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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

एंटीबॉडीज़

  • 14 Jan 2021
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में बॉन विश्वविद्यालय (जर्मनी) के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय शोध दल ने SARS-CoV-2 (जोकि कोरोना वायरस का एक कारण है) वायरस के विरुद्ध नोवेल एंटीबॉडी फ्रेगमेंट (नैनोबॉडी) की पहचान की है।

प्रमुख बिंदु:

SARS-CoV-2 के विरुद्ध नैनोबॉडी:

  • एंटीबॉडीज़ के साथ उत्पादन: एक अल्पाका (Alpaca) और एक लामा (llama) में कोरोना वायरस के सतही प्रोटीन के इंजेक्शन (Injection) से उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा न सिर्फ वायरस पर लक्षित एक एंटीबॉडी का उत्पादन किया गया बल्कि यह एक सरल एंटीबॉडी संस्करण भी है जो नैनोबॉडी के आधार के रूप में कार्य कर सकती है।
  • अधिक प्रभावी: 
    • उन्होंने नैनोबॉडीज़ को संभावित रूप से प्रभावी अणुओं में भी संयोजित किया था, जो वायरस के विभिन्न हिस्सों पर एक साथ हमला करते हैं। यह प्रक्रिया रोगाणुओं को उत्परिवर्तन के माध्यम से एंटीबॉडी का प्रभाव उत्पन्न करने से रोक सकने में मददगार होगी
    • नैनोबॉडीज़, वायरस द्वारा अपनी लक्षित कोशिका का सामना करने से पहले एक संरचनात्मक परिवर्तन का रूप लेती है जो किसी कार्य का अप्रत्याशित और नोवेल प्रकार है। संरचनात्मक परिवर्तन के स्थिर रहने की संभावना होती है; इसलिये इस अवस्था में वायरस कोशिकाओं को पोषित कर उन्हें संक्रमित करने में सक्षम नहीं रहता है।

एंटीबॉडी

  • एंटीबॉडी संक्रमण के विरुद्ध प्रतिरक्षा प्रणाली एक महत्त्वपूर्ण साधन है।
  • ये बैक्टीरिया या वायरस की सतह पर संरचनाओं से बँध जाते हैं और उनकी प्रतिकृति बनने से रोकते हैं।
  • यही कारण है कि किसी भी बीमारी के विरुद्ध लड़ाई में महत्त्वपूर्ण कदम बड़ी मात्रा में प्रभावी एंटीबॉडी का उत्पादन और उन्हें रोगियों में इंजेक्ट करना होता है। हालाँकि एंटीबॉडी का उत्पादन करना प्रायः मुश्किल और अपेक्षाकृत लंबी अवधि की प्रकिया है; इसलिये इसे व्यापक उपयोग के लिये उपयुक्त नहीं माना जाता है।

नैनोबॉडीज़

  • नैनोबॉडीज़, एंटीबॉडी के वे टुकड़े होते हैं, जो इतने सरल होते हैं कि उन्हें बैक्टीरिया या खमीर (Yeast) द्वारा उत्पन्न किया जा सकता है, यह कार्य अपेक्षाकृत कम खर्चीला होता है।
  • नैनोबॉडीज़ एक प्रकार के एकल डोमेन एंटीबॉडीज़ होते हैं, जिन्हें VHH एंटीबाडीज़ के नाम से भी जाता है।
  • इन्हें प्रायः पारंपरिक एंटीबॉडी के विकल्प के रूप में देखा जाता है और ये उत्पादन तथा उपयोग दोनों मामलों में एंटीबॉडी से अलग होते हैं, जो कि उनकी उपयुक्तता को प्रभावित करता है।

नैनोबॉडीज़ और पारंपरिक एंटीबाडी के बीच अंतर:

  • संरचना और डोमेन में अंतर
    • पारंपरिक एंटीबॉडी में VH और VL नाम से दो वेरिएबल डोमेन होते हैं, जो एक- दूसरे को स्थिरता प्रदान करते हैं।
    • नैनोबॉडीज़ में केवल VHH डोमेन होता है और इसमें VL डोमेन की कमी होती है, हालाँकि इसके वाबजूद ये अत्यधिक स्थिर रहते हैं। VL डोमेन को कम करने से नैनोबॉडी में एक हाइड्रोफिलिक (पानी में घुलने की प्रवृत्ति) पक्ष शामिल हो जाता है।
      • हाइड्रोफिलिक पक्ष होने का अर्थ है कि नैनोबॉडीज़ में विलेयता और एकत्रीकरण को लेकर कोई चुनौती नहीं उत्पन्न होती है, जो कि पारंपरिक एंटीबॉडी के साथ प्रायः देखा जाता है।
    • नैनोबॉडीज़ के उत्पादन में लगभग उसी प्रोटोटाइप का उपयोग किया जाता है, जो कि एंटीबाडी के उत्पादन में उपयोग होता है। हालाँकि इसमें पारंपरिक एंटीबॉडी की तुलना में कई फायदे जैसे- बेहतर स्क्रीनिंग, बेहतर आइसोलेशन तकनीक आदि भी मौजूद होते हैं, साथ ही इसके उत्पादन की वजह से जानवरों को कोई क्षति नहीं होती है।

Nanobody

  • प्रयोग:
    • नैनोबॉडीज़ पारंपरिक एंटीबॉडी की तुलना में बहुत छोटे होते हैं और इसलिये इनके ऊतक को बेहतर तरीके से समझकर बड़ी मात्रा में इनका उत्पादन अधिक आसानी से किया जा सकता है।
    • नैनोबॉडीज़ तापमान की एक विस्तृत शृंखला में स्थिर होते हैं और 80 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी इनकी कार्यात्मक दक्षता बनी रहती है।
      • नैनोबॉडीज़, गैस्ट्रिक द्रव (Gastric Fluid) के संपर्क में जीवित रहने में सक्षम होने के साथ ही चरम pH स्तर पर भी स्थिर रहते हैं।
    • नैनोबॉडीज़ आनुवंशिक इंजीनियरिंग विधियों के साथ भी अनुकूल होती है, जो बंधन क्षमता में सुधार करने हेतु अमीनो एसिड में परिवर्तन की अनुमति देते हैं।

नैनोबॉडी की सीमाएँ:

  • नैनोबॉडीज़ की तुलना में मोनोक्लोनल और पॉलीक्लोनल एंटीबॉडीज़ का उत्पादन करना थोड़ा सुरक्षित है, क्योंकि नैनोबॉडीज़ के उत्पादन में जैवसंकट/जैव खतरा (Biohazard) होता है जबकि पारंपरिक एंटीबॉडी के उत्पादन में ऐसा कोई खतरा नहीं होता है।
    • जैवखतरा मुख्य रूप से खतरनाक जीवाणुभोजी (वायरस का कोई भी समूह जो बैक्टीरिया को संक्रमित करता है) के उपयोग से उत्पन्न होता है। इसके अन्य स्रोतों में प्लास्मिड, एंटीबायोटिक्स और पुनः संयोजक डीएनए शामिल हैं। इन सामग्रियों के सुरक्षित निराकरण की आवश्यकता होती है।
      • पॉलीक्लोनल (Polyclonal) एंटीबॉडीज़, कई अलग-अलग प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करके बनाए जाते हैं।
      • मोनोक्लोनल (Monoclonal) एंटीबॉडीज़, समान प्रतिरक्षा कोशिकाओं का उपयोग करके बनाए जाते हैं इसके सभी क्लोन एक विशिष्ट मूल कोशिका के होते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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