विश्व इतिहास
अमेरिकी गृह युद्ध (1861-1865)
- 14 Nov 2024
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में रिपब्लिकन पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को हराकर संयुक्त राज्य अमेरिका (US) के राष्ट्रपति बने।
- अमेरिकी गृह युद्ध दासता, आर्थिक मतभेदों और राज्यों के अधिकारों पर तनाव से प्रेरित था, जिसमें रिपब्लिकन पार्टी ने गुलामी का विरोध किया था और डेमोक्रेटिक पार्टी ने शुरू में इसका समर्थन किया था।
मानव इतिहास में दास प्रथा का विकास कैसे हुआ?
- उत्पत्ति एवं प्रारंभिक विकास:
- हज़ारों वर्ष पहले कृषि बस्तियों में दास प्रथा का उदय हुआ, जब विजयी जनजातियों ने पराजित लोगों को मारने के बजाय उन्हें दास/गुलाम बना लिया।
- मेसोपोटामिया, मिस्र, ग्रीस और रोम सहित प्राचीन सभ्यताओं ने जटिल दास-आधारित आर्थिक प्रणालियाँ विकसित कीं।
- दासता के विभिन्न रूप उभरे, जिनमें ऋण बंधन, विजित लोगों की दासता, बाल श्रम और पीढ़ीगत बंधन शामिल थे।
- वैश्विक विस्तार एवं व्यापार:
- अरब दास व्यापार ने 7वीं से 19वीं शताब्दी तक हिंद महासागर मार्गों पर अपना प्रभुत्व कायम रखा, जो अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया को जोड़ता था।
- ट्रांस -सहारा दास व्यापार ने लाखों लोगों को उप-सहारा अफ्रीका से उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व तक पहुँचाया।
- ट्रांसाटलांटिक दास व्यापार (16वीं -19वीं शताब्दी) ने लगभग 12 मिलियन अफ्रीकियों को जबरन विश्व के विभिन्न भागों में भेज दिया।
- यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने महाद्वीपों में व्यवस्थित दास व्यापार नेटवर्क स्थापित किये।
- भारत में दासता:
- अर्थशास्त्र और मनुस्मृति जैसे प्रारंभिक संस्कृत ग्रंथों में दासता को मान्यता दी गई और उसे विनियमित किया गया।
- बौद्ध और जैन ग्रंथों में भी दयालु व्यवहार की वकालत करते हुए दासता का उल्लेख किया गया है।
- इस्लामी शासकों ने सैन्य गुलामी और घरेलू दासता प्रणालियों की शुरुआत की।
- मुगल काल में दक्षिण एशिया में व्यापक दास व्यापार नेटवर्क देखा गया।
- गिरमिटिया प्रणाली, वर्ष 1833 में दास प्रथा के उन्मूलन के बाद चीनी बागानों में श्रमिकों की कमी को दूर करने के लिये ब्रिटिश उपनिवेशों में शुरू की गई एक प्रकार की गिरमिटिया श्रम पद्धति थी।
- वर्ष 1843 के भारतीय दासता अधिनियम ने तकनीकी रूप से ब्रिटिश शासन के अधीन दासता को समाप्त कर दिया।
- स्वतंत्रता के बाद भारत ने संविधान के अनुच्छेद 23 और तत्पश्चात बंधुआ मज़दूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 के माध्यम से बंधुआ मज़दूरी पर प्रतिबंध लगा दिया।
अमेरिकी गृहयुद्ध का कारण और उसका स्वरूप क्या था?
- अमेरिकी गृहयुद्ध के कारण:
- गुलामी और वर्गीय विभाजन: अमेरिकी गृह युद्ध मुख्य रूप से दासता के विरुद्ध था।
- उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की अर्थव्यवस्था विविधतापूर्ण थी, जिसमें उद्योग और कृषि दोनों ही स्वतंत्र श्रम पर निर्भर थे।
- इसके विपरीत, दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी कृषि अर्थव्यवस्था, विशेषकर कपास के लिये दास श्रम पर बहुत अधिक निर्भर था।
- इस आर्थिक अंतर के कारण दासता के मुद्दे पर असहमति उत्पन्न हुई, जहाँ कई उत्तरी लोग नए पश्चिमी राज्यों में दासता पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे, वहीं दक्षिणी लोग ऐसे कानून चाहते थे जो इसकी रक्षा करें।
- जैसे-जैसे अमेरिका पश्चिम की ओर बढ़ा, दासता का मुद्दा संघर्ष का प्रमुख विषय (विशेष रूप से उत्तरी राज्यों के लिये) बन गया।
- उन्हें डर था कि नए क्षेत्रों में दास प्रथा की अनुमति देने से दक्षिण को कॉन्ग्रेस में अधिक राजनीतिक शक्ति मिल जाएगी।
- दासता के मुद्दे पर बढ़ते विभाजन ने राजनीतिक तनाव को बढ़ावा दिया, जिसके कारण अंततः दक्षिणी राज्यों को संघ से अलग होने की मांग करनी पड़ी।
- विवाद राज्यों के अधिकार बनाम संघीय प्राधिकार पर भी केंद्रित था, दक्षिणी राजनेताओं का तर्क था कि राज्यों को संघ छोड़ने का अधिकार है, जबकि अधिकांश उत्तरी लोगों का मानना था कि संविधान के तहत संघ स्थायी था।
- उत्तरी संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) की अर्थव्यवस्था विविधतापूर्ण थी, जिसमें उद्योग और कृषि दोनों ही स्वतंत्र श्रम पर निर्भर थे।
- गुलामी और वर्गीय विभाजन: अमेरिकी गृह युद्ध मुख्य रूप से दासता के विरुद्ध था।
- उत्तर बनाम दक्षिण के बीच वैचारिक विभाजन:
- उत्तर और दक्षिण के बीच वैचारिक मतभेद बहुत स्पष्ट थे, उत्तर एक विविध अर्थव्यवस्था और मुक्त श्रम का समर्थन करता था, जबकि दक्षिण की अर्थव्यवस्था दास श्रम पर आधारित थी।
- यह संघर्ष न केवल दासता के बारे में था, बल्कि लोकतंत्र की प्रकृति के बारे में भी था, क्योंकि दोनों पक्ष अपने मूल्यों और जीवन शैली के अनुसार राष्ट्र के भविष्य को आकार देने की मांग कर रहे थे।
- गृह युद्ध का क्रम:
- दासता विरोधी प्रदर्शन: वर्ष 1854 के कैंसास-नेब्रास्का अधिनियम ने कैंसास और नेब्रास्का में बसने वालों को लोकप्रिय संप्रभुता के माध्यम से अपने क्षेत्रों में दासता की वैधता पर निर्णय लेने की अनुमति दी, जिससे अमेरिका में सांप्रदायिक तनाव बढ़ गया।
- नेब्रास्का विधेयक के पारित होने के जवाब में, दासता-विरोधी कार्यकर्त्ता संगठित होकर एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने के लिये एकजुट हुए, जिसका नाम रिपब्लिकन पार्टी रखा गया।
- फरवरी, 1856 में, दासता-विरोधी कार्यकर्त्ता रिपब्लिकन पार्टी को औपचारिक रूप देने के लिये पिट्सबर्ग में एकत्र हुए, जिनमें अब्राहम लिंकन भी उपस्थित थे।
- अलगाव और युद्ध का प्रभाव: वर्ष 1860 में जब लिंकन राष्ट्रपति चुने गए तो संघर्ष चरम पर पहुँच गया। गुलामी के प्रसार के प्रति उनके विरोध के कारण दक्षिणी राज्यों का अलगाव हुआ, जिससे कॉन्फेडरेट स्टेट्स ऑफ अमेरिका का गठन हुआ।
- अप्रैल, 1861 में, कॉन्फेडरेट फाॅर्स ने साउथ कैरोलिना में फोर्ट सुमटर पर हमला किया, जिससे युद्ध की शुरुआत हुई। लिंकन ने सेना को विद्रोही राज्यों को संघ में वापस लाने का आदेश दिया।
- यद्यपि दक्षिण क्षेत्र के पास बेहतर सैन्य नेतृत्व था, लेकिन उत्तर की बड़ी आबादी, औद्योगिक क्षमता एवं बुनियादी ढाँचे के कारण अंततः अप्रैल 1865 में दक्षिण ने आत्मसमर्पण कर दिया।
- मुक्ति उद्घोषणा: वर्ष 1863 में, लिंकन ने मुक्ति उद्घोषणा जारी की, जिसमें घोषणा की गई कि संघ राज्यों में सभी दास स्वतंत्र है।
- इस कदम का अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व भी था, जिसने यूरोपीय देशों को संघ का समर्थन करने से हतोत्साहित किया।
- हालाँकि, लिंकन ने घोषणा की कि युद्ध संघ को बचाए रखने के लिये लड़ा जा रहा था, दासता को समाप्त करने के लिये नहीं।
- तेरहवाँ संशोधन और दासता का उन्मूलन: युद्ध के बाद वर्ष 1865 में अमेरिकी संविधान में 13वाँ संशोधन किया गया, जिसके तहत दासता को समाप्त किया गया।
अमेरिकी गृहयुद्ध की चुनौतियाँ और प्रभाव क्या थे?
- अमेरिका का पुनर्निर्माण और युद्धोत्तर चुनौतियाँ:
- पुनर्निर्माण और दक्षिणी प्रतिरोध: पुनर्निर्माण काल (1865-1877) में दक्षिणी राज्यों के पुनः एकीकृत होने के साथ अफ्रीकी अमेरिकियों के लिये नागरिक अधिकारों को लागू करने का प्रयास हुआ।
- 14वें और 15वें संशोधन से अफ्रीकी अमेरिकियों को नागरिकता एवं मतदान का अधिकार प्रदान किया गया, जिससे अमेरिका के सामाजिक एवं राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव आया।
- आर्थिक परिवर्तन और औद्योगीकरण: युद्ध से अमेरिका में औद्योगीकरण को गति मिली। वर्ष 1914 तक अमेरिका एक प्रमुख औद्योगिक शक्ति (युद्ध के दौरान बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता के कारण) बन गया।
- औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में अप्रवासन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, वर्ष 1870 और 1914 के बीच लगभग 20 मिलियन अप्रवासी आए।
- रेलमार्ग प्रणाली के विकास (विशेष रूप से वर्ष 1869 में ट्राँसकॉन्टिनेंटल रेलमार्ग के पूरा होने से) से व्यापार और औद्योगिक विकास को सुगम बनाने, पूर्वी अमेरिका को पश्चिम से जोड़ने एवं वस्तुओं की आवाजाही को सुलभ बनाने में मदद मिली।
- युद्धोत्तर आर्थिक विस्तार: युद्ध से रेलमार्गों के विकास को भी बढ़ावा मिला, जिससे कृषक समुदाय औद्योगिक शहरों से जुड़ सके।
- रेलवे के विस्तार के साथ ही इस्पात एक महत्त्वपूर्ण संसाधन बन गया तथा मक्का, गेहूँ के साथ मवेशियों की आवाजाही सुगम होने से 20वीं सदी तक अमेरिका को कृषि और उद्योग में विश्व में अग्रणी बनने में मदद मिली।
- पुनर्निर्माण और दक्षिणी प्रतिरोध: पुनर्निर्माण काल (1865-1877) में दक्षिणी राज्यों के पुनः एकीकृत होने के साथ अफ्रीकी अमेरिकियों के लिये नागरिक अधिकारों को लागू करने का प्रयास हुआ।
- कपास व्यापार पर वैश्विक प्रभाव और भारत पर इसका प्रभाव:
- कपास निर्यात में व्यवधान: गृह युद्ध के कारण वैश्विक कपास व्यापार में व्यवधान उत्पन्न हो गया।
- ब्रिटिश वस्त्र निर्माताओं ने वैकल्पिक स्रोत के रूप में भारत की ओर रुख किया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में कपास की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
- भारत में कपास की मांग में वृद्धि: युद्ध के दौरान भारत, ब्रिटिश उद्योगों के लिये कपास का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया।
- इस मांग से भारतीय व्यापारियों द्वारा गुजरात और महाराष्ट्र जैसे क्षेत्रों में किसानों को अधिक कपास की खेती करने के लिये प्रोत्साहित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक उन्नति को बढ़ावा मिला। हालांकि इससे किसानों का अक्सर शोषण भी हुआ।
- कपास निर्यात में व्यवधान: गृह युद्ध के कारण वैश्विक कपास व्यापार में व्यवधान उत्पन्न हो गया।
- भारत के लिये दीर्घकालिक आर्थिक परिणाम: यद्यपि भारत को कपास निर्यात में वृद्धि से लाभ हुआ, लेकिन इससे मुख्य रूप से ब्रिटिश उद्योगों को ही लाभ हुआ।
- कपास की खेती में इस वृद्धि के कारण कुछ क्षेत्रों में खाद्यान्न की कमी भी उत्पन्न हो गई (क्योंकि किसानों को खाद्यान्न फसलों के स्थान पर कपास उगाने के लिये प्रोत्साहित किया गया)। जिसके परिणामस्वरूप भारतीय किसानों के समक्ष अकाल और आर्थिक संकट की स्थिति बनी।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक व्यवस्था में भारत से धन का बहिर्गमन बना रहा, जिससे किसान ऋण और गरीबी से ग्रसित हुए।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान भारत के कपास व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा तथा भारतीय किसानों पर इसके कौन से दीर्घकालिक परिणाम हुए? |
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)मेन्स:Q. भारत से अन्य उपनिवेशों में ब्रिटिशों द्वारा गिरमिटिया मज़दूरों को क्यों ले जाया गया? क्या वे वहाँ अपनी सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित कर पाए? (2018) |