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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

AI संचालित मौसम पूर्वानुमान

  • 24 Apr 2025
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, एल नीनो, हिंद महासागर द्विध्रुव

मेन्स के लिये:

भारत में जलवायु और मौसम पूर्वानुमान में AI/ML की भूमिका, जलवायु लचीलेपन के लिये मिशन मौसम का महत्त्व

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

चरम मौसम की घटनाओं, जैसे कि हीट वेव और आकस्मिक बाढ़ की बढ़ती घटनाओं के कारण, भारत द्वारा अपनी मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं का वर्द्धन करने हेतु कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML) पर निर्भर होना अत्यावश्यक होता जा रहा है और इस प्रयास को 'मिशन मौसम' के शुभारंभ से और बल मिला है।

भारत किस प्रकार AI-संचालित मौसम पूर्वानुमान को अपना रहा है?

  • AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान: यह उच्च सटीकता के साथ मौसम पैटर्न और चरम मौसम की घटनाओं का पूर्वानुमान किये जाने के उद्देश्य से विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डेटा का विश्लेषण करने हेतु AI और मशीन लर्निंग के उपयोग को संदर्भित करता है, जिससे बेहतर निर्णयन और आपदा प्रबंधन में मदद मिलती है।
  • AI आधारित पूर्वानुमान से संबंधित भारत की प्रमुख पहल:
    • मौसम सूचना नेटवर्क और डाटा प्रणाली (WINDS): कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हाइपर-लोकल, दीर्घकालिक मौसम डेटा उत्पन्न करने के लिये WINDS की शुरुआत की है।
      • WINDS के तहत 200,000 से अधिक ग्राउंड स्टेशन संस्थापित किये जाएंगे, जिससे मौसम संबंधी आँकड़ों के संग्रहण में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे विशेष रूप से कृषि और आपदा प्रबंधन आवश्यकताओं की दृष्टि से  मौसम संबंधी पूर्वानुमानों में सुधार होगा।
    • AI और मशीन लर्निंग सेंटर: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने के लिये पुणे में AI और मशीन लर्निंग सेंटर की स्थापना की है, जो अल्प दूरी की वर्षा का पूर्वानुमान करने और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले नगरीय डेटासेट पर ध्यान केंद्रित करेगा तथा डॉपलर रडार डेटा की सहायता से वर्षा और हिमपात का तात्कालिक पूर्वानुमान करेगा।
    • AI-आधारित मानसून पूर्वानुमान मॉडल: IIT-दिल्ली स्थित DST सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन क्लाइमेट मॉडलिंग (CECM) ने अन्य शोधकर्त्ताओं के साथ मिलकर ऐतिहासिक आँकड़ों और अल नीनो तथा हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) जैसे जलवायु चालकों का उपयोग करते हुए मानसून पूर्वानुमान हेतु AI/ML-आधारित मॉडल विकसित किये हैं।
      • इन मॉडलों ने पारंपरिक भौतिक मॉडलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है तथा वर्ष 2002-2022 की अवधि के लिये इनकी सफलता दर 61.9% रहने का अनुमान है।
      • इन मॉडलों द्वारा महीनों पहले ही वर्षा का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है तथा इन्हें बदलते जलवायु आँकड़ों के आधार पर अद्यतन भी किया जा सकता है।

मिशन मौसम क्या है?

  • परिचय: भारत में मौसम और जलवायु पूर्वानुमान प्रणालियों को आधुनिक बनाने के लिये पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) के तहत वर्ष 2024 में मिशन मौसम शुरू किया गया।
    • इसका उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान, आपदा तैयारी और क्षेत्र-विशिष्ट सलाह को बढ़ावा देकर देश को “मौसम आपदाओं के प्रति तैयार" करने के साथ "जलवायु स्मार्ट" बनाना है।
  • आवश्यकता: भारत की कृषि पर निर्भरता, जलवायु परिवर्तनशीलता एवं लगातार होने वाली चरम मौसमी घटनाओं से सटीक पूर्वानुमान निर्णायक है। 
    • मिशन मौसम बेहतर फसल नियोजन के लिये मानसून पूर्वानुमान को उन्नत बनाकर तथा बेहतर संसाधन प्रबंधन और बुनियादी ढाँचा नियोजन के माध्यम से ग्रामीण विकास को समर्थन देने के साथ इन चुनौतियों का समाधान करने पर केंद्रित है। 
  • कार्यान्वयन रणनीति: इसे मुख्य रूप से भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) और राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
    • यह बुनियादी ढाँचे के विकास (डॉपलर रडार, मौसम स्टेशन) के माध्यम से मौसम पूर्वानुमान को उन्नत करने पर केंद्रित है।
    • इस मिशन के तहत सुपरकंप्यूटिंग शक्ति का लाभ उठाने के साथ सटीक जलवायु मॉडलिंग के लिये प्रत्यूष और मिहिर जैसी उन्नत प्रणालियों का उपयोग किया जाना शामिल है।
  • वर्तमान स्थिति: पूरे भारत में 37 से अधिक डॉप्लर मौसम रडार स्थापित किये गए हैं जिससे रियल टाइम निगरानी उन्नत हुई है। 
    • मौसम ऐप के तहत 450 शहरों के लिये मौसम पूर्वानुमान प्रदान किया जाता है और राष्ट्रीय मानसून मिशन के तहत मौसमी भविष्यवाणी मॉडल में सुधार हुआ है। 

Mission_Mausam

AI पूर्वानुमान, पारंपरिक पूर्वानुमान विधियों से किस प्रकार भिन्न है?

पहलू

AI मॉडल

पारंपरिक विधियाँ (संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान (NWP)

डेटा-संचालित बनाम भौतिकी-आधारित

AI मॉडल के तहत भौतिक प्रक्रियाओं जैसे वायुमंडलीय अंतःक्रियाओं को समझे बिना पैटर्न और सहसंबंधों का पता लगाने के लिये बड़े डेटासेट का उपयोग किया जाता है।

पारंपरिक मॉडल के तहत वायुमंडल का अनुकरण करने के लिये द्रव गतिकी एवं ऊष्मागतिकी से संबंधित भौतिक समीकरणों का उपयोग किया जाता है।

कंप्यूटेशनल दृष्टिकोण

AI द्वारा एल्गोरिदम विकसित करके और सूक्ष्म पैटर्न का पता लगाकर, वास्तविक समय का पूर्वानुमान उन्नत होता है

NWP मॉडलों के तहत जटिल, समय लेने वाली गणनाओं के लिये (विशेष रूप से दीर्घकालिक पूर्वानुमानों में) सुपर कंप्यूटरों की आवश्यकता होती है।

नमनीयता और अनुकूलनीयता

AI द्वारा नए डेटा के अनुसार खुद को ढाल लिया जाता है जिसमें विविध इनपुट (जैसे, महासागरीय लवणता) के साथ विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के अनुसार खुद को समायोजित करना शामिल है।

NWP मॉडल निश्चित नियमों पर निर्भर होते हैं जिससे ये कम अनुकूल होने के साथ चरम घटनाओं के लिये इन्हें अद्यतन करने की आवश्यकता होती है।

चरम घटनाओं की भविष्यवाणी

AI द्वारा बड़े डेटासेट का विश्लेषण करने के माध्यम से हीटवेव और बाढ़ जैसी चरम घटनाओं का अधिक सटीक पूर्वानुमान लगाया जाता है।

NWP सामान्य मौसम के लिये अच्छा है लेकिन स्थानीय चरम घटनाओं के पूर्वानुमान में समस्या आती है।

AI-आधारित पूर्वानुमान में क्या चुनौतियाँ हैं?

  • डेटा की गुणवत्ता और उपलब्धता: AI मॉडल को बृहद, उच्च-गुणवत्ता वाले डेटासेट की आवश्यकता होती है, लेकिन मौसम संबंधी डेटा विशेषकर दूरवर्ती क्षेत्रों में सामान्यतः असंगत, विरल या गलत होता है।
  • जटिल मौसम प्रणालियाँ: मौसम प्रणालियाँ अव्यवस्थित और अरैखिक होती हैं, जिससे AI के लिये उनका सटीक पूर्वानुमान कर पाना कठिन हो जाता है। क्षेत्रीय परिवर्तनशीलता से और जटिलताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • विवेचनीयता: AI मॉडल सामान्यतः "ब्लैक बॉक्स" के रूप में कार्य करते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके द्वारा किये गए पूर्वानुमान की व्याख्या कर पाना कठिन है, जिससे ऐसे वर्ग जो विशेषज्ञ नहीं है, के बीच विश्वास संबंधी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
  • विशेषज्ञता का अभाव: AI-आधारित पूर्वानुमान के लिये जलवायु विज्ञान और मशीन लर्निंग दोनों में अंतर-विषयक विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है, जिसका भारत में अभाव है।
  • सीमित कंप्यूटेशनल अवसंरचना: AI मॉडल को विशेष रूप से उच्च-रिज़ॉल्यूशन पूर्वानुमानों के लिये महत्त्वपूर्ण कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता होती है। 
    • कई भारतीय संस्थानों में अभी भी AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान का समर्थन करने के लिये उच्च-प्रदर्शन GPU जैसे आवश्यक बुनियादी ढाँचे का अभाव है।
  • पूर्वाग्रह और विश्वास संबंधी मुद्दे: AI मॉडलों की प्रायः उनकी "ब्लैक-बॉक्स" प्रकृति के लिये आलोचना की जाती है, जिससे यह समझना कठिन हो जाता है कि पूर्वानुमान कैसे किया जाता हैं।
    • AI मॉडल्स को प्रशिक्षित किये गए डेटा से पूर्वाग्रह प्राप्त हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अविश्वसनीय पूर्वानुमान हो सकते हैं, और AI-आधारित पूर्वानुमानों में जनता का विश्वास एक चिंता का विषय है।

भारत में AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान की प्रभावशीलता में सुधार के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?

  • हाइब्रिड दृष्टिकोण: पारंपरिक भौतिकी-आधारित मॉडलों के साथ AI/ML को संयोजित करने से हाइब्रिड प्रणालियाँ बनती हैं जो दोनों की शक्तियों का लाभ उठाती हैं। 
    • यह दृष्टिकोण भौतिक वायुमंडलीय सिद्धांतों के साथ डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि को मिलाकर, विशेष रूप से जटिल मौसम पैटर्न के लिये पूर्वानुमान की सटीकता को बढ़ाता है।
  • स्थानीयकृत डेटा संग्रह के लिये क्राउडसोर्सिंग: गूगल मैप्स और गूगल डीपमाइंड के जेनकास्ट (GenCast) AI मॉडल जैसे प्लेटफार्मों का लाभ उठाते हुए, नागरिक स्थानीयकृत मौसम डेटा का योगदान कर सकते हैं, जिससे AI मॉडल के लिये वास्तविक समय की प्रतिक्रिया में मदद मिल सकती है ताकि भविष्यवाणियों को परिष्कृत किया जा सके। 
    • इस डेटा को मौसम जैसे ऐप्स में एकीकृत करने से समुदाय-संचालित पूर्वानुमान में वृद्धि होती है, तथा चरम मौसम की घटनाओं के लिये सटीकता में सुधार होता है।
  • ग्राउंड स्टेशन नेटवर्क का विस्तार: WINDS (जिसका लक्ष्य 200,000 से अधिक नए स्टेशन बनाना है) जैसी पहलों के माध्यम से स्वचालित मौसम स्टेशन (AWS) और स्वचालित वर्षा गेज (ARG) नेटवर्क का विस्तार करने से AI मॉडल के लिये डेटा मज़बूत होगा।
    • निजी क्षेत्र के नेटवर्क का उपयोग करने तथा निर्बाध एकीकरण सुनिश्चित करने से पूर्वानुमान की सटीकता को और अधिक बढ़ाया जा सकता है।
  • वैश्विक सहयोग: भारत गूगल और नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) जैसे वैश्विक नेताओं के साथ संयुक्त परियोजनाओं और साझा डेटासेट पर सहयोग करके AI-आधारित मौसम पूर्वानुमान में तेज़ी ला सकता है।
    • AI/ML और जलवायु विज्ञान संस्थानों की स्थापना से विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा समर्थित अंतःविषय विशेषज्ञता को बढ़ावा मिलेगा। 
    • मौसम पूर्वानुमान सम्मेलन में वार्षिक AI की मेज़बानी और प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश से कुशल पेशेवरों की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित मौसम पूर्वानुमान को लागू करने में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं? इनसे निपटने के उपाय सुझाइए। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017) 

  1. IOD परिघटना, उष्णकटिबंधीय पश्चिमी हिंद महासागर एवं उष्णकटिबंधीय पूर्वी प्रशांत महासागर के बीच सागर पृष्ठ तापमान के अंतर से विशेषित होती है।
  2.  IOD परिघटना मानसून पर एल-नीनो के असर को प्रभावित कर सकती है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b) 


मेन्स: 

प्रश्न . मौसम विज्ञान में ‘तापमान व्युत्क्रम’ की घटना से आप क्या समझते हैं? उस स्थान के मौसम तथा निवासियों को यह कैसे प्रभावित करता है? (2013)

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