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भारतीय अर्थव्यवस्था

गूगल के खिलाफ अविश्वास मामले में शिकायत

  • 28 May 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये:

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

मेन्स के लिये:

ई-कॉमर्स और डिजिटल अर्थव्यवस्था से जुड़ी चुनौतियाँ 

चर्चा में क्यों?

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (The Competition Commission of India- CCI) गूगल के खिलाफ एक शिकायत की जाँच कर रहा है, जिसके तहत गूगल पर आरोप लगाया गया है कि वह देश में अपने मोबाइल भुगतान एप को गलत तरीके से बढ़ावा देने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का दुरुपयोग कर रहा है।

प्रमुख बिंदु: 

  • इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गूगल अपने एप स्टोर (App Store) में ‘गूगल पे एप’ (Google Pay App) को अधिक प्रमुखता से दिखाता है, जो इसे अन्य प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के एप की तुलना में अनुचित बढ़त/लाभ प्रदान करता है।  
  • शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गूगल के इस व्यवहार से उपभोक्ताओं को नुकसान हो रहा है।    
  • गूगल के खिलाफ यह शिकायत फरवरी 2020 में दायर की गई थी परंतु अभी तक CCI ने शिकायतकर्त्ता की पहचान गोपनीय रखी है।  
  • CCI द्वारा गूगल को इस मामले के बारे में सूचित कर दिया गया है, हालाँकि गूगल ने अभी तक इस मामले में अपना पक्ष नहीं रखा है।  

गूगल पे (Google Pay):

  • यह गूगल द्वारा निर्मित एक मोबाइल भुगतान एप (Mobile Payment App) है। 
  • यह एप उपभोक्ताओं को एक बैंक से दूसरे बैंक में धनराशि भेजने और बिल जमा करने जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • भारतीय डिजिटल पेमेंट बाज़ार में इसका मुकाबला सॉफ्टबैंक समर्थित पेटीएम (PayTM) और वाॅलमार्ट के फोनपे (PhonePe) जैसे एप से है। 

जाँच की प्रक्रिया:   

  • वर्तमान में CCI के शीर्ष अधिकारियों द्वारा गूगल पर लगे इन आरोपों की समीक्षा की जा रही है, सामान्यतः ऐसे मामलों में दूसरे पक्ष (इस मामले में गूगल) को CCI के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिये बुलाया जाएगा और उसके पश्चात आगे की कर्रवाई की जाएगी। 
  • आरोपों की समीक्षा के बाद CCI इसकी व्यापक जाँच हेतु मामले को किसी जाँच इकाई को दे सकती है अथवा इसे रद्द भी किया जा सकता है।

गूगल पर अविश्वास के मामले:  

  • भारत में गूगल के खिलाफ अविश्वास का यह तीसरा बड़ा मामला है।
  • वर्ष 2018 में CCI ने गूगल पर ‘ऑनलाइन सर्च में पक्षपात’ करने के मामले में 136 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया था।
    • हालाँकि गूगल ने इस फैसले के खिलाफ अपील की है जिसपर अभी फैसला आना बाकी है।
  • पिछले वर्ष CCI ने गूगल पर एक अन्य मामले में जाँच प्रारंभ की थी, जिसके तहत लगाए गए आरोपों के अनुसार, गूगल मोबाइल निर्माता कंपनियों द्वारा एंड्रॉइड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (Android Mobile Operating System) के वैकल्पिक संस्करणों को चुनने की क्षमता को कम करने के लिये बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति का प्रयोग करता है।    

भारतीय डिजिटल भुगतान बाज़ार: 

  • पिछले कुछ वर्षों में देश में मोबाइल और अन्य तकनीकी के विकास के साथ डिजिटल भुगतान में भारी वृद्धि देखने को मिली है।
  • वर्ष 2019 में भारत का डिजिटल भुगतान बाज़ार लगभग 64.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2023 तक भारत का डिजिटल भुगतान बाज़ार 20.2% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate-CAGR) की बढ़त के साथ लगभग 135.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • साथ ही इसी दौरान वैश्विक स्तर पर भी भारतीय डिजिटल भुगतान बाज़ार की हिस्सेदारी 1.56% (वर्ष 2019) से बढ़कर 2.02% (वर्ष 2023) तक पहुँच जाएगी।
  • सितंबर 2019 में गूगल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में गूगल के डिजिटल भुगतान एप पर सक्रिय उपभोक्ताओं की संख्या लगभग 670 लाख प्रतिमाह तक पहुँच गई थी।

चुनौतियाँ:

  • पिछले कुछ वर्षों में तकनीकी विकास और इंटरनेट के विस्तार का प्रभाव अन्य क्षेत्रों के साथ मुद्रा विनिमय और बाज़ार पर भी देखने को मिला है।
  • तकनीकी विकास जहाँ बाज़ारों को जोड़ने और व्यापार के नए अवसरों की खोज में सहायक रहा है, वहीं समय के साथ नियमों में अपेक्षित बदलाव और पारदर्शिता के अभाव में नियामकों की चुनौतियों में वृद्धि हुई है।
  • वर्तमान में डिजिटल तकनीकी क्षेत्र की कंपनियाँ विदेशी निवेश का एक बड़ा स्रोत हैं ऐसे में नियमों में सख्ती से देश में विदेशी कंपनियों द्वारा किया जाने वाला निवेश प्रभावित हो सकता है।  

आगे की राह:

  • इंटरनेट और ई-व्यापार से जुड़ी चुनौतियों को देखते हुए CCI द्वारा प्रस्तुत ‘मार्केट स्टडी ऑन ई-कॉमर्स इन इंडिया’ (Market Study on E-commerce in India) नामक रिपोर्ट में कंपनियों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ाने और स्व-नियामक प्रावधानों में वृद्धि किये जाने पर बल दिया था।   
  • पक्षपात के मामलों में वृद्धि को देखते हुए ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण’ (National Company Law Appellate Tribunal-NCLAT) द्वारा भी इस बात को दोहराया गया कि कि बड़ी कम्पनियाँ अपने हितों की रक्षा के लिये सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा के नियमों की अनदेखी नहीं कर सकती हैं।   

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग

(The Competition Commission of India- CCI):

  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है। 
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के कुल सदस्यों की संख्या 7 (एक अध्यक्ष और 6 अन्य सदस्य) निर्धारित की गई है।
  • भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के सभी सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग के कार्य: 

  • कानून और नियमों के सफल क्रियान्वयन तथा परस्पर समन्वय के माध्यम से सकारात्मक प्रतिस्पर्द्धा और नवाचार को बढ़ावा देना। 
  • उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।
  • उपभोगताओं, औद्योगिक क्षेत्र, सरकार और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के बीच समन्वय को बढ़ावा देना।
  • अपने कार्यों में व्यावसायिकता और पारदर्शिता रखना तथा न-जागरूकता को बढ़ावा देना।   

स्रोत: द हिंदू

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