इज़रायल और हमास नेताओं के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट | 24 May 2024

प्रिलिम्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC), इज़रायल और हमास, 'रोम संविधि (द रोम स्टैच्यूट)', संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय, जिनेवा कन्वेंशन (1949)

मेन्स के लिये:

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के बारे में, युद्ध अपराध और संबंधित सम्मेलन

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (International Criminal Court- ICC) के अभियोजक ने फिलिस्तीन में युद्ध अपराधों के लिये हमास के नेताओं और इज़रायल के प्रधानमंत्री तथा रक्षा मंत्री के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट का अनुरोध किया है।

नोट: 

  • इज़रायल ICC का सदस्य नहीं है, इसलिये यदि गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाता है, तो भी संबंधित नेताओं पर मुकदमा चलाने का तत्काल कोई जोखिम नहीं होता है। हालाँकि, अगर गिरफ्तारी का खतरा बढ़ा तो इज़रायल का अलगाव, इज़रायली नेताओं के लिये विदेश यात्रा करना कठिन बना देगा।
  • ICC ने वर्ष 2015 में "द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन" को सदस्य के रूप में स्वीकार किया।

अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय क्या है?

  • ICC का परिचय:
    • यह विश्व का पहला स्थायी अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय है, जो 'रोम संविधि' नामक अंतर्राष्ट्रीय संधि द्वारा शासित होता है।
      • वर्ष 1998 में अधिक न्यायसंगत विश्व बनाने की दिशा में 120 राज्यों द्वारा रोम संविधि को अपनाया गया था।
    • वर्ष 2002 में 60 राज्यों द्वारा अनुसमर्थन के बाद रोम संविधि प्रभावी हुई और आधिकारिक तौर पर ICC की स्थापना हुई। चूँकि, इसका कोई पूर्वव्यापी क्षेत्राधिकार नहीं है, इसलिये ICC इस तिथि से या उसके बाद हुए अपराधों से निपटता है।
      • भारत, अमेरिका और चीन तीनों रोम संविधि के पक्षकार नहीं है।
      • 124 राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के रोम संविधि के सदस्य देश हैं, जिसमें मलेशिया शामिल होने वाला अंतिम देश है।
  • क्षेत्राधिकार एवं कार्य:
    • यह जाँच करता है और जहाँ भी आवश्यक हो, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये सबसे गंभीर चिंताजनक अपराधोंः नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता के अपराधों के आरोप में व्यक्तियों पर मुकदमा चलाता है। इसके अलावा:
      • यदि अपराध किसी राष्ट्रीय पार्टी द्वारा, किसी राज्य पार्टी के क्षेत्र में अथवा किसी ऐसे राज्य में किये जाते हैं जिसने न्यायालय के अधिकार क्षेत्र को स्वीकार कर लिया है।
      • संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अध्याय VII के तहत अपनाए गए एक प्रस्ताव के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) द्वारा अपराधों को अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के अभियोजक के पास भेजा जाता है।
    • ICC का लक्ष्य राष्ट्रीय आपराधिक न्याय प्रणालियों का समर्थन करना है, न कि उनका स्थान लेना है।
      • यह केवल उन मामलों पर मुकदमा चलाता है जब राज्य वास्तव में ऐसा करने के लिये अनिच्छुक या असमर्थ होते हैं।
      • ICC संयुक्त राष्ट्र का संगठन नहीं है लेकिन इसका संयुक्त राष्ट्र के साथ सहयोगात्मक समझौता है।
    • जब कोई स्थिति किसी न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं होती है, तो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council- UNSC) उस स्थिति को अधिकार क्षेत्र प्रदान करते हुए अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय को संदर्भित कर सकता है।
      • अमेरिका, चीन, रूस, इज़रायल और अन्य राष्ट्र युद्ध अपराध, नरसंहार तथा अन्य अपराधों से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिये न्यायालय के अधिकार को अस्वीकार करते हैं।
  • ICC और ICJ के बीच अंतर:

युद्ध अपराध (War Crime) क्या है?

  • परिचय: 
    • युद्ध अपराधों को संघर्ष के दौरान मानवीय कानूनों के गंभीर उल्लंघन के रूप में परिभाषित किया गया है; जिसमें किसी व्यक्ति को बंधक बनाना, इरादतन हत्याएँ करना, युद्धबंदियों पर अत्याचार या उनके साथ अमानवीय व्यवहार करना और बच्चों को लड़ने के लिये विवश करना, इसके कुछ अधिक स्पष्ट उदाहरण हैं।
      • यह इस विचार पर आधारित है कि किसी राज्य या उसकी सेना के कार्यों के लिये व्यक्तियों को ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • युद्ध अपराध बनाम मानवता के विरुद्ध अपराध:
    • नरसंहार रोकथाम और सुरक्षा ज़िम्मेदारी (या जेनोसाइड कन्वेंशन) पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय युद्ध अपराधों को नरसंहार व मानवता के विरुद्ध अपराधों से पृथक करता है।
      • युद्ध अपराधों को घरेलू संघर्ष या दो राज्यों के बीच युद्ध के घटित होने के रूप में परिभाषित किया गया है।
      • जबकि नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराध शांतिकाल में या निहत्थे लोगों के समूह के प्रति सेना की एकपक्षीय आक्रामकता के दौरान हो सकते हैं।
  • युद्ध अपराध पर जिनेवा कन्वेंशन (Geneva Conventions):
    • जिनेवा कन्वेंशन (1949) और उनके अन्य प्रोटोकॉल ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ हैं जिनके अंतर्गत युद्ध की बर्बरता को सीमित करने वाले सबसे महत्त्वपूर्ण नियम शामिल किये गए हैं।
    • ये नियम उन लोगों की रक्षा करते हैं जो युद्ध में भाग नहीं लेते हैं (नागरिक, चिकित्सा, सहायता कर्मी) या फिर ऐसे लोग जो अब युद्ध नहीं लड़ सकते हैं (घायल, बीमार लोग, सैनिक और युद्ध के कैदी)।
      • पहला जिनेवा कन्वेंशन युद्ध के दौरान ज़मीन पर घायल और बीमार सैनिकों की रक्षा करता है।
      • दूसरा जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के दौरान समुद्र में घायल, बीमार एवं जहाज़ पर मौज़ूद सैन्य कर्मियों की सुरक्षा प्रदान करता है।
      • तीसरा जिनेवा कन्वेंशन, युद्ध के दौरान बंदी बनाए गए लोगों पर लागू होता है।
    • चौथा जिनेवा कन्वेंशन, कब्ज़े वाले क्षेत्र सहित नागरिकों को संरक्षण प्रदान करता है।
    • भारत सभी चार जिनेवा कन्वेंशन का एक पक्षकार है।

  सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न 1. दक्षिण-पश्चिम एशिया का निम्नलिखित में से कौन-सा देश भूमध्य सागर तक फैला नहीं है? (2015)

सीरिया

जॉर्डन

लेबनान

इज़रायल

उत्तर: (b)


मेन्स:

प्रश्न 1. 'आवश्यकता से कम नकदी, अत्यधिक राजनीति ने यूनेस्को को जीवन-रक्षण की स्थिति में पहुँचा दिया है।' अमेरिका द्वारा सदस्यता परित्याग करने और सांस्कृतिक संस्था पर 'इज़रायल विरोधी पूर्वाग्रह' होने का दोषारोपण करने के प्रकाश में इस कथन की विवेचना कीजिये। (2019)

प्रश्न 2. "भारत के इज़रायल के साथ संबंधों ने हाल में एक ऐसी गहराई एवं विविधता प्राप्त कर ली है, जिसकी पुनर्वापसी नहीं की जा सकती है।" चर्चा कीजिये। (2018)