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ड्रोन द्वारा रासायनिक छिड़काव

  • 01 Feb 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

कीटनाशी अधिनियम, 1968, केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड

मेन्स के लिये:

ड्रोन द्वारा कीटनाशकों के छिड़काव से होने वाली हानि

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने ड्रोन का प्रयोग कर फसलों पर रासायनिक छिड़काव करने की प्रक्रिया को अवैध बताया है।

मुख्य बिंदु:

  • केंद्र सरकार ने यह स्पष्टीकरण ड्रोन द्वारा हवाई छिड़काव के बढ़ते उपयोग पर और पर्यावरण को होने वाले नुकसान के संदर्भ में एक कार्यकर्त्ता द्वारा दायर याचिका के संदर्भ में दिया है।
  • कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers’ Welfare) द्वारा नवंबर 2019 में भी इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि कृषि-रासायनिक छिड़काव के लिये ड्रोन का उपयोग बढ़ गया है और इससे भविष्य में बहुत सारी पर्यावरणीय समस्याएँ उत्पन्न होंगी।

क्या थी याचिका?

  • ड्रोन द्वारा हवाई छिड़काव कीटनाशकों की प्रभावकारिता को कम करते हुए एक बड़े क्षेत्र को विपरीत रूप से प्रभावित करता है।
  • याचिकाकर्त्ता ने कहा कि केरल के कासरगोड में 25 वर्ष से अधिक समय से एंडोसल्फान (Endosulfan) नामक रसायन के ड्रोन द्वारा हवाई छिड़काव के कारण इस तरह के प्रभावों को देखा गया है।
  • किसानों या अन्य स्प्रेयर द्वारा प्रतिकूल मौसम और हवा की स्थिति को ध्यान में रखे बिना तथा सुरक्षा सावधानियों का पालन किये बिना छिड़काव किया जाता है।
  • अधिक मात्रा में छिड़काव खतरनाक रसायनों को उनकी अधिकतम निर्धारित सीमा से बाहर ले जा सकता है जो कि पर्यावरण तथा कृषि भूमि के लिये हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
  • याचिकाकर्त्ता ने कहा कि अभी तक यह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध नहीं हो पाया है कि कि ड्रोन सटीक छिड़काव में सहायता करते हैं।
  • ड्रोन और मानवरहित मशीनें कई तरह से खतरनाक रसायनों के छिड़काव के लिये हानिकारक उपकरण सिद्ध हो सकते हैं।
  • कीटनाशी अधिनियम, 1968 (Insecticides Act, 1968) भी फसलों में हवाई छिड़काव की अनुमति नहीं देता है।
  • ड्रोन निर्माताओं, आपूर्तिकर्त्ताओं को कृषि रसायनों के हवाई छिड़काव के लिये ड्रोन का उपयोग करने से बचना होगा।

केंद्र सरकार का पक्ष:

  • केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि फसलों में ड्रोन द्वारा रासायनिक छिड़काव करना अवैध है।
  • कीटनाशी अधिनियम 1968 के प्रावधानों के अनुसार, कीटनाशकों के हवाई छिड़काव के लिये केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड (Central Insecticides Board-CIB) के अनुमोदन/अनुमति की आवश्यकता होती है।

केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड

(Central Insecticides Board-CIB):

  • केंद्रीय कीटनाशी बोर्ड की स्थापना कीटनाशी अधिनियम, 1968 की धारा 4 के तहत की गई है।

इस बोर्ड द्वारा किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं-

  • उद्योग (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1951 [Industries (Development and Regulation) Act, 1951] के तहत कीटनाशकों के निर्माण के संदर्भ में केंद्र सरकार को सलाह देना।
  • विषाक्तता के आधार पर कीटनाशकों का वर्गीकरण करते हुए उनके हवाई अनुप्रयोग के लिये उपयुक्त होने का उल्लेख करना।
  • फसलों की कीटनाशकों के प्रति सहिष्णुता सीमा और कीटनाशकों के छिड़काव के बीच न्यूनतम अंतराल के संबंध में जानकारी देना।
  • कीटनाशकों की जीवन के संदर्भ में प्रभावकारिता को निर्दिष्ट करना।
  • अत्यधिक विषाक्त प्रकृति के कीटनाशकों में उचित सांद्रता के साथ मिश्रित रंगों का निर्धारण करना।
  • ऐसे अन्य कार्यों को करना जो अधिनियम या नियमों द्वारा प्रदत्त किसी भी कार्य के पूरक, आकस्मिक या परिणामी प्रवृत्ति के हैं।
  • अभी तक कीटनाशकों के छिड़काव के लिये ड्रोन के उपयोग संबंधी कोई भी अनुमति/अनुमोदन CIB द्वारा नहीं दिया गया है।

एक दूरदर्शी कृषि नीति विषाक्त रसायनों के उपयोग को न्यून करने में अहम योगदान कर सकती है। इसके अतिरिक्त उन स्थानों पर हवाई छिड़काव विधियों को बढ़ावा दिया जाना चाहिये जहाँ पर वे प्रभावी हों। स्पष्ट है कि इससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को ही लाभ पहुँचेगा।

स्रोत- द हिंदू

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