IAS, IPS, IFOS पेंशनभोगियों के सेवानिवृत्ति लाभों से संबंधित संशोधित नियम | 21 Jul 2023
प्रिलिम्स के लिये:अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS), कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT), सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, सिविल सेवा नियम, मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ संशोधन नियम 2023 मेन्स के लिये:भारतीय प्रशासनिक सेवा (Cadre) नियम 1954, अखिल भारतीय सेवाएँ (AIS), AIS अधिकारी की प्रतिनियुक्ति, AIS अधिकारियों की संघीय प्रकृति, केंद्र राज्य संबंध, लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका |
चर्चा में क्यों ?
केंद्र सरकार ने IAS, IPS (भारतीय पुलिस सेवा) और IFO (भारतीय वन सेवा) पेंशनभोगियों के सेवानिवृत्ति लाभों से संबंधित अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम 1958 में संशोधन किया है।
- नियम 1958 को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) द्वारा नियम 2023 में संशोधित किया गया था।
- यह मुख्य रूप से सेवानिवृत्त खुफिया या सुरक्षा से संबंधित संगठनों पर केंद्रित है।
नियम 2023 द्वारा परिवर्तन:
- केंद्र सरकार स्वयं IAS, IPS और IFos के विरुद्ध कार्रवाई करने तथा राज्य सरकार के संदर्भ के बिना भी उनकी पेंशन रोकने या वापस लेने का अधिकार रखती है यदि वे गंभीर कदाचार या अपराध के लिये दोषी पाए जाते हैं।
- संशोधित नियम दर्शाते हैं कि पेंशन रोकने या वापस लेने पर केंद्र सरकार का निर्णय "अंतिम होगा"।
- इन जोड़े गए नियमों में 'गंभीर कदाचार' में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम में उल्लिखित किसी दस्तावेज़ या जानकारी का संचार या प्रकटीकरण शामिल है तथा 'गंभीर अपराध' में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत अपराध से संबंधित कोई भी अपराध शामिल है।
- अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 में पहले नियम 3(3) में कहा गया था कि केंद्र सरकार संबंधित राज्य सरकार के संदर्भ पर पेंशन या उसके किसी भी हिस्से को रोक या वापस ले सकती है।
- इन जोड़े गए नियमों में 'गंभीर कदाचार' में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम में उल्लिखित किसी दस्तावेज़ या जानकारी का संचार या प्रकटीकरण शामिल है तथा 'गंभीर अपराध' में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत अपराध से संबंधित कोई भी अपराध शामिल है।
- खुफिया या सुरक्षा-संबंधी संगठनों के सदस्य, जिन्होंने ऐसी क्षमताओं में सेवा की है, अपने संबंधित संगठन के प्रमुख से पूर्व मंज़ूरी प्राप्त किये बिना कोई लेख नहीं लिखेंगे या प्रकाशित करेंगे।
नियमों में बदलाव का असर:
- गंभीर कदाचार के दोषी या अदालत द्वारा गंभीर अपराध के दोषी पाए गए पेंशनभोगी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिये केंद्र को राज्य सरकार के संदर्भ का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
- ऐसे मामलों में संबंधित राज्य सरकार के संदर्भ के बिना भी केंद्र सरकार कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर सकती है।
- सुरक्षा और खुफिया संगठनों के अधिकारियों द्वारा मीडिया में संवेदनशील जानकारी प्रदान करने तथा किताबों में उनके बारे में लिखने पर संबंधित सुरक्षा एवं खुफिया संगठनों के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी ।
- प्रस्तावित संशोधन नौकरशाही पर राज्य के राजनीतिक नियंत्रण को कमज़ोर कर देगा।
- यह प्रभावी शासन को बाधित करेगा और परिहार्य कानूनी तथा प्रशासनिक विवाद पैदा करेगा। क्योंकि संशोधित नियम केंद्र सरकार को सेवानिवृत्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अप्रतिबंधित शक्ति प्रदान करेंगे।
अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम,1958
- अखिल भारतीय सेवा अधिनियम, 1951 की धारा 3 (1951 का 61) संबंधित राज्यों की सरकारों से परामर्श के बाद ऐसे नियम बनाने के लिये केंद्र सरकार को अधिकार देता है।
- यह उन सभी लोगों पर लागू होगा जो 29 अक्तूबर, 1951 को या उसके बाद सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे।
- यह सेवा के उन सदस्यों पर लागू नहीं होता है जिन्हें राज्य सेवाओं से केंद्रीय सेवा में पदोन्नत किया गया था या भारतीय प्रशासनिक सेवा (राज्यों तक विस्तार) योजना या भारतीय पुलिस सेवा के अंर्तगत सेवा में नियुक्त किया गया था।
- इन नियमों में निहित कोई भी बात 1 जनवरी, 2004 को या उसके बाद सेवा में नियुक्त लोगों पर लागू नहीं होगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. “आर्थिक प्रदर्शन के लिये संस्थागत गुणवत्ता एक निर्णायक चालक है"। इस संदर्भ में लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के लिये सिविल सेवा में सुधारों के सुझाव दीजिये। (2020) |