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भारतीय अर्थव्यवस्था

दिवाला और शोधन अक्षमता संबंधी नियमों में संशोधन

  • 08 Aug 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये

 दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016, भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड

मेन्स के लिये

 दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता का उद्देश्य, इसका महत्त्व और इसकी विशेषताएँ

चर्चा में क्यों?

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (The Insolvency and Bankruptcy Board of India-IBBI) ने भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 और भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2017 में संशोधन किया है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (कॉरपोरेट्स के लिये दिवालियापन समाधान प्रक्रिया) नियम, 2016 में संशोधन

  • संशोधन: हालिया संशोधन के अनुसार, अंतरिम समाधान पेशेवर द्वारा प्रस्तुत किये गए तीन इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (IP) उसी राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश से होने चाहिये, जहाँ से कॉर्पोरेट देनदार के रिकॉर्ड के अनुसार सबसे अधिक लेनदार हैं।
    • पृष्ठभूमि: वित्तीय लेनदारों को सरलीकृत तरीके से प्रतिनिधित्त्व प्रदान करने के उद्देश्य से दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 की धारा 21 के प्रावधानों के तहत दिवालिया प्रस्ताव के लिये लेनदारों की समिति (Committee of Creditors-CoC) के समक्ष अपनी चिंताएँ व्यक्त करने हेतु एक अधिकृत प्रतिनिधि (Authorised Representative-AR) नियुक्त किया जा सकता है।
    • नियमों के अनुसार, इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अंतरिम समाधान पेशेवर (Interim Resolution Professional) अधिकृत प्रतिनिधि (AR) के तौर पर कार्य करने के लिये कुल तीन इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (IP) का विकल्प प्रस्तुत करेगा और लेनदारों द्वारा अपने प्रतिनिधित्त्व के लिये अधिकृत प्रतिनिधि (AR) के तौर पर किसी एक इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल (IP) का चुनाव किया जाएगा।
    • लाभ: इसके माध्यम से इससे अधिकृत प्रतिनिधि (AR) और लेनदारों के बीच समन्वय और संचार में आसानी होगी।
  • संशोधन: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) द्वारा किये गए हालिया संशोधन में यह प्रावधान है कि मूल्यांकन मैट्रिक्स (Evaluation Matrix) के अनुसार सभी समाधान योजनाओं का मूल्यांकन करने के बाद, लेनदारों की समिति (CoC) सभी समाधान योजनाओं पर एक साथ मतदान करेगी।
  • इसके तहत जिस भी समाधान योजना को सबसे अधिक मत प्राप्त होंगे उसे अनुमोदित किया जाएगा, हालाँकि ये मत कुल मतदान के 66 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिये।
    • पृष्ठभूमि: दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 में दिये गए नियमों के अनुसार, लेनदारों की समिति (CoC) मूल्यांकन मैट्रिक्स के अनुसार सभी अनुरूप समाधान योजनाओं का मूल्यांकन करेगी ताकि उनमें से सर्वश्रेष्ठ समाधान योजना की पहचान की जा सके और इसे अनुमोदित किया जा सके।
    • यहाँ मूल्यांकन मैट्रिक्स का अभिप्राय किसी समाधान योजना के अनुमोदन हेतु लेनदारों की समिति द्वारा निर्धारित किये गए मापदंडों और उन्हें लागू करने की विधि से है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया) नियम, 2017 में संशोधन

  • संशोधन: नियमों में किये गए संशोधन के अनुसार, कॉरपोरेट व्यक्ति अपने वर्तमान परिसमापक (Liquidator) के स्थान पर किसी अन्य दिवाला पेशेवर (इन्सॉल्वेंसी प्रोफेशनल) को एक सामान्य प्रस्ताव के माध्यम से परिसमापक (Liquidator) के रूप में नियुक्त कर सकता है।
    • पृष्ठभूमि: भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता, 2016 एक कॉर्पोरेट व्यक्ति को स्वैच्छिक परिसमापन प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम बनाती है, यदि उस पर कोई ऋण नहीं है या वह परिसंपत्तियों की आय से अपने ऋण का पूरी तरह से भुगतान करने में सक्षम है। 

दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016

  • अगर कोई कंपनी कर्ज़ वापस नहीं चुकाती तो दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 (IBC) के तहत कर्ज़ वसूलने के लिये उस कंपनी को दिवालिया घोषित किया जा सकता है।
  • इस संहिता की धारा 7 किसी कंपनी के विरुद्ध दिवालिया प्रक्रिया की शुरुआत से जुड़ी है अर्थात् जब कोई कर्ज़ देने वाला व्यक्ति, संस्था या कंपनी, कर्ज़ नहीं चुकाने वाली कंपनी के खिलाफ दिवालिया कोर्ट में अपील दायर करती है।
  • संहिता की धारा 12 दिवालिया प्रक्रिया को पूरी किये जाने की समयसीमा को तय करती है। इस धारा के तहत यह पूरी प्रक्रिया 180 दिनों के भीतर पूरी की जानी अनिवार्य है।

भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI)

  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) की स्थापना दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 के तहत 1 अक्तूबर, 2016 को हुई थी।
  • भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) मुख्य तौर पर  दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता,  2016 को सही ढंग से लागू करने के लिये ज़िम्मेदार है।
  • वर्तमान में डॉ. एम.एस. साहू भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (IBBI) के अध्यक्ष के तौर पर कार्यरत हैं।

स्रोत: पी.आई.बी

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