पशुपालन एवं डेयरी | 30 Jun 2023
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय गोकुल मिशन, दूध, किसान क्रेडिट कार्ड, मृदारहित कृषि मेन्स के लिये:भारतीय अर्थव्यवस्था में डेयरी और पशुधन क्षेत्र की भूमिका, संबंधित मुद्दे और इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये की गई पहलें |
चर्चा में क्यों?
भारत सरकार के केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री ने हाल ही में विभाग की उपलब्धियों और पहलों पर प्रकाश डाला जिसमें ग्रामीण आय में वृद्धि करने तथा कृषि विविधीकरण का समर्थन करने में पशुपालन के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया।
- पशुपालन और डेयरी विभाग ने प्रति पशु उत्पादकता में सुधार के लिये पिछले नौ वर्षों के दौरान अनेक महत्त्वपूर्ण पहलें की हैं।
पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र में उपलब्धियाँ:
- पशुधन क्षेत्र:
- पशुधन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण उपक्षेत्र है। यह वर्ष 2014-15 से 2020-21 के दौरान (स्थिर कीमतों पर) 7.93 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है।
- कुल कृषि और संबद्ध क्षेत्र में पशुधन का योगदान सकल मूल्य वर्द्धन (GVA) (स्थिर कीमतों पर) 24.38 प्रतिशत (वर्ष 2014-15) से बढ़कर 30.87 प्रतिशत (वर्ष 2020-21) हो गया है।
- 20वीं पशुधन जनगणना के अनुसार, देश में लगभग 303.76 मिलियन गोजातीय (मवेशी, भैंस, मिथुन और याक), 74.26 मिलियन भेड़, 148.88 मिलियन बकरियाँ, 9.06 मिलियन सूअर और लगभग 851.81 मिलियन मुर्गियाँ हैं।
- डेयरी क्षेत्र:
- डेयरी का राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत योगदान है और 8 करोड़ से अधिक किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर रोज़गार प्रदान करती है।I
- भारत दूध उत्पादन में प्रथम स्थान पर है और वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 23 प्रतिशत तक का योगदान देता है।
- पिछले आठ वर्षों में दूध उत्पादन में 51.05% की वृद्धि हुई है, जो वर्ष 2021-22 में 221.06 मिलियन टन तक पहुँच गया है।
- पिछले 8 वर्षों में दूध उत्पादन में 6.1% की वार्षिक वृद्धि हुई है, जबकि वैश्विक दूध उत्पादन में 1.2% की वार्षिक वृद्धि हुई है।
- भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 444 ग्राम प्रतिदिन है, जो विश्व के औसत 394 ग्राम प्रतिदिन से अधिक है।
- अंडा एवं मांस उत्पादन:
- विश्व स्तर पर भारत अंडा उत्पादन में तीसरे और मांस उत्पादन में आठवें स्थान पर है।
- अंडे का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 78.48 बिलियन से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 129.60 बिलियन हो गया है, इसमें प्रतिवर्ष 7.4% की दर से वृद्धि हो रही है।
- मांस का उत्पादन वर्ष 2014-15 के 6.69 मिलियन टन से बढ़कर वर्ष 2021-22 में 9.29 मिलियन टन हो गया है।
पशुधन क्षेत्र के विकास के लिये प्रमुख पहल:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन:
- राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम: 5.71 करोड़ से अधिक पशुओं को शामिल किया गया, जिससे 3.74 करोड़ किसानों को लाभ हुआ।
- कृत्रिम गर्भाधान मादा नस्लों में गर्भधारण की एक नवीन विधि है।
- IVF प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना: व्यवहार्य भ्रूण का निर्माण और बछड़ों का जन्म।
- लिंग वर्गीकृत वीर्य उत्पादन: बछिया पैदा करने के लिये 90% सटीकता के साथ लिंग वर्गीकृत वीर्य का समावेशन ।
- केवल बछिया पैदा होने (90% से अधिक सटीकता के साथ) से देश में दूध उत्पादन की वृद्धि दर को दोगुना करने में मदद मिलेगी।
- डीएनए आधारित जीनोमिक चयन: विशिष्ट देशी नस्लों के चयन के लिये पशुओं की जीनोटाइपिंग।
- पशु की पहचान और पता लगाने की क्षमता: विशिष्ट पहचान लेबल (UID) टैग का उपयोग करके 53.5 करोड़ जानवरों की पहचान और पंजीकरण।
- संतति परीक्षण और वंशावली चयन: इसे विशिष्ट मवेशियों और भैंसों की नस्लों के लिये लागू किया गया।
- राष्ट्रीय डिजिटल पशुधन मिशन: पशुधन उत्पादकता बढ़ाना, बीमारियों को नियंत्रित करना और घरेलू तथा निर्यात बाज़ारों के लिये गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
- नस्ल गुणन फार्म: नस्ल गुणन फार्म की स्थापना के लिये इस योजना के तहत निजी उद्यमियों को पूंजीगत लागत (भूमि लागत को छोड़कर) पर 50% (प्रति फार्म 2 करोड़ रुपए तक) की सब्सिडी प्रदान की जाती है।
- डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को सहायता: प्रतिकूल बाज़ार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के दौरान डेयरी सहकारी समितियों की सहायता के लिये सॉफ्ट कार्यशील पूंजी ऋण प्रदान किये जाते हैं।
- डेयरी प्रसंस्करण एवं अवसंरचना विकास कोष (DIDF): इसका उपयोग दूध प्रसंस्करण, शीतलन और मूल्य संवर्द्धन बुनियादी ढाँचे का निर्माण एवं आधुनिकीकरण हेतु किया जाता है।
- राष्ट्रीय पशुधन मिशन: पोल्ट्री फार्म, भेड़ एवं बकरी नस्ल गुणन फार्म, सुअर पालन फार्म एवं चारा इकाइयों की स्थापना के लिये व्यक्तियों, FPO और अन्य को प्रत्यक्ष सब्सिडी प्रदान करना।
- पशुपालन अवसंरचना विकास निधि: डेयरी एवं मांस प्रसंस्करण, पशु चारा संयंत्र एवं नस्ल सुधार प्रौद्योगिकी के लिये निवेश को प्रोत्साहित करना।
- पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण कार्यक्रम:
- पशुओं के कान में टैग लगाना: लगभग 25.04 करोड़ पशुओं के कान में टैग लगाए गए हैं।
- खुरपका और मुँहपका रोग (FMD) टीकाकरण: दूसरे दौर में 24.18 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया है। तीसरे दौर में 4.66 करोड़ पशुओं का टीकाकरण का कार्य जारी है।
- ब्रुसेला टीकाकरण: 2.19 करोड़ पशुओं का टीकाकरण किया गया है।
- मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (MVU): 16 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 1960 MVU को हरी झंडी दिखाई गई जिनमें से 10 राज्यों में 1181 चालू स्थिति में हैं।
- पशुधन गणना एवं एकीकृत नमूना सर्वेक्षण योजना:
- एकीकृत नमूना सर्वेक्षण: यह बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी (BAHS) के वार्षिक प्रकाशन में प्रकाशित प्रमुख पशुधन उत्पादों (दूध, अंडा, मांस, ऊन) का अनुमान प्रदान करता है।
- पशुधन जनगणना: ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में घरेलू स्तर पर प्रजाति-वार और नस्ल-वार पशुधन आबादी का डेटा प्रदान करती है।
- वर्ष 2019 में 20वीं पशुधन जनगणना पूरी की गई थी। "20वीं पशुधन जनगणना-2019" रिपोर्ट के प्रकाशन में प्रजाति-वार और राज्य-वार पशुधन आबादी को शामिल किया गया था, इसके साथ पशुधन और कुक्कुट पर नस्ल-वार रिपोर्ट भी प्रकाशित की गई थी।
- डेयरी किसानों के लिये किसान क्रेडिट कार्ड (KCC): दुग्ध सहकारी समितियों और दूध उत्पादक कंपनियों में AHD किसानों के लिये 27.65 लाख से अधिक नए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) स्वीकृत किये गए
पशुपालन और डेयरी से संबंधित चुनौतियाँ:
- रोग प्रबंधन और पशु स्वास्थ्य मुद्दे।
- चारे की उपलब्धता तथा गुणवत्ता।
- आधुनिक बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी का अभाव।
- कुशल कर्मियों और पशु चिकित्सा सेवाओं का अभाव।
- वित्तीय बाधाएँ और ऋण तक सीमित पहुँच।
- विपणन और वितरण चुनौतियाँ।
आगे की राह
- पशु चिकित्सा सेवाओं और बुनियादी ढाँचे को सुदृढ़ करना, टीकाकरण कार्यक्रमों एवं नियमित स्वास्थ्य जाँच को बढ़ावा देना तथा पशुधन के रोग का शीघ्रता से पता लगाने के लिये प्रणाली को विकसित करना।
- उच्च गुणवत्ता वाली चारा फसलों की खेती को बढ़ावा देना, हाइड्रोपोनिक्स तथा साइलेज उत्पादन जैसी आधुनिक तकनीकों को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के साथ गुणवत्ता युक्त चारे की निरंतर आपूर्ति के लिये चारा प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना करना।
- हाइड्रोपोनिक्स, पोषक तत्त्वों से भरपूर जल का उपयोग करके मृदा रहित कृषि की एक विधि है, जबकि साइलेज उत्पादन में पशुधन के चारे के लिये उच्च नमी वाली चारा फसलों को किण्वित और संरक्षित करना शामिल है।
- पशुधन फार्मों, डेयरी प्रसंस्करण इकाइयों के साथ पशु चिकित्सालयों का उन्नयन तथा आधुनिकीकरण; उन्नत प्रौद्योगिकियों को अपनाने को बढ़ावा देना तथा अनुसंधान एवं विकास में निवेश करना।
- सहायक नीतियाँ बनाने के साथ उन्हें लागू करना तथा पशुपालन एवं डेयरी में निवेश के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत की निम्नलिखित फसलों पर विचार कीजिये(2012) 1- लोबिया उपर्युक्त में से कौन-सा/से दलहन, चारा और हरी खाद के रूप में प्रयोग होता है/होते हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि रोज़गार और आय प्रदान करने के लिये पशुधन पालन में बड़ी संभावना है। भारत में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त उपायों का सुझाव देने पर चर्चा कीजिये।(2015) |