आधार सेवाओं में रुकावट | 24 Nov 2023

प्रिलिम्स के लिये:

आधार सेवाओं में रुकावट, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI), वन-टाइम पासकोड, आधार सेवाओं का प्रबंधन

मेन्स के लिये:

आधार सेवाओं में रुकावट, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनकी रूपरेखा और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने खुलासा किया है कि वर्ष 2023 में आधार प्रमाणीकरण सेवाओं में अत्यधिक रुकावट आई थी, जिससे आधार सेवाओं की विश्वसनीयता को लेकर चिंता बढ़ गई है।

  • SMS द्वारा वन-टाइम पासकोड भेजने में देरी हुई तथा आधार सर्वर को भी प्रमाणीकरण में 'रुक-रुक कर' तथा 'मामूली अस्थिरता' का सामना करना पड़ा। यह स्थिति सितंबर 2023 तक पूरे वर्ष में कई घंटों तक रही, जो कुल 54 घंटे तथा 33 मिनट की रुकावट थी।

आधार प्रमाणीकरण क्या है?

  • परिचय:
    • आधार प्रमाणीकरण एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा आधार संख्या के साथ जनसांख्यिकीय (जैसे- नाम, जन्म तिथि , लिंग आदि) अथवा व्यक्ति की बायोमीट्रिक सूचना (फिंगरप्रिंट अथवा आइरिस) की जानकारी तथा इसके सत्यापन के लिये UIDAI के सेंट्रल आइडेंटिटीज़ डेटा रिपॉजि़टरी (CIDR) भेजी जाती है, UIDAI आधार संख्या के लिये प्रस्तुत उपलब्ध सूचना के आधार पर विवरण की शुद्धता या इसमें कमी आदि का पुष्टिकर्त्ता है।
      • आधार प्रमाणीकरण सेवाओं तक पहुँच प्राप्त करने के लिये आवश्यक है, जिससे व्यक्तियों को राशन अथवा सरकारी सेवाओं तक पहुँचने जैसे कार्यों के लिये अपनी पहचान सत्यापित करने हेतु फिंगरप्रिंट अथवा SMS पासकोड का उपयोग करने की आवश्यकता होती है।
  • चिंता:
    • वर्ष 2023 में लंबे समय तक तथा निरंतर होने वाली रुकावटें, आधार सेवाओं की समग्र विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं, विशेषकर वर्ष 2009 में प्लेटफॉर्म के लॉन्च के बाद से उसने 100 बिलियन से अधिक प्रमाणीकरण संसाधित किये हैं।
  • हाल के आधार प्रमाणीकरण में रुकावट के निहितार्थ:
    • आवश्यक सेवाओं तक पहुँच: आधार प्रमाणीकरण सरकारी कल्याण कार्यक्रमों, राशन और अन्य अधिकारों सहित आवश्यक सेवाओं की एक विस्तृत शृंखला तक पहुँचने के लिये अभिन्न अंग है। आउटेज़ के परिणामस्वरूप व्यक्ति इन सेवाओं तक समय पर पहुँच से वंचित हो सकते हैं, जिससे संभावित कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
    • सरकारी कार्यक्रमों पर प्रभाव: सरकारी पहल प्रायः सेवा वितरण को सुव्यवस्थित करना आधार प्रमाणीकरण पर निर्भर करता है। आउटेज़ इन कार्यक्रमों के सुचारु कार्यान्वयन को बाधित कर सकता है, जिससे लक्षित लाभार्थी और कल्याणकारी योजनाओं की समग्र प्रभावशीलता प्रभावित हो सकती है।
    • वित्तीय लेन-देन: आधार-सक्षम सेवाएँ, जैसे- एटीएम लेन-देन, प्रमाणीकरण पर निर्भर करती हैं। इस व्यवधान के कारण व्यक्तियों की वित्तीय लेन-देन करने की क्षमता बाधित हो सकती है, जिससे उनकी दिन-प्रतिदिन की वित्तीय गतिविधियाँ और बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच प्रभावित हो सकती है।
    • जनता का भरोसा और विश्वास: बार-बार रुकावटें आधार सेवाओं की विश्वसनीयता के प्रति जनता के विश्वास को खत्म कर सकती हैं। नागरिक अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं के लिये आधार पर निर्भर हैं और रुकावट के कारण व्यक्तिगत जानकारी को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने तथा सुचारु सेवा वितरण की सुविधा प्रदान करने की क्षमता में कमी आ सकती है।

आधार क्या है?

  • आधार भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी की गई 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या है। यह नंबर भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।
  • आधार नंबर प्रत्येक व्यक्ति के लिये अद्वितीय है और जीवन भर वैध रहेगा।
  • आधार नंबर निवासियों को उचित समय पर बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सेवाओं का लाभ उठाने में मदद करेगा।
  • यह जनसांख्यिकीय और बायोमेट्रिक जानकारी के आधार पर व्यक्तियों की पहचान स्थापित करता है।
  • यह एक स्वैच्छिक सेवा है जिसका लाभ प्रत्येक निवासी वर्तमान दस्तावेज़ के बावजूद उठा सकता है।

आगे की राह

  • आधार सेवाओं के प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता है।
  • पारदर्शिता का जन जागरूकता से गहरा संबंध है। व्यक्तियों को सेवा व्यवधानों के विषय में सूचना प्राप्त करने का अधिकार है, खासकर जब आवश्यक सेवाओं तक उनकी पहुँच प्रभावित होती है। जानकारी की कमी ऐसी चुनौतियों से निपटने और सार्वजनिक भागीदारी को बाधित कर सकती है।
  • यह रुकावट आधार का दीर्घकालिक प्रणालीगत लचीलापन सुनिश्चित करने के लिये उसके तकनीकी बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने के महत्त्व पर प्रकाश डालती है। इसमें न केवल तात्कालिक मुद्दों को संबोधित करना शामिल है बल्कि भविष्य में व्यवधानों को रोकने के लिये प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा तथा निरंतर निगरानी में सक्रिय रूप से निवेश करना भी शामिल है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)  

  1. आधार कार्ड का उपयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता हैै। 
  2. एक बार जारी होने के बाद आधार संख्या को जारीकर्त्ता प्राधिकारी द्वारा समाप्त या छोड़ा नहीं जा सकता है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2 
(c) 1 और 2 दोनों  
(d) न तो 1 और न ही 2  

उत्तर: (d) 

व्याख्या:

  • आधार प्लेटफॉर्म सेवा प्रदाताओं को निवासियों की पहचान को सुरक्षित और त्वरित तरीके से इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रमाणित करने में मदद करता है, जिससे सेवा वितरण अधिक लागत प्रभावी एवं कुशल हो जाता है। भारत सरकार और UIDAI के अनुसार, आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। 
  • हालाँकि UIDAI ने आकस्मिकताओं का एक सेट भी प्रकाशित किया है जो उसके द्वारा जारी आधार की अस्वीकृति के लिये उत्तरदायी है। मिश्रित या विषम बायोमेट्रिक जानकारी वाला आधार निष्क्रिय किया जा सकता है। आधार का लगातार तीन वर्षों तक उपयोग न करने पर भी उसे निष्क्रिय किया जा सकता है।