IBBI विनियमों में संशोधन | 21 Sep 2022
हाल ही में भारतीय दिवाला और दिवालियापन बोर्ड (IBBI) ने तनावग्रस्त कंपनियों के मूल्य को बढ़ावा देने के लिये अपने नियमों में संशोधन किया है।
- IBBI (कॉरपोरेट्स के लिये दिवाला समाधान प्रक्रिया) विनियम, 2016 में संशोधन संकल्प में मूल्य को अधिकतम करने के लिये किया गया है।
- यह अन्य परिवर्तनों के अलावा दिवाला समाधान प्रक्रिया से गुज़र रही इकाई की एक या अधिक संपत्तियों की बिक्री की अनुमति देगा।
संशोधित नियम:
- लेनदारों की समिति (Committee of Creditors-CoC) अब जाँच कर सकती है कि परिसमापन अवधि के दौरान कॉरपोरेट देनदार (CD) के लिये समझौता या व्यवस्था की जा सकती है या नहीं।
- जून 2022 तक 1,703 कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रियाएँ (CIRPs) समाप्त हो गईं।
- नियामक ने समाधान पेशेवर और CoC को संबंधित कॉरपोरेट देनदार की एक या अधिक संपत्तियों की बिक्री की तलाश करने की अनुमति दी है, जहाँ पूरे व्यवसाय के लिये कोई समाधान योजना नहीं है।
- समाधान योजना जिसमें एक या एक से अधिक CD परिसंपत्तियों की बिक्री शामिल है, एक या एक से अधिक सफल समाधान आवेदकों को शेष संपत्तियों के उचित उपचार के साथ उपलब्ध कराई जाएगी।
- समाधान पेशेवर (Resolution Professional-RP) को संबंधित कंपनी के ज्ञात (खातों की पुस्तिका के आधार पर) लेनदारों से सक्रिय रूप से दावों की जानकारी प्राप्त करनी होगी जो ऋण उपलब्ध कराने में मदद करेंगे।
- RPs को CIRP के शुरू होने के 75 दिनों के भीतर इस बारे में राय देनी होगी कि क्या कंपनी ऋण भुगतान लेनदेन के अधीन है।
- RP को अब यह आकलन और रिपोर्ट करने की आवश्यकता होगी कि क्या कंपनी ने दिवाला कार्यवाही से पहले धन की निकासी के लिये कोई लेन-देन किया है।
- विनियमों में कहा गया है कि RP द्वारा की गई किसी भी नियुक्ति हेतु पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिये।
- अंतरण से बचने के लिये दायर किसी भी आवेदन का विवरण समाधान योजना प्रस्तुत करने से पहले आवेदकों को उपलब्ध कराया जाएगा और आवेदक उन्हें अपनी योजनाओं में संबोधित कर सकते हैं।
- सूचना के ज्ञापन में भौतिक जानकारी का शामिल होना आवश्यक है जो चुनौती के रूप में उन्हें स्थिति का आकलन करने में मदद करेगा, न कि केवल संपत्ति की जानकारी के बारे में, जिससे बाज़ार की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को संबोधित किया जा सकेगा।
संशोधित विनियमों का महत्त्व:
- प्रावधान हितधारकों को खोए हुए मूल्य को वापस पाने की अनुमति देंगे और हितधारकों को इस तरह के लेन-देन करने से हतोत्साहित करेंगे।
- ये संशोधन बाज़ार में परिसंपत्ति को दीर्घ अवधि तक उपलब्ध रहने की अनुमति देते हैं।
- इन संशोधनों से दिवाला समाधान के लिये उचित बाज़ार आधारित समाधानों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- यह सुनिश्चित करेगा कि दिवालिया कंपनी और उसकी संपत्ति के बारे में बेहतर गुणवत्ता की जानकारी संभावित समाधान आवेदकों सहित बाज़ार के लिये समय पर उपलब्ध हो।
भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड:
- भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड की स्थापना वर्ष 2016 में दिवाला और शोधन अक्षमता नियम, 2016 द्वारा की गई थी।
- यह इस नियम के कार्यान्वयन के लिये उत्तरदायी परितंत्र का एक प्रमुख स्तंभ है। यह उद्यमिता को बढ़ावा देने, ऋण की उपलब्धता और सभी हितधारकों के हितों को संतुलित करने के लिये कॉरपोरेट्स, साझेदारी फर्मों तथा लोगों के पुनर्गठन और दिवाला समाधान से संबंधित कानूनों को समयबद्ध तरीके से समेकित एवं संशोधित करता है ताकि ऐसे व्यक्त्तियों की संपत्ति के मूल्य को अधिकतम किया जा सके।
- यह एक अद्वितीय नियामक है क्योंकि यह पेशे के साथ-साथ प्रक्रियाओं को भी नियंत्रित करता है।
- यह दिवाला पेशेवरों, दिवाला व्यावसायिक एजेंसियों, दिवाला व्यावसायिक संस्थाओं और सूचना उपयोगिताओं का नियामक पर्यवेक्षण करता है।
- इसे देश में मूल्यांकनकर्त्ताओं के पेशे के विनियमन और विकास के लिये कंपनियाँ (पंजीकृत मूल्यकार और मूल्यांकन नियम), 2017 के तहत 'प्राधिकरण' के रूप में भी नामित किया गया है।
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन हाल ही में समाचारों में देखे गए 'तनावग्रस्त आस्तियों की सतत् संरचना के लिये योजना (S4A)' का सबसे अच्छा वर्णन करता है? (2017) (a) यह सरकार द्वारा तैयार की गई विकासात्मक योजनाओं की पारिस्थितिक लागत पर विचार करने की एक प्रक्रिया है। उत्तर: b व्याख्या:
अतः विकल्प b सही उत्तर है। |