अंतर्राष्ट्रीय संबंध
48वीं G-7 बैठक
- 29 Jun 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:G-7, स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी, इथेनॉल सम्मिश्रण, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, कम कार्बन प्रौद्योगिकी मेन्स के लिये:भारत में स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी बाज़ार,महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 48वें G-7 शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री ने G-7 राष्ट्रों को देश में उभर रही स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के विशाल बाज़ार में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया।
- G-7 की वर्ष 2022 की अध्यक्षता जर्मनी के पास है।
- जर्मन प्रेसीडेंसी ने अर्जेंटीना, भारत, इंडोनेशिया, सेनेगल और दक्षिण अफ्रीका को G-7 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है।
G-7:
- यह एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका गठन वर्ष 1975 में किया गया था।
- वैश्विक आर्थिक शासन, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा और ऊर्जा नीति जैसे सामान्य हित के मुद्दों पर चर्चा करने के लिये ब्लॉक की वार्षिक बैठक होती है।
- G-7 देश यूके, कनाडा, फ्राँस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका हैं।
- सभी G-7 देश और भारत G20 का हिस्सा हैं।
- G-7 का कोई औपचारिक चार्टर या सचिवालय नहीं है। प्रेसीडेंसी जो हर साल सदस्य देशों के बीच आवंटित होती है, एजेंडा तय करने हेतु प्रभारी होती है। शिखर सम्मेलन से पहले शेरपा, मंत्री और दूत नीतिगत पहल करते हैं।
- समिट वेबसाइट के अनुसार, वर्ष 2022 तक G-7 देश वैश्विक आबादी का 10%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 31% और वैश्विक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में 21% योगदान देते हैं। चीन एवं भारत, दुनिया के सबसे बड़े सकल घरेलू उत्पाद के आंँकड़ों के साथ दो सबसे अधिक आबादी वाले देश, इस समूह का हिस्सा नहीं हैं।
- वर्ष 2021 में सभी G-7 देशों में सार्वजनिक क्षेत्र का वार्षिक व्यय, राजस्व से अधिक था। अधिकांश G-7 देशों में भी उच्च स्तर का सकल ऋण था, विशेष रूप से जापान (जीडीपी का 263%), इटली (151%) और अमेरिका (133%)।
- G-7 देश वैश्विक व्यापार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं। विशेष रूप से अमेरिका और जर्मनी प्रमुख निर्यातक देश हैं। वर्ष 2021 में दोनों देशों द्वारा विदेशों में एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की वस्तुओं का निर्यात किया गया।
G-7 शिखर सम्मेलन की अन्य मुख्य विशेषताएंँ:
- पीजीआईआई (PGII):
- विकासशील और मध्यम आय वाले देशों को "गेम-चेंजिंग" और "पारदर्शी" बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को वितरित करने हेतु G-7 ने पार्टनरशिप फॉर ग्लोबल इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इन्वेस्टमेंट (Partnership for Global Infrastructure and Investment-PGII) के तहत सालाना सामूहिक रूप से वर्ष 2027 तक 600 बिलियन डॉलर जुटाने की घोषणा की।
- लाइफ कैंपेन:
- भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरनमेंट) अभियान/कैम्पैन पर प्रकाश डाला गया।
- इस अभियान का लक्ष्य पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साहित करना है।
- भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर लाइफ (लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरनमेंट) अभियान/कैम्पैन पर प्रकाश डाला गया।
- रूस-यूक्रेन संकट पर रुख:
- रूस-यूक्रेन संकट के चलते ऊर्जा की कीमतें रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ गई हैं। भारतीय प्रधानमंत्री ने अमीर और गरीब देशों की आबादी के बीच समान ऊर्जा वितरण की आवश्यकता को संबोधित किया।
- रूस-यूक्रेन युद्ध पर प्रधानमंत्री ने अपना रुख दोहराया कि शत्रुता का तत्काल अंत होना चाहिये और बातचीत एवं कूटनीति का रास्ता चुनकर एक संकल्प पर पहुंँचा जाना चाहिये।
स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकी:
- परिचय:
- यह किसी भी प्रक्रिया, उत्पाद या सेवा को संदर्भित करता है जो महत्त्वपूर्ण ऊर्जा दक्षता सुधार, संसाधनों के सतत् उपयोग या पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों के माध्यम से नकारात्मक पर्यावरणीय प्रभावों को कम करता है।
- स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियांँ ऊर्जा मांग की आपूर्ति को बढ़ाकर और पर्यावरणीय चुनौतियों एवं ऊर्जा के अन्य पारंपरिक स्रोतों के उपयोग के चलते उनके प्रभावों से निपटने के साथ आर्थिक विकास को भी सहन करती हैं।
- स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियांँ ऊर्जा कीमांग की आपूर्ति को बढ़ाकर और ऊर्जा के अन्य पारंपरिक स्रोतों के उपयोग के कारण पर्यावरणीय चुनौतियों एवं उनके प्रभावों से निपटने के साथ आर्थिक विकास को भी सहन करती हैं।
- स्वच्छ प्रौद्योगिकी में पुनर्चक्रण, नवीकरणीय ऊर्जा (पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोमास, जल विद्युत, भूतापीय, जैव ईंधन, आदि), सूचना प्रौद्योगिकी, हरित परिवहन, इलेक्ट्रिक मोटर्स, हरित रसायन, विद्युत, ग्रेवाटर, आदि से संबंधित प्रौद्योगिकी की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
- भारत में स्वच्छ प्रौद्योगिकी के लिये उभरता बाज़ार:
- सरकारी विनियम:
- अधिक सक्रिय मीडिया और पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता के साथ भारत अपनी सभी विकास रणनीतियों में पर्यावरण समर्थक रुख अपनाने की ओर अग्रसर है।
- नवीन और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाना:
- नवीन और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाने से भारत को सतत् विकास पथ में मदद मिलेगी क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था अभूतपूर्व दर से बढ़ रही है।
- वैश्विक जलवायु वार्ता:
- जलवायु परिवर्तन पर मौजूदा वैश्विक वार्ताओं ने भारत जैसी तेज़ी से विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर हरित प्रौद्योगिकियों को अपनाने का दबाव डाला है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI):
- भारतीय बाज़ार विदेशी निवेशकों के लिये मज़बूत कारोबारी संभावनाएंँ पेश करता है।
- भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था और ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने एवं प्रदूषण को कम करने के लिये स्वच्छ ऊर्जा की बढ़ती मांग के साथ-साथ चल रहे क्षेत्र में सुधार भारत को पर्यावरण के अनुकूल निवेश के लिये विश्व में सबसे आकर्षक स्थलों में से एक बना रहा है।
- कम कार्बन प्रौद्योगिकियाँ:
- भारत अक्षय बैटरियों और हरित हाइड्रोजन में एक वैश्विक नेता बनने के लिये विशेष रूप से अच्छी स्थिति में है।
- अन्य कम कार्बन प्रौद्योगिकियांँ वर्ष 2030 तक भारत को 80 अरब डॉलर तक का बाज़ार बना सकती हैं।
- सरकारी विनियम:
- भारत में विकास:
- भारत ने गैर-जीवाश्म स्रोतों से 40% ऊर्जा-क्षमता और पेट्रोल में 10% इथेनॉल-मिश्रण का लक्ष्य हासिल किया है।
- भारत में दुनिया का पहला पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा संचालित हवाई अड्डा है।
- भारत अक्षय स्रोतों से सबसे बड़े ऊर्जा उत्पादक देशों में से एक है। विद्युत क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा (बड़े जलविद्युत संयंत्रों को छोड़कर) कुल स्थापित विद्युत क्षमता का 20% हिस्सा है।
स्वच्छ ऊर्जा के लाभ:
- स्वच्छ ऊर्जा वायु प्रदूषण में कमी सहित कई तरह के पर्यावरणीय और आर्थिक लाभ प्रदान करती है।
- विविध स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति आयातित ईंधन पर निर्भरता को भी कम करती है।
- अक्षय स्वच्छ ऊर्जा में निहित लागत भी कम होती है, क्योंकि तेल या कोयले जैसे ईंधन निकालने और परिवहन की कोई आवश्यकता नहीं होती है, ये संसाधन स्वाभाविक रूप से उपलब्ध होते हैं।
- स्वच्छ ऊर्जा मिश्रण के अन्य औद्योगिक लाभ, भविष्य के स्वच्छ ऊर्जा संसाधनों के विकास, निर्माण और स्थापना के लिये रोज़गार का सृजन करते हैं।