कृषि
PMFBY की 9वीं वर्षगाँठ
- 18 Feb 2025
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), खरीफ, तिलहन फसलें, रबी, बागवानी फसलें, पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS), MSP, FPO। मेन्स के लिये:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की मुख्य विशेषताएँ, PMFBY से संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह। |
स्रोत: पी.आई.बी.
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2025 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) की 9वीं वर्षगाँठ है, जिसे अप्रत्याशित प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों को होने वाले फसल नुकसान से सुरक्षा प्रदान करने के लिये वर्ष 2016 में शुरू किया गया था।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने PMFBY और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (RWBCIS) को वर्ष 2025-26 तक जारी रखने की मंज़ूरी दी है।
PMFBY क्या है?
- परिचय: PMFBY एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं, कीटों या बीमारियों के कारण फसल बर्बाद होने की स्थिति में किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- पात्रता: अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों और किराएदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।
- इसमें किसानों की भागीदारी स्वैच्छिक है और गैर-ऋणी किसानों की PMFBY के तहत कुल कवरेज में 55% हिस्सेदारी है।
- जोखिम कवरेज: PMFBY के तहत विभिन्न जोखिमों के लिये व्यापक कवरेज प्रदान किया गया है।
- प्राकृतिक आपदाएँ: बाढ़, सूखा, चक्रवात, ओलावृष्टि, भूस्खलन और बेमौसम बारिश।
- कीट एवं रोग: कीट संक्रमण और पौधों के रोग।
- कटाई के बाद की हानियाँ: इसके तहत कटाई के 14 दिनों के अंदर होने वाली हानियों को कवर किया गया है, मुख्यतः "कटी हुई" स्थितियों में संग्रहीत फसलों के लिये।
- समय पर बुवाई न होना: यदि प्रतिकूल मौसम के कारण बुवाई रोक दी जाती है तो किसान बीमा राशि के 25% तक क्षतिपूर्ति दावे के लिये पात्र होते हैं।
- वहनीय प्रीमियम: इसके तहत खरीफ फसलों के लिये 2%, रबी फसलों के लिये 1.5% और वार्षिक वाणिज्यिक या बागवानी फसलों के लिये 5% की दर से वहनीय प्रीमियम है।
- सरकार पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश के किसानों के लिये संपूर्ण प्रीमियम का भुगतान करती है।
- प्रौद्योगिकी प्रगति:
- उपग्रह इमेजरी और ड्रोन: इस योजना में प्रौद्योगिकी के माध्यम से फसल क्षेत्र अनुमान, उपज संबंधी विवाद और फसल हानि आकलन किया जाता है।
- फसल कटाई प्रयोग (CCE): CCE-एग्री ऐप फसल उपज के आँकड़ों को राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) पर सीधे अपलोड करने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे नुकसान के आकलन में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
- समय पर मुआवज़ा: PMFBY यह सुनिश्चित करती है कि फसल कटाई के दो माह के भीतर दावों का निपटान हो जाए, जिससे किसानों को कर्ज़ के जाल से बचने के लिये समय पर मुआवज़ा मिल सके।
- पात्रता: अधिसूचित क्षेत्रों में अधिसूचित फसलें उगाने वाले बटाईदारों और किराएदार किसानों सहित सभी किसान कवरेज के लिये पात्र हैं।
- वैश्विक स्तर: PMFBY अब 2023-24 में किसानों की संख्या और कवर किये गए हेक्टेयर भूमि के लिहाज से विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना बन गई है।
PMFBY और RWBCIS
- PMFBY किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और रोगों के कारण होने वाले नुकसान हेतु मुआवज़ा देने के लिये वास्तविक फसल नुकसान के आकलन पर निर्भर करती है। इसके विपरीत RWBCIS किसानों को वर्षा, तापमान, आर्द्रता और पवन की गति जैसे पूर्व निर्धारित मौसमी मापदंडों से विचलन के आधार पर मुआवज़ा प्रदान करती है।
- RWBCIS इन मौसमी मापदंडों का उपयोग फसल की उपज़ के लिये प्रॉक्सी के रूप में करती है, ताकि प्रत्यक्ष क्षेत्र-स्तरीय आकलन की आवश्यकता के बगैर, फसल के नुकसान का आकलन किया जा सके और उसकी आपूर्ति की जा सके।
PMFBY के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- विलंबित दावा निपटान: दावा निपटान प्रक्रिया धीमी है, इसमें पारदर्शिता का अभाव है, इससे क्षति की गणना और उपज हानि आकलन पर विवाद जारी रहता है।
- भौगोलिक असमानताएँ: गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में फसल बीमा दावों का बहुमत है, इसमें बिहार, असम और पूर्वोत्तर क्षेत्रों जैसे राज्यों की भागीदारी न्यूनतम है।
- प्रीमियम सब्सिडी से संबंधित समस्याएँ: सब्सिडी भुगतान के लिये लंबे इंतजार के कारण दावों का भुगतान 12-18 महीने तक नहीं हो पाता, जिससे योजना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचा है।
- फसल-पश्चात हानि की समस्याएँ: PMFBY केवल भौतिक क्षति की मात्रा को कवर करती है, यह सड़न या रंग उड़ने जैसी गुणात्मक हानि को कवर नहीं करती है।
- फसल कटाई के बाद नुकसान की भरपाई के लिये 14 दिन तक का समय दिया जाता है। यह छोटी सी समय-सीमा नुकसान की गणना और क्षतिपूर्ति को और अधिक कठिन बना देती है।
- आँकड़ों की कमी: खेत की कीमतों और उपज के आकलन पर विश्वसनीय आँकड़ों का अभाव, साथ ही बटाईदार किसानों के गलत भूमि रिकॉर्ड के कारण क्षति की गणना और योजना का कार्यान्वयन जटिल हो जाता है।
- बीमा और आपदा राहत पृथक्करण: एक प्रमुख मुद्दा बीमा को आपदा राहत से अलग करना है, क्योंकि बीमा वाणिज्यिक जोखिमों का प्रबंधन करता है, जबकि आपदा राहत एक सुरक्षा जाल के रूप में कार्य करता है।
- यह विशेष रूप से MSP व्यवस्था के बाहर बागवानी उत्पादों जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों के लिये चुनौतीपूर्ण है।
आगे की राह:
- किये गये दावे में सुधार: सरकार को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि बीमाकर्त्ता अपनी ज़िम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से निभा रहे हैं और केवल पुनर्बीमा कमीशन प्राप्त करने के लिये सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रमों का उपयोग नहीं कर रहे हैं।
- दावों का निष्पक्ष एवं समय पर निपटान सुनिश्चित करने के लिये एक निगरानी प्रणाली स्थापित की जानी चाहिये।
- छोटे और सीमांत किसानों को संबोधित करना: समुदाय-आधारित बीमा मॉडल और FPO को प्रोत्साहित करने से छोटे और सीमांत किसानों को कवर किया जा सकता है, लेनदेन लागत कम हो सकती है, तथा विवादों को हल करने के लिये एक कानूनी ढाँचा प्रदान किया जा सकता है।
- पहुँच को सुनिश्चित करना: निजी क्षेत्र, बैंक और बीमा कंपनियां एजेंटों और व्यापार संवाददाताओं (BC) का उपयोग करके पीएमएफबीवाई के बारे में जानकारी प्रसारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
- नए जोखिम शामिल करना: बीमा योजनाओं को व्यापक बनाने की आवश्यकता है ताकि जंगली जानवरों से होने वाले नुकसान जैसे जोखिम भी शामिल किये जा सकें। किसान उन क्षेत्रों में दालों जैसी फसलों की खेती करने से बचते हैं जहाँ हाथी और नीलगाय खतरा उत्पन्न करते हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये तथा योजना की कवरेज एवं दक्षता में सुधार के उपाय सुझाइये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: 'प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना' के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) |