस बनाए रखते हुए भारत के बैंकों और क्लिनिकों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री के अंतर्गत पंजीकृत होना चाहिये।
- पंजीकरण पाँच वर्षों के लिये वैध है और इसे अगले पाँच वर्षों के लिये नवीनीकृत भी किया जा सकता है।
- अधिनियम के उल्लंघन के परिणामस्वरूप पंजीकरण रद्द या निलंबित किया जा सकता है।
- शुक्राणुओं और अंडाणुओं को दान करने की शर्तें: पंजीकृत ART बैंक, 21-55 वर्ष की आयु के पुरुषों के शुक्राणुओं की स्क्रीनिंग, संग्रह और भंडारण कर सकते हैं। इसके साथ ही 23-35 वर्ष की आयु की महिलाएँ अंडाणुओं का भंडारण कर सकती हैं।
- दाता की सीमाएँ: एक अंडाणु (Oocyte) दाता को विवाहित महिला होना चाहिये, इसके साथ ही उनका अपना कम-से-कम एक जीवित बच्चा (न्यूनतम तीन वर्ष की आयु) होना चाहिये।
- एक अंडाणु दाता अपने जीवनकाल में केवल एक बार दान कर सकती है, इसके साथ ही अधिकतम सात अंडाणु पुनः प्राप्त किये जा सकते हैं।
- युग्मक आपूर्ति: एक ART बैंक एकल दाता से एक से अधिक कमीशनिंग दंपति (सेवाएँ चाहने वाले दंपति) को युग्मक की आपूर्ति नहीं कर सकता है।
- माता-पिता के अधिकार: ART के माध्यम से पैदा हुए बच्चों को दंपति का जैविक शिशु माना जाता है और दाता के पास माता-पिता का कोई अधिकार नहीं होता है।
- सहमति: ART प्रक्रियाओं के लिये दंपति और दाता दोनों की लिखित सूचित सहमति आवश्यक है।
- ART प्रक्रियाओं का नियमन: सरोगेसी अधिनियम, 2021 के तहत गठित राष्ट्रीय और राज्य बोर्ड ART सेवाओं को विनियमित करेंगे।
- बीमा कवरेज: ART सेवाएँ चाहने वाले दंपतियों को अंडाणु दाता के पक्ष में बीमा कवरेज प्रदान करना होगा, जिसमें दाता की किसी भी हानि, क्षति या मृत्यु को कवर किया जाएगा।
- लिंग चयन को रोकना: भेदभावपूर्ण प्रथाओं को रोकने के लिये क्लीनिकों को किसी विशिष्ट लिंग के शिशु का चुनाव करने की अनुमति नहीं है।
- अपराध: अपराधों में ART के माध्यम से पैदा हुए शिशु का परित्याग या शोषण, भ्रूण की बिक्री या व्यापार और दंपति या दाता का शोषण शामिल है।
- सज़ा में 8-12 वर्ष का कारावास और 10-20 लाख रुपए का ज़ुर्माना शामिल है।
- क्लीनिकों और बैंकों को लिंग-चयनात्मक ART का विज्ञापन या पेशकश करने से प्रतिबंधित किया गया है।
- इस प्रकार के अपराधों में 5-10 वर्ष का कारावास तथा 10-25 लाख रुपए का ज़ुर्माना शामिल है।
ART नियमन, 2021 के संबंध में चुनौतियाँ और चिंताएँ:
- अत्यधिक लागत: बीमा, परीक्षण और पंजीकरण शुल्क जैसी अतिरिक्त आवश्यकताओं तथा नियमों के कारण उपचार की लागत बढ़ सकती है।
- कम उपलब्धता: दाताओं की संख्या और प्रति दाता चक्र पर सीमाओं के परिणामस्वरूप उपयुक्त दाताओं की कमी हो सकती है जिससे दंपतियों के लिये मेल खाने वाले युग्मकों को खोजना कठिन हो जाता है।
- भारत तथा विश्व भर में प्रजनन दर में गिरावट आ रही है जिससे दानदाताओं की सीमित उपलब्धता एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बन गई है।
- उपयुक्त दाताओं को खोजने में चुनौतियाँ: ये प्रतिबंध डॉक्टरों एवं दंपतियों के लिये विशिष्ट आवश्यकताओं या प्राथमिकताओं को पूरा करने वाले दाताओं को खोजने में चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकते हैं।
- संभावित दाताओं को हतोत्साहन: कानूनी एवं सामाजिक परिणामों को लेकर चिंता के साथ ही प्रोत्साहन की कमी संभावित दाताओं को ART प्रक्रिया में भाग लेने से हतोत्साहित कर सकती है।
आगे की राह
- सब्सिडी एवं साझेदारी के माध्यम से सामर्थ्य को बढ़ाना।
- जागरूकता अभियानों एवं सामुदायिक सहायता के माध्यम से दाता समूह का विस्तार किया जाना चाहिये।
- केंद्रीकृत मंच और उन्नत प्रौद्योगिकी के माध्यम से दाता मिलान को सुव्यवस्थित करना चाहिये।
- लागत प्रभावी उपचार हेतु अनुसंधान एवं नवाचार को प्रोत्साहित करना चाहिये।
- अधिकारों की रक्षा तथा नैतिक चिंताओं को दूर करने हेतु एक सहायक कानूनी ढाँचा विकसित किया जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में "प्राक्केन्द्रिक स्थानांतरण ”(Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020) (a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग उत्तर: (d) व्याख्या:
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