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भारतीय राजव्यवस्था

91वांँ संशोधन तथा मंत्रिमंडल सदस्यों की अधिकतम संख्या

  • 27 Apr 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जनहित याचिका (पीआईएल), कैबिनेट मंत्री, 91वांँ संशोधन अधिनियम, 2003

मेन्स के लिये:

जनहित याचिका, संसद

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा कहा गया है कि गोवा के छह बार के मुख्यमंत्री तथा 50 साल से विधायक रहे प्रताप सिंह राणे को लेकर दायर एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation- PIL)) में उनके "कैबिनेट मंत्री के पद की आजीवन स्थिति" को चुनौती देने से संबंधित एक बहस योग्य मुद्दे को उठाया गया है।

  • जनहित याचिका में तर्क दिया गया है कि गोवा में 12 सदस्यीय कैबिनेट है और राणे को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने के परिणामस्वरूप कैबिनेट सदस्यों की संख्या बढ़कर 13 हो जाती है, जो संविधान द्वारा निर्धारित अनिवार्य सीमा से अधिक है।
  • यह सीमा भारतीय संविधान में 91वें संशोधन अधिनियम, 2003 द्वारा निर्धारित की गई थी।

प्रमुख बिंदु 

91वांँ सविधान संशोधन:  

  • संविधान (91वांँ संशोधन) अधिनियम, 2003 के अनुच्छेद 164 में खंड 1A सम्मिलित किया गया जिसके अनुसार, "किसी राज्य की मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या राज्य विधानसभा के सदस्यों की कुल संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये। 
    • इसमें यह भी प्रावधान था कि किसी राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या 12 से कम नहीं होगी। 
  • इसी तरह के संशोधन अनुच्छेद 75 के तहत भी किये गए थे। 
    • इसके अनुसार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर की जाएगी।
    • मंत्रिपरिषद् में प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं होनी चाहिये। 
  • 91वें संशोधन का उद्देश्य बड़ी कैबिनेट और इसके परिणामस्वरूप सरकारी खजाने पर पड़ने वाले आर्थिक भार को रोकना था। 

मंत्रिपरिषद:

  • संविधान का अनुच्छेद 74 मंत्रिपरिषद की स्थिति से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 75 मंत्रियों की नियुक्ति, कार्यकाल, ज़िम्मेदारी, योग्यता, शपथ और वेतन तथा भत्ते से संबंधित है। 
  • मंत्रिपरिषद में मंत्रियों की तीन श्रेणियांँ होती हैं, अर्थात् कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और उप मंत्री। इन सभी मंत्रियों में प्रधानमंत्री का पद सर्वोच्च होता है। 
    • कैबिनेट मंत्री: ये केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों जैसे- गृह, रक्षा, वित्त, विदेश मामले आदि के प्रमुख होते हैं।
      • कैबिनेट केंद्र सरकार का मुख्य नीति निर्धारण निकाय है।
    • राज्य मंत्री: इन्हें या तो मंत्रालयों/विभागों का स्वतंत्र प्रभार दिया जा सकता है या कैबिनेट मंत्रियों के साथ रखा जा सकता है।
    • उप मंत्री: ये कैबिनेट मंत्रियों या राज्य मंत्रियों से संबंधित होते हैं और उनके प्रशासनिक, राजनीतिक और संसदीय कार्यो में सहायता करते हैं।

जनहित याचिका:

  • जनहित याचिका (PIL) का अर्थ है "जनहित" की सुरक्षा के लिये न्यायालय में दायर मुकदमे, जैसे- प्रदूषण, आतंकवाद, सड़क सुरक्षा, निर्माण संबंधी खतरे आदि। 
    • कोई भी ऐसा मामला जिससे व्यापक रूप से जनता के हित प्रभावित होते हैं, का निवारण न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर करके किया जा सकता है।
  • जनहित याचिका को किसी भी क़ानून या किसी अधिनियम में परिभाषित नहीं किया गया है। इसकी व्याख्या न्यायाधीशों द्वारा बड़े पैमाने पर जनता के हित के रूप में  की गई है।  
  • जनहित याचिका न्यायिक सक्रियता के माध्यम से न्यायालयों द्वारा जनता को दी गई शक्ति है।
    • हालाँकि याचिका दायर करने वाले व्यक्ति को न्यायालय की संतुष्टि के लिये यह साबित करना होगा कि याचिका सार्वजनिक हित में दायर की जा रही है, न कि एक निकाय द्वारा केवल मुकदमेबाज़ी के रूप में।
  • न्यायालय मामले का स्वतः संज्ञान ले सकता है या किसी भी सार्वजनिक रूप से जागरूक व्यक्ति की याचिका पर मामले की शुरुआत हो सकती है।
  • जनहित याचिका के तहत जिन मामलों पर विचार किया जाता है, उनमें से कुछ हैं:
    • बंधुआ मज़दूरी से संबंधित मुद्दे
    • उपेक्षित बच्चे
    • श्रमिकों को न्यूनतम मज़दूरी का भुगतान न करना और अनौपचारिक श्रमिकों का शोषण
    • महिलाओं पर अत्याचार
    • पर्यावरण प्रदूषण और पारिस्थितिक संतुलन में गड़बड़ी
    • खाद्य अपमिश्रण
    • विरासत और संस्कृति का रखरखाव
  • जनहित याचिका आंदोलन के युग की शुरुआत न्यायमूर्ति पी.एन. भगवती द्वारा एसपी गुप्ता बनाम भारत संघ 1981 मामले में की गई।
    • इस मामले में यह माना गया कि सार्वजनिक या सामाजिक कार्रवाई समूह का कोई भी सदस्य जो वास्तविक रूप से कार्य करता है, उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226 के तहत) या सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32 के तहत) के रिट क्षेत्राधिकार का आह्वान कर सकता है।
    • जनहित याचिका के माध्यम से कोई भी व्यक्ति उन व्यक्तियों के कानूनी या संवैधानिक अधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ निवारण की मांग कर सकता है जो सामाजिक या आर्थिक या किसी अन्य अयोग्यता के कारण न्यायालय की शरण में नहीं जा सकते हैं।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत  वर्ष के प्रश्न (PYQ):

प्रश्न. निम्नलिखित में से उस कथन का चुनाव कीजिये, जो मंत्रिमंडल स्वरूप की सरकार के अंतर्निहित सिद्धांत को अभिव्यक्त करता है:

(a) ऐसी सरकार के विरुद्ध आलोचना को कम-से-कम करने की व्यवस्था, जिसके उत्तरदायित्व जटिल हैं तथा उन्हें सभी के संतोष के लिये निष्पादित करना कठिन है।
(b) ऐसी सरकार के कामकाज़ में तेज़ी लाने की क्रियाविधि, जिसके उत्तरदायित्व दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
(c) सरकार का जनता के प्रति सामूहिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करने के लिये संसदीय लोकतंत्र की एक क्रियाविधि।
(d) उस शासनाध्यक्ष के हाथों को मज़बूत करने का एक साधन जिसका जनता पर नियंत्रण ह्रासोन्मुख दशा में है।

उत्तर: (C)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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