मात्स्यिकी सब्सिडी पर समझौता | 25 Jul 2022
प्रिलिम्स के लिये:विश्व व्यापार संगठन, मंत्रिस्तरीय सम्मेलन, भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र, विशेष और विभेदक उपचार मेन्स के लिये:भारत के मत्स्य क्षेत्र का महत्त्व, भारत के हित और अर्थव्यवस्था पर अंतर्राष्ट्रीय समूहों की नीतियों का प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (WTO) की मंत्रिस्तरीय बैठक में मत्स्य पालन (मात्स्यिकी) सब्सिडी (AFS) पर समझौता हुआ।
WTO मंत्रिस्तरीय सम्मेलन
- WTO:
- यह वर्ष1995 में अस्तित्व में आया।
- विश्व व्यापार संगठन द्वितीय विश्व युद्ध के मद्देनज़र स्थापित टैरिफ और व्यापार (GATT) पर सामान्य समझौते के स्थान पर अपनाया गया।
- इसका उद्देश्य व्यापार प्रवाह को सुचारू, स्वतंत्र और अनुमानित रूप से संचालित करना है।
- इसमें 164 सदस्य शामिल हैं।
- यह वर्ष1995 में अस्तित्व में आया।
- विश्व व्यापार संगठन का मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (MC):
- यह विश्व व्यापार संगठन का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय है और आमतौर पर हर दो वर्ष में इसकी बैठक होती है।
- विश्व व्यापार संगठन के सभी सदस्य मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में शामिल होते हैं और वे किसी भी बहुपक्षीय व्यापार समझौते के तहत आने वाले सभी मामलों पर निर्णय ले सकते हैं।
समझौते के बारे में:
- परिचय:
- यह समझौता वैश्विक मछली स्टॉक की बेहतर सुरक्षा के लिये अवैध, गैर-सूचित और अनियमित तरीके (IUU) से मछली पकड़ने के मामले में सब्सिडी पर रोक लगाएगा।
- यह समझौता गहरे समुद्री क्षेत्र जो कि तटीय देशों और क्षेत्रीय मत्स्य प्रबंधन संगठनों/व्यवस्थाओं के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं, में मछली पकड़ने के मामले में भी सब्सिडी प्रदान करने पर रोक लगाता है।
- संक्रमण अवधि भत्ता:
- विशेष और विभेदक उपचार (S&DT) के तहत विकासशील देशों तथा अल्प विकसित देशों (LDC) को इस समझौते के लागू होने की तारीख से दो साल की संक्रमण अवधि की अनुमति दी गई है।
- निर्दिष्ट अवधि के लिये विनियम को लागू करने हेतु उनका कोई दायित्व नहीं होगा।
- विशेष और विभेदक उपचार (S&DT) के तहत विकासशील देशों तथा अल्प विकसित देशों (LDC) को इस समझौते के लागू होने की तारीख से दो साल की संक्रमण अवधि की अनुमति दी गई है।
- छूट प्राप्त क्षेत्र:
- WTO के किसी सदस्य पर अपने पोत या प्रचालक को सब्सिडी प्रदान करने या बनाए रखने के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, जब तक कि वह गैर-सूचित और अनियमित तरीके नहीं अपना रहा है।
- जब तक इस तरह की सब्सिडी को जैविक रूप से टिकाऊ स्तर पर स्टॉक के पुनर्निर्माण के लिये लागू किया जाता है, तब तक मछली पकड़ने हेतु सब्सिडी प्रदान करने पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
- लाभ:
- यह गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने में लगे जहज़ों या ऑपरेटरों को दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त कर देगा।
- यह बड़े पैमाने पर गैर-सूचित और अनियमित तरीके से मछली पकड़ने की जाँच करेगा जो भारत जैसे तटीय देशों को मत्स्य संसाधनों से वंचित करेगा, जिसका हमारे मछली पकड़ने वाले समुदायों की आजीविका पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पडेगा।
भारत का स्टैंड
- इतनी बड़ी आबादी और मात्स्यिकी संसाधनों का सतत् दोहन करने में अनुशासित राष्ट्रों में से एक होने के बावजूद भारत सबसे कम मात्स्यिकी सब्सिडी देने वाले देशों में से एक है।
- भारत अन्य उन्नत तरीकों से मछली पकड़ने वाले देशों की तरह संसाधनों का दोहन नहीं करता है और भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र मुख्य रूप से कई मिलियन छोटे पैमाने के पारंपरिक मछुआरों पर निर्भर करता है।
- इसलिये विश्व व्यापार संगठन के वे सदस्य जिन्होंने अतीत में भारी सब्सिडी प्रदान की है और औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के कार्य में लगे हुए हैं तथा जो मछली के स्टॉक में कमी के लिये ज़िम्मेदार है, उन्हें ' प्रदूषणकर्त्ता भुगतान सिद्धांत (Polluter Pays Principle)' एवं 'सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों' के आधार पर सब्सिडी को प्रतिबंधित करने हेतु और अधिक दायित्वों को लेना चाहिये।
- इसलिये विश्व व्यापार संगठन के वे सदस्य जिन्होंने अतीत में भारी सब्सिडी प्रदान की है और औद्योगिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर मछली पकड़ने के कार्य में लगे हुए हैं तथा जो मछली के स्टॉक में कमी के लिये ज़िम्मेदार है, उन्हें ' प्रदूषणकर्त्ता भुगतान सिद्धांत (Polluter Pays Principle)' एवं 'सामान्य लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों' के आधार पर सब्सिडी को प्रतिबंधित करने हेतु और अधिक दायित्वों को लेना चाहिये।
- परिचय:
- समुद्री, तटीय और अंतर्देशीय फिशरीज़ क्षेत्रों में जलीय जीवों का कब्ज़ा है।
- जलीय कृषि के साथ-साथ समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन, प्रसंस्करण, विपणन तथा वितरण दुनिया भर में लाखों लोगों को भोजन, पोषण व आय का स्रोत प्रदान करते हैं।
- कई लोगों के लिये यह उनकी पारंपरिक सांस्कृतिक पहचान का भी हिस्सा है।
- वैश्विक मत्स्य संसाधनों की स्थिरता के लिये सबसे बड़े खतरों में से एक अवैध, असूचित और अनियमित रूप से मछली पकड़ना है।
- भारतीय परिदृश्य:
- भारत विश्व में जलीय कृषि के माध्यम से मछली उत्पादक दूसरा प्रमुख देश है, जो वैश्विक उत्पादन का 7.56% हिस्सा है और देश के सकल मूल्यवर्द्धित (GVA) में लगभग 1.24% और कृषि GVA में 7.28% से अधिक का योगदान देता है।
- मत्स्य पालन और जलीय कृषि लाखों लोगों के लिये भोजन, पोषण, आय और आजीविका का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- भारत का लक्ष्य वर्ष 2024-25 तक 22 मिलियन मीट्रिक टन मछली उत्पादन करना है।
- मत्स्य पालन क्षेत्र ने पिछले कुछ वर्षों में तीन बड़े परिवर्तन देखे हैं:
- अंतर्देशीय जलीय कृषि का विकास, विशेष रूप से मीठे पानी की जलीय कृषि।
- मछली पकड़ने में मशीनीकरण का विकास।
- खारे पानी के झींगा जलीय कृषि की सफल शुरुआत।
- संबंधित सरकारी पहल:
- फिशिंग हार्बर:
- पाँच प्रमुख फिशिंग हार्बर (कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप, पेटुआघाट) को आर्थिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में विकसित करना।
- समुद्री शैवाल पार्क:
- तमिलनाडु में बहुउद्देशीय समुद्री शैवाल पार्क एक हब और स्पोक मॉडल पर विकसित गुणवत्तापूर्ण समुद्री शैवाल आधारित उत्पादों के उत्पादन का केंद्र होगा।
- प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना:
- यह 15 लाख मछुआरों, मत्स्य पालकों आदि को प्रत्यक्ष रोज़गार देने का प्रयास है जो अप्रत्यक्ष रोज़गार के अवसरों के रूप में इस संख्या का लगभग तीन गुना है।
- इसका उद्देश्य वर्ष 2024 तक मछुआरों, मत्स्य पालकों और मत्स्य श्रमिकों की आय को दोगुना करना है।
- ‘पाक बे’ योजना:
- ‘डायवर्सिफिकेशन ऑफ ट्राउल फिशिंग बोट्स फ्रॉम पाक स्ट्रेट्स इनटू डीप सी फिशिंग बोट्स’ नामक यह योजना वर्ष 2017 में ‘केंद्र प्रायोजित योजना’ के तौर पर लॉन्च की गई थी।
- इसे ‘ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
- ‘डायवर्सिफिकेशन ऑफ ट्राउल फिशिंग बोट्स फ्रॉम पाक स्ट्रेट्स इनटू डीप सी फिशिंग बोट्स’ नामक यह योजना वर्ष 2017 में ‘केंद्र प्रायोजित योजना’ के तौर पर लॉन्च की गई थी।
- समुद्री मत्स्य पालन विधेयक, 2021:
- इस विधेयक में ‘मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958’ के तहत पंजीकृत जहाज़ों को ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव शामिल है।
- इस विधेयक में ‘मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958’ के तहत पंजीकृत जहाज़ों को ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव शामिल है।
- फिशिंग हार्बर:
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. 'एग्रीमेंट ऑन एग्रीकल्चर (Agreement on Agriculture)' एग्रीमेंट ऑन एप्लीकेशन ऑफ सैनिटरी एंड फाइटोसैनिटरी मेज़र्स (Agreement on Application of Sanitary and Phytosanitary Measures)' और 'पीस क्लॉज़ (Peace Clause)' शब्द प्रायः समाचारों में किसके मामलों के संदर्भ में आते हैं? (a) खाद्य और कृषि संगठन उत्तर: (c) व्याख्या:
प्रश्न. यदि 'व्यापार युद्ध' के वर्तमान परिदृश्य में विश्व व्यापार संगठन (WTO) को जिंदा बने रहना है, तो विशेष रूप से भारत के हित को ध्यान में रखते हुए इसके सुधार के कौन-कौन से प्रमुख क्षेत्र हैं? (2018, मुख्य परीक्षा) |