जैव विविधता और पर्यावरण
एक्वामेशन
- 05 Jan 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:एक्वामेशन, नोबेल शांति पुरस्कार, ग्रीनहाउस गैसें, डेसमंड टूटू जल दाह संस्कार, हरित दाह संस्कार, ज्वलनशील दाह संस्कार, रासायनिक दाह संस्कार। मेन्स के लिये:नोबल पुरस्कार, रंगभेद |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता एंग्लिकन आर्कबिशप और रंगभेद विरोधी प्रचारक डेसमंड टूटू का निधन हो गया। वह पर्यावरण की रक्षा तथा इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के लिये बहुत भावुक थे।
- पर्यावरण के अनुकूल उनकी इच्छा अनुसार उनके शरीर को एक्वामेशन से गुजरना पड़ा जो पारंपरिक श्मशान विधियों का एक हरित विकल्प था।
- एक्वामेशन की प्रक्रिया में ऊर्जा का उपयोग होता है जो आग से पाँच गुना कम है। यह दाह संस्कार के दौरान उत्सर्जित होने वाली ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा को भी लगभग 35% कम कर देता है
प्रमुख बिंदु
- एक्वामेशन के बारे में:
- यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मृतक के शरीर को कुछ घंटों के लिये पानी और एक मज़बूत क्षार के मिश्रण में एक दबाव वाले धातु के सिलेंडर में डुबोया जाता है और लगभग 150 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म किया जाता है।
- सरल जल प्रवाह, तापमान और क्षारीयता का संयोजन कार्बनिक पदार्थों के टूटने पर ज़ोर देता है।
- यह प्रक्रिया हड्डी के टुकड़े और एक तटस्थ तरल छोड़ती है जिसे प्रवाह कहा जाता है।
- बहिःस्राव निष्फल होता है और इसमें लवण, शर्करा, अमीनो अम्ल तथा पेप्टाइड होते हैं।
- प्रक्रिया पूरी होने के बाद कोई ऊतक और डीएनए नहीं बचता है।
- पृष्ठभूमि: इस प्रक्रिया को वर्ष 1888 में एक किसान अमोस हर्बर्ट हैनसन द्वारा विकसित और पेटेंट कराया गया था, जो जानवरों के शवों से उर्वरक बनाने का एक सरल तरीका विकसित करने की कोशिश कर रहा था।
- वर्ष 1993 में अल्बानी मेडिकल कॉलेज में पहली व्यावसायिक प्रणाली स्थापित की गई थी।
- इसके बाद यह प्रक्रिया अस्पतालों और विश्वविद्यालयों द्वारा दान किये गए मृत शरीरों के साथ उपयोग में जारी रही।
- इस प्रक्रिया को क्षारीय हाइड्रोलिसिस भी कहा जाता है और ‘क्रीमेशन एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका’ (कैना) (एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-लाभकारी संगठन) द्वारा ‘फ्लेमलेस क्रीमेशन कहा जाता है।
- इस प्रक्रिया को जल दाह संस्कार, हरित दाह संस्कार या रासायनिक दाह संस्कार के रूप में भी जाना जाता है।
डेसमंड टूटू
- डेसमंड टूटू दक्षिण अफ्रीका के सबसे प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं में से एक हैं, उन्होंने रंगभेद को समाप्त करने के प्रयासों के लिये वर्ष 1984 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था।
- उन्हें ब्लैक साउथ अफ्रीकियों के लिये आवाज़हीनों की आवाज (Voice Of The Voiceless For Black South Africans) के रूप में जाना जाता है।
- जब नेल्सन मंडेला को देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था तो उन्होंने सत्य और सुलह आयोग (Truth & Reconciliation Commission) के अध्यक्ष के रूप में टूटू को नियुक्त किया था।
- सत्य और सुलह आयोग रंगभेद की समाप्ति के बाद वर्ष 1996 में दक्षिण अफ्रीका में एक अदालत की तरह पुनर्स्थापनात्मक न्याय संस्था थी।
- अध्यक्ष के रूप में डेसमंड टूटू ने "नस्लीय विभाजन के बिना एक लोकतांत्रिक और न्यायपूर्ण समाज" के रूप में अपना उद्देश्य निर्धारित किया तथा निम्नलिखित बिंदुओं को न्यूनतम मांगों के रूप में सामने रखा:
- सभी के लिये समान नागरिक अधिकार।
- दक्षिण अफ्रीका के पासपोर्ट कानूनों का उन्मूलन।
- शिक्षा की एक सामान्य/सार्वजनिक प्रणाली।
- दक्षिण अफ्रीका से तथाकथित "होमलैंड्स" की ओर ज़बरन निर्वासन की समाप्ति।
स्रोत: द हिंदू