अंतर्राष्ट्रीय संबंध
LAC पर तनाव कम करने के लिये 5 सूत्रीय योजना पर सहमति
- 12 Sep 2020
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:वास्तविक नियंत्रण रेखा, शंघाई सहयोग संगठन मेन्स के लिये:भारत-चीन सीमा विवाद |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों ने ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ (Line of Actual Control- LAC) पर लगभग 4 महीने से चल रहे तनाव को कम करने के लिये एक पाँच-सूत्री योजना को लागू करने पर सहमति व्यक्त की है।
प्रमुख बिंदु:
- भारत और चीन के विदेश मंत्री ने रूस में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation- SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक से अलग एक द्विपक्षीय बैठक में सीमा विवाद पर बातचीत की।
- इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने स्पष्ट किया कि द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है।
- सीमा पर तनाव को कम करने के लिये दोनों पक्षों द्वारा स्वीकृत योजना के पाँच बिंदु निम्नलिखित हैं -
1. मतभेदों को विवाद न बनने देना: दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि दोनों पक्षों को भारत-चीन संबंधों के विकास पर शीर्ष नेताओं के बीच हुई सहमतियों (वुहान और महाबलीपुरम अनौपचारिक शिखर सम्मेलन) से मार्गदर्शन लेना चाहिये जिसमें मतभेदों को विवाद नहीं बनने देना भी शामिल है।
2. सीमा से सेनाओं को पीछे लाना: दोनों विदेश मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति किसी भी पक्ष के हित में नहीं है। अतः दोनों पक्षों के सीमा सैनिकों को संवाद जारी रखना चाहिये, साथ ही उन्हें शीघ्र ही पीछे हटना चाहिये और तनाव कम करना चाहिये।
3. भारत-चीन सीमा प्रोटोकॉल का पालन : दोनों पक्षों को भारत-चीन सीमा मामलों पर सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन, सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता बनाए रखने और ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने पर भी सहमति व्यक्त की गई जो तनाव को आगे बढ़ा सकती है।
4. संवाद जारी रखना: दोनों पक्षों ने सीमा से जुड़े मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी) के माध्यम से बातचीत जारी रखने पर सहमति व्यक्त की। साथ ही भारत-चीन सीमा मामलों पर ‘परामर्श और समन्वय हेतु कार्य तंत्र’ (Working Mechanism for Consultation and Coordination- WMCC) की बैठकों को जारी रखने पर सहमति व्यक्त की गई। गौरतलब है कि WMCC की शुरुआत वर्ष 2012 में की गई थी।
5. परस्पर विश्वास बढ़ाने के लिये नए कदम उठाना: दोनों मंत्रियों ने इस बात पर सहमति जताई कि जैसे ही स्थिति सामान्य होती है, दोनों पक्षों को सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को बढ़ाने के लिये नए विश्वास निर्माण उपायों (Confidence Building Measures) पर कार्य में तेज़ी लानी चाहिये।
भारत सरकार का पक्ष:
- इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री ने वर्ष 1976 में दोनों देशों के बीच राजदूत स्तर के संबंधों की बहाली और वर्ष 1981 की सीमा वार्ता के बाद से दोनों देशों के संबंधों की मज़बूती में हुई वृद्धि को रेखांकित किया।
- भारतीय विदेश मंत्री ने LAC पर भारी संख्या में चीनी सैनिकों और सैन्य उपकरणों की उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की और इसे वर्ष 1993 और वर्ष 1996 के समझौतों का उल्लंघन बताया।
- गौरतलब है कि वर्ष 1993 के समझौते के तहत दोनों देशों द्वारा LAC पर सेना की उपस्थिति को कम-से-कम करने और शांति तथा स्थिरता बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की गई थी।
- वर्ष 1996 के समझौते के तहत LAC पर शांति बनाए रखने के अन्य प्रयासों के साथ बड़े हथियारों [जैसे-युद्धक टैंक, इन्फैंट्री लड़ाकू वाहन, बंदूकें (हॉवित्ज़र सहित) 75 मिमी या बड़े कैलिबर, 120 मिमी या बड़े कैलिबर के मोर्टार, सतह से सतह पर मिसाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें आदि] को सीमित करने की बात कही गई थी।
- भारतीय पक्ष ने स्पष्ट किया कि सीमा पर पूर्व के सभी समझौतों के पालन की उम्मीद करता है और सीमा पर यथास्थिति बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का भारत द्वारा समर्थन नहीं किया जाएगा।
- साथ ही इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि भारतीय सैनिकों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी समझौतों और प्रोटोकॉलों का गहराई से पालन किया गया है।
परिणाम :
- दोनों पक्षों के विदेश मंत्रियों की बैठक का उद्देश्य ‘सेनाओं को पीछे लाने के सिद्धांतों और लक्ष्यों' पर सहमति स्थापित करना था, जिसे प्राप्त कर लिया गया है।
- हालाँकि दोनों पक्षों के बीच शांति और स्थिरता इस बात पर निर्भर करेगी कि सीमा पर दोनों देशों की सेनाएँ कितनी जल्दी अपनी सामान्य चौकियों पर लौटती हैं।
- गौरतलब है कि कई स्थानों पर दोनों देशों की सामान्य चौकियों की दूरी लगभग 25-30 किमी है।
चीन के रवैये में बदलाव का कारण:
- भारत-चीन सीमा पर हालिया तनाव की स्थिति की शुरुआत के साथ ही ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चीन को विश्वास था कि भारत के पास LAC पर चीन के दावों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
- चीन का यह मत उसके द्वारा शुरूआती महीनों में सेना को पीछे न ले जाने, उपेक्षापूर्ण कूटनीतिक रवैये और सीमा पर आक्रामकता में वृद्धि से भी स्पष्ट होता है।
- हालाँकि इस दौरान भारत द्वारा चीन से ‘यथास्थिति’ बनाए रखने की मांग का तब तक कोई प्रभाव नहीं हुआ जबतक भारतीय सेना ने आगे बढ़कर कई महत्वपूर्ण स्थानों पर कब्ज़ा करते हुए चीनी सेना को चुनौती दी।
- इसके साथ ही भारत द्वारा चीन पर कई प्रकार के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए गए, जैसे-चीनी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश पर सख्ती, सार्वजनिक खरीद नियमों में परिवर्तन और चीनी मोबाइल एप पर प्रतिबंध आदि।
- विशेषज्ञों के अनुसार, भारत द्वारा चीनी आक्रामकता का जवाब देने की राजनीतिक इच्छाशक्ति और इसका समर्थन करने की सैन्य क्षमता के प्रदर्शन ने संभवतः चीन को अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने के लिये विवश किया।
चुनौतियाँ:
- इस बैठक के दौरान दोनों पक्षों ने सीमा पर तनाव कम करने की बात स्वीकार की परंतु किसी भी वक्तव्य में दोनों पक्षों द्वारा सेनाओं को ‘यथास्थिति’ या अप्रैल के तनाव के पहले के स्थान पर लौटने की बात को स्पष्ट नहीं किया गया है।
आगे की राह:
- पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच विदेश मंत्रियों की इस बैठक में हुई बातचीत एक बड़ी उपलब्धि है।
- हालाँकि चीन द्वारा इससे पहले भी कई बार तनाव को कम करने पर सहमति व्यक्त करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
- LAC के हालिया तनाव के दौरान दोनों देशों में एक-दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ा है जो सीमा पर शांति और स्थिरता के प्रयासों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देता है।