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वायु गुणवत्ता डेटाबेस 2022: डब्‍ल्‍यूएचओ

  • 05 Apr 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ के नए वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश, पार्टिकुलेट मैटर।

मेन्स के लिये:

वायु प्रदूषण, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट के प्रभाव।

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation- WHO) द्वारा विश्व स्वास्थ्य दिवस (7 अप्रैल) से पहले वायु गुणवत्ता डेटाबेस 2022 (Air Quality Database 2022) जारी किया गया है, जो दर्शाता है कि लगभग पूरी वैश्विक आबादी (99%) डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित वायु गुणवत्ता सीमा से अधिक हवा में सांँस लेती है।

  • WHO द्वारा पहली बार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) की वार्षिक औसत सांद्रता की ज़मीनी स्तर पर माप की गई है। इसमें 10 माइक्रोन (PM10) या 2.5 माइक्रोन (PM2.5) के बराबर या छोटे व्यास वाले पार्टिकुलेट मैटर का माप भी शामिल है।
  • प्राप्त निष्कर्षों ने डब्ल्यूएचओ को जीवाश्म ईंधन के उपयोग पर अंकुश लगाने और वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिये अन्य ठोस कदम उठाने के महत्त्व को उजागर करने हेतु प्रेरित किया है।
  • इससे पहले विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट 2021 में मध्य और दक्षिण एशिया के 15 सबसे प्रदूषित शहरों में से 11 शहर भारत के थे।

प्रमुख बिंदु 

  • प्रमुख निष्कर्ष: 
  • हानिकारक वायु: 117 देशों के 6,000 से अधिक शहर अब वायु गुणवत्ता की निगरानी कर रहे हैं लेकिन उनके नागरिक अभी भी सूक्ष्म कणों और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के अस्वास्थ्यकर स्तर में सांँस ले रहे हैं, जबकि निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों में लोग सबसे अधिक जोखिम का सामना करते हैं।
  • डेटा का बढ़ा हुआ संग्रह: पिछले अपडेट (वर्ष 2018) की तुलना में 2,000 से अधिक शहर और मानव बस्तियांँ अब पार्टिकुलेट मैटर, PM10 और/ या PM2.5 के लिये  ग्राउंड मॉनीटरिंग डेटा रिकॉर्ड कर रही हैं।
    • वर्ष 2011 में पहली बार डेटाबेस बनाए जाने के बाद से यह रिपोर्टिंग में लगभग छह गुना वृद्धि का प्रतीक है।
  • वायु प्रदूषण का प्रभाव: इस बीच वायु प्रदूषण से मानव शरीर को होने वाले नुकसान के साक्ष्यों के आधार में तेज़ी से वृद्धि हो रही  है जो कई प्रकार के वायु प्रदूषकों के निम्न स्तर के कारण होने वाले नुकसान की ओर इशारा करता है।
    • पार्टिकुलेट मैटर, विशेष रूप से पीएम 2.5, फेफड़ों में प्रवेश करने और रक्तप्रवाह में प्रवेश करने में सक्षम होते हैं जिससे कार्डियोवैस्कुलर, सेरेब्रोवास्कुलर (स्ट्रोक) और रेस्पिरेटरी की समस्या उत्पन्न होती है। 
    • NO2 श्वसन रोगों से संबंधित है, विशेष रूप से अस्थमा, जिसके कारण श्वसन संबंधी लक्षण (जैसे- खाँसी, घरघराहट या साँस लेने में कठिनाई) के कारण अस्पतालों में भर्ती होना तथा एमरजेंसी रूम्स में एडमिट होना शामिल है।
  • डब्ल्यूएचओ के वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों का अनुपालन: वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाले 117 देशों में से उच्च आय वाले देशों के 17% शहरों में PM2.5 और PM10 का स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा तय वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों के भीतर है।
    • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 1% से कम शहरों में वायु गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित थ्रेसहोल्ड का अनुपालन करती है।

WHO के नए वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश:

  • वर्ष 2021 के दिशा-निर्देश प्रमुख वायु प्रदूषकों के स्तर को कम करके विश्व आबादी के स्वास्थ्य की रक्षा के लिये नए वायु गुणवत्ता स्तरों की सिफारिश करते हैं, जिनमें से कुछ जलवायु परिवर्तन को कम करने में भी महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।
  • इन दिशा-निर्देशों के तहत अनुशंसित स्तरों को प्राप्त करने का प्रयास कर सभी देशों को अपने नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा करने के साथ-साथ वैश्विक जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलेगी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह कदम सरकार द्वारा नए सख्त मानकों को विकसित करने की दिशा में नीति में अंतिम बदलाव के लिये मंच तैयार करता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के नए दिशा-निर्देश उन 6 प्रदूषकों के लिये वायु गुणवत्ता के स्तर की अनुशंसा करते हैं, जिनके कारण स्वास्थ्य पर सबसे अधिक जोखिम उत्पन्न होता है।
    • इन 6 प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), ओज़ोन (O₃), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) तथा कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) शामिल हैं।

Global-Air-Quality

वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य में सुधार के लिये सुझाव:

  • नवीनतम डब्ल्यूएचओ वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों के अनुसार, राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों को अपनाना या संशोधित करना और उन्हें लागू करने की आवश्यकता है।
  • वायु गुणवत्ता की निगरानी तथा वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करना।
  • खाना पकाने, हीटिंग और प्रकाश की व्यवस्था हेतु स्वच्छ घरेलू ऊर्जा के अनन्य उपयोग के लिये संक्रमण का समर्थन करना।
  • सुरक्षित और किफायती सार्वजनिक परिवहन प्रणाली तथा पैदल यात्री एवं साइकिल के अनुकूल नेटवर्क बनाना।
  • सख्त वाहन उत्सर्जन और दक्षता मानकों को लागू करना और वाहनों के लिये अनिवार्य निरीक्षण व रखरखाव की व्यवस्था को लागू करना।
  • ऊर्जा कुशल आवास और बिजली उत्पादन में निवेश करना।
  • उद्योग और नगरपालिका अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करना। 
  • कृषि अपशिष्ट पदार्थ, जंगल की आग तथा कुछ कृषि-वानिकी गतिविधियों (जैसे लकड़ी से कोयला उत्पादन) को कम करना।
  • स्वास्थ्य पेशेवरों के लिये पाठ्यक्रम में वायु प्रदूषण को शामिल करने तथा स्वास्थ्य क्षेत्र को संलग्न करने के लिये उपकरण प्रदान करना।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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