मानव-वन्यजीव संघर्ष के प्रबंधन हेतु परामर्श | 08 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अपनी 60वीं बैठक में 'राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड' (National Board of Wildlife- NBWL) की स्थायी समिति ने देश में मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict- HWC) के प्रबंधन हेतु परामर्श को मंज़ूरी दे दी है।
- बैठक में केंद्र प्रयोजित वन्यजीव आवास एकीकृत विकास योजना में मध्यम आकार की जंगली बिल्ली कैराकल (अति संकटग्रस्त जीवों की श्रेणी में शामिल) को शामिल करने हेतु स्वीकृति दी गई है, जिसके तहत इस मध्यम आकार की जंगली बिल्ली (गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों) के संरक्षण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
प्रमुख बिंदु:
परामर्श:
- सशक्त ग्राम पंचायत: परामर्श में वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम, 1972 के अनुसार, संकटग्रस्त वन्यजीवों के संरक्षण हेतु ग्राम पंचायतों को मज़बूत बनाने की परिकल्पना की गई है।
- बीमा राहत: मानव और वन्यजीव संघर्ष के कारण फसलों का नुकसान होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojna) के तहत क्षतिपूर्ति का प्रावधान शामिल है।
- पशु चारा: इसके तहत वन क्षेत्रों के भीतर चारे और पानी के स्रोतों को बढ़ाने जैसे कुछ महत्वपूर्ण कदम शामिल हैं।
- अग्रणीय उपाय: परामर्श में स्थानीय/राज्य स्तर पर अंतर-विभागीय समितियों के निर्धारण, पूर्व चेतावनी प्रणालियों को अपनाने, जंगली पशुओं से बचाव हेतु अवरोधों/घेराबंदी का निर्माण, 24X7 आधार पर संचालित निःशुल्क हॉटलाइन नंबरों के साथ समर्पित क्षेत्रीय नियंत्रण कक्ष, हॉटस्पॉट की पहचान और पशुओं के लिये उन्नत स्टाल-फेड फार्म (Stall-Fed Farm) आदि हेतु विशेष योजनाएँ बनाने तथा उनके कार्यान्वयन की अवधारणा प्रस्तुत की गई है।
- त्वरित राहत: संघर्ष की स्थिति में पीड़ित परिवार को अंतरिम राहत के रूप में अनुग्रह राशि के एक हिस्से का भुगतान 24 घंटे की भीतर किया जाए।
कैराकल बिल्ली के बारे में:
- कैराकल जंगली बिल्ली (कैराकल कैराकल ) भारत में पाई जाने वाली बिल्ली की एक दुर्लभ प्रजाति है। यह पतली एवं मध्यम आकार की बिल्ली है जिसके लंबे एवं शक्तिशाली पैर और काले गुच्छेदार कान होते हैं।
- इस बिल्ली की प्रमुख विशेषताओं में इसके काले गुच्छेदार कान (Black Tufted Ears) शामिल हैं।
- यह बिल्ली स्वभाव में शर्मीली, निशाचर है और जंगल में मुश्किल से ही देखी जाती है।
- निवास स्थान: भारत में इन बिल्लियों की उपस्थिति केवल तीन राज्यों में बताई गई है, ये राज्य हैं- मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान।
- मध्य प्रदेश में इसे स्थानीय रूप से शिया-गोश (Shea-gosh) या सियाह-गश (siyah-gush) कहा जाता है।
- गुजरात में कैराकल को स्थानीय रूप से हॉर्नट्रो (Hornotro) कहा जाता है जिसका अर्थ है ब्लैकबक का हत्यारा।
- राजस्थान में इसे जंगली बिलाव (Junglee Bilao) या जंगली (Wildcat) के नाम से जाना जाता है।
- खतरा: कैराकल को ज़्यादातर पशुधन की सुरक्षा हेतु मारा जाता है लेकिन विश्व के कुछ क्षेत्रों में इसके मांस के लिये भी इसका शिकार किया जाता है।
- संरक्षण स्थिति:
- IUCN रेड लिस्ट: कम चिंतनीय
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची- I
- CITES: परिशिष्ट- I
मानव-वन्यजीव संघर्ष:
- यह जंगली जानवरों और मनुष्यों के बीच परस्पर क्रिया (Interaction) को संदर्भित करता है जिसके कारण लोगों, जानवरों, संसाधनों तथा आवास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- कारण:
- शहरीकरण: आधुनिक समय में तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण ने वन भूमि को गैर-वन भूमि क्षेत्र में तब्दील कर दिया है, परिणामस्वरूप वन्यजीवों के आवास क्षेत्र में कमी आ रही है।
- परिवहन नेटवर्क: वन परिधि या क्षेत्रों के मध्य सड़क और रेल नेटवर्क के विस्तार के कारण प्रायः जानवर सड़कों या रेलवे पटरियों पर आ जाते हैं और उनकी दुर्घटनाओं में मौत हो जाती है या वे घायल हो जाते हैं।
- जनसंख्या: बढ़ती आबादी के कारण संरक्षित क्षेत्रों की परिधि के निकट मानव बस्तियों का निर्माण और खेती, भोजन, चारे आदि के संग्रह के लिये लोगों द्वारा वन भूमि पर अतिक्रमण किये जाने से जंगलों में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है।
- पहल/विकास:
- सर्वोच्च न्यायालय ने हाथियों के गमन मार्ग का अधिकार सुनिश्चित करने के लिये नीलगिरि के हाथी कॉरिडोर में रिसॉर्ट्स (Resorts) को बंद करने का आदेश दिया है। माना जाता है कि "कीस्टोन प्रजातियों" की तरह ही राज्य का कर्तव्य हाथियों की रक्षा करना भी है।
- ओडिशा सरकार ने विभिन्न आरक्षित वन क्षेत्रों के भीतर जंगली हाथियों के लिये खाद्य भंडार को समृद्ध करने हेतु उनके भोजन के लिये सीड बॉल्स को डालना शुरू किया गया है।
- उत्तराखंड सरकार ने मानव-पशु संघर्ष को कम करने, जंगली जानवरों को आवासीय क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोकने और जंगलों से सटे क्षेत्रों में कृषि फसलों तथा पशुधन की रक्षा के लिये पौधों की विभिन्न प्रजातियों को विकसित करके जैव-बाड़ लगाने का काम किया।
- उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में ऐसी घटनाओं के दौरान बेहतर समन्वय और राहत सुनिश्चित करने हेतु राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (State Disaster Response Fund) में सूचीबद्ध आपदाओं के तहत मानव-पशु संघर्ष को शामिल करने हेतु सैद्धांतिक रूप से मंज़ूरी दे दी है।
- भारत के पश्चिमी घाट में मानव-हाथी मुठभेड़ों को रोकने हेतु प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में एक नई संरक्षण पहल टेक्सटिंग (Texting) का उपयोग किया गया है। आसपास के निवासियों को हाथी की गतिविधियों के बारे में सूचित करने के लिये हाथी ट्रैकिंग कॉलर को स्वचालित SMS चिप के साथ जोड़ा गया है।