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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम

  • 12 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जल जीवन मिशन, जापानी इंसेफेलाइटिस- एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम

मेन्स के लिये:

जल जीवन मिशन का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

जल जीवन मिशन (JJM) ने पाँच JE-AES (जापानी इंसेफेलाइटिस-एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) प्रभावित राज्यों में 97 लाख से अधिक घरों में नल के पानी की आपूर्ति की है। 

  • प्राथमिकता वाले पाँच राज्य असम, बिहार, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल हैं।
  • JJM ने वर्ष 2024 तक कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति की परिकल्पना की है। जल शक्ति मंत्रालय योजना के कार्यान्वयन के लिये नोडल मंत्रालय है।

प्रमुख बिंदु:

  • एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES):
    • AES मच्छरों द्वारा प्रेषित  इंसेफेलाइटिस का एक गंभीर मामला है और तेज़ बुखार एवं मस्तिष्क में  सूजन इसकी विशेषता है।
      • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 2006 में AES शब्द को बीमारियों के एक समूह को दर्शाने के लिये किया जो एक-दूसरे के समान प्रतीत होते हैं लेकिन उनके प्रकोप के अराजक वातावरण में अंतर करना मुश्किल होता है।
    • कमज़ोर आबादी: यह रोग सबसे अधिक बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है और इसके कारण रुग्णता और मृत्यु दर काफी अधिक हो सकती है।
    • कारक एजेंट: AES मामलों में वायरस मुख्य प्रेरक एजेंट हैं, हालाँकि पिछले कुछ दशकों में बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन, विषाक्त पदार्थों और गैर-संक्रामक एजेंटों जैसे अन्य स्रोतों की भी सूचना मिली है।
      • जापानी  इंसेफेलाइटिस वायरस (JEV) भारत में AES का प्रमुख कारण है (5%से 35% तक)।
      • हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस, निपाह वायरस, ज़ीका वायरस, इन्फ्लुएंज़ा ए वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, चांदीपुरा वायरस, कण्ठमाला, खसरा, डेंगू, स्क्रब टाइफस, एसपी निमोनिया भी AES के लिये प्रेरक एजेंट के रूप में पाए जाते हैं।
    • लक्षण: भ्रम की स्थिति, भटकाव, कोमा में जाना या बात करने में असमर्थता, तेज़ बुखार, उल्टी, जी मिचलाना और बेहोशी।
    • निदान: भारत में राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम ( National Vector Borne Disease Control Programme- NVBDCP) ने जापानी इंसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis- JEV) के साथ AES का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित  करने सहित प्रहरी साइटों के माध्यम से देशव्यापी निगरानी केंद्र स्थापित किये हैं।
      • प्रहरी निगरानी नेटवर्क में AES/LE का निदान IgM एंटीबॉडी कैप्चर एलिसा (IgM Antibody Capture ELISA) द्वारा किया जाता है और वायरस का पृथक्करण (Virus Isolation) राष्ट्रीय संदर्भ प्रयोगशाला में किया जाता है।
  • भारत में AES की स्थिति:
    • NVBDCP के अनुसार, वर्ष 2018 में 17 राज्यों में 632 मौतों के साथ AES के 10,485 मामलों का निदान किया गया था।
    • भारत में AES के मामलों में 6% मृत्यु दर दर्ज की गई है, लेकिन बच्चों में मृत्यु दर बढ़कर 25% हो गई है।
    • बिहार, असम, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, तमिलनाडु, कर्नाटक और त्रिपुरा सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं।
  • सरकारी पहल: रुग्णता और मृत्यु दर को कम करने हेतु भारत सरकार ने संबंधित मंत्रालयों के अभिसरण के साथ एक बहु-आयामी रणनीति विकसित की है।
    • स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय: जापानी इंसेफेलाइटिस टीकाकरण को मज़बूत और विस्तारित करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य गतिविधियों को मज़बूत करना, JEV/ AEV मामलों का बेहतर नैदानिक प्रबंधन आदि।
    • सुरक्षित जल आपूर्ति के प्रावधान हेतु जल शक्ति मंत्रालय (Ministry of Jal Shakti)।
    •  महिला एवं बाल विकास हेतु कमज़ोर बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाला पोषण प्रदान करना।
    • सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत विकलांगता प्रबंधन एवं पुनर्वास हेतु ज़िला विकलांगता पुनर्वास केंद्र स्थापित करना।
    • मलिन बस्तियों और कस्बों में सुरक्षित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय। 
    • विकलांग बच्चों को शिक्षा हेतु शिक्षा मंत्रालय विशेष सुविधाएंँ उपलब्ध कराएगा।

स्रोत: पी.आई.बी.

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