तीसरी G-20 FMCBG बैठक | 21 Jul 2020
प्रीलिम्स के लिये:G-20, तीसरी G-20 FMCBG बैठक मेन्स के लिये:G-20 कार्ययोजना |
चर्चा में क्यों?
18 जुलाई को भारत ने सऊदी अरब की अध्यक्षता में आयोजित हुई G-20 के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों (Finance Ministers and Central Bank Governors-FMCBG) की तीसरी बैठक में हिस्सा लिया। इस दौरान COVID-19 महामारी संकट के बीच वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण के साथ ही साल 2020 के लिये अन्य G20 वित्तीय प्राथमिकताओं पर भी बात की गई। पहली बैठक फरवरी 2020 में रियाद, सऊदी अरब में आयोजित हुई थी।
प्रमुख बिंदु
- G-20 कार्ययोजना:
- G-20 कार्य योजना के महत्त्व और प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला गया।
- G-20 कार्ययोजना का 15 अप्रैल, 2020 को आयोजित बैठक में समर्थन किया गया था।
- G-20 कार्ययोजना में स्वास्थ्य प्रतिक्रिया, आर्थिक कदम, मज़बूत और सतत् रिकवरी और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय समन्वय के स्तंभों के तहत सामूहिक प्रतिबद्धताओं की एक सूची प्रस्तुत की गई, जिसका उद्देश्य महामारी से लड़ने में G-20 के प्रयासों में समन्वय स्थापित करना है।
- भारत की प्रतिक्रिया:
- भारत ने COVID-19 के जवाब में आपूर्ति पक्ष और मांग के उपायों को संतुलित करने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।
- भारत ने रेटिंग एजेंसियों द्वारा क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड करने की नीति और विशेष रूप से इमर्जिंग मार्केट इकोनॉमी (ईएमई) जैसे नीतिगत विकल्पों पर इसके हानिकारक प्रभाव के बारे में भी चर्चा की।
- COVID-19 लॉकडाउन से संबंधित एक्ज़िट रणनीतियों के दुष्प्रभावों को संबोधित करने में आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय समन्वय पर भी चर्चा की गई।
- G-20 वित्तीय ट्रैक डिलिवरेबल्स (Finance Track deliverables): FMCBG ने सऊदी अरब प्रेसीडेंसी के तहत G-20 फाइनेंस ट्रैक डिलिवरेबल्स के घटनाक्रम पर चर्चा की। भारत ने ऐसे दो डिलिवरेबल्स पर चर्चा की:
- पहला, महिलाओं, युवाओं और SME के लिये अवसरों तक पहुँच बढ़ाना और पहुँच के लिये नीतिगत विकल्पों का एक मेन्यू तैयार करना।
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दूसरा, अंतर्राष्ट्रीय कराधान के एजेंडे और डिजिटल कराधान से संबंधित चुनौतियों का समाधान सरल, समावेशी और एक मज़बूत आर्थिक प्रभाव के आकलन पर आधारित हो।
- महामारी से लड़ने के लिये भारत सरकार द्वारा उठाए गए कुछ नीतिगत कदमों को भी साझा किया गया, जिनमें प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, कृषि और MSME क्षेत्रों को विशेष सहायता, ग्रामीण रोजगार गारंटी उपाय, आदि शामिल हैं।
- भारत ने इस बात पर विशेष बल दिया कि भारत ने राष्ट्रव्यापी डिजिटल पेमेंट ढाँचे (जो भारत ने पिछले पाँच वर्षों में तैयार किया है) का दोहन कर प्रौद्योगिकी आधारित वित्तीय समावेशन को सफलतापूर्वक नियोजित किया है।
- यह संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (United States Trade Representative-USTR) के हालिया निर्णय के अनुरूप है, जिसमें नेटफ्लिक्स, Airbnb आदि अमेरिकी डिजिटल सेवा कंपनियों के राजस्व के संबंध में भारत सहित 10 देशों के विचाराधीन अथवा स्वीकृत कर के विषय में जाँच शुरू करने का निर्णय लिया गया है।
- डिजिटल कंपनियों के व्यवसाय पर कराधान इसलिये कठिन होता है क्योंकि सामान्यतः जिस अर्थव्यवस्था में ये व्यवसाय कर रही होती हैं वहाँ पर इनकी भौतिक रूप से उपस्थिति नहीं होती है।
- ये प्रायः कम कर प्रणालियों में (कम कर वाले देशों में) पंजीकृत होती हैं, जिससे ये अर्थव्यवस्था को लगातार प्रभावित करती रहती हैं अर्थात् अधिक व्यवसायिक लाभ प्राप्त करने के बाद भी उपरोक्त अर्थव्यवस्था में कम कर का भुगतान करती हैं।
- वर्तमान समय में विश्व की बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ बहुत कम कर भुगतान कर रही हैं जो चिंता का विषय बना हुआ है।
G-20
- G-20 समूह की स्थापना वर्ष 1999 में 7 देशों-अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, जर्मनी, जापान, फ्राँस और इटली के विदेश मंत्रियों द्वारा की गई थी।
- सामूहिक रूप से G-20 सदस्य विश्व के आर्थिक उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत, वैश्विक जनसंख्या का दो-तिहाई और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का तीन-चौथाई प्रतिनिधित्व करते हैं।
- G-20 का उद्देश्य वैश्विक वित्त को प्रबंधित करना था। संयुक्त राष्ट्र (United Nation), अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) तथा विश्व बैंक (World Bank) के स्टाफ स्थायी होते हैं और इनके हेड क्वार्टर भी होते हैं, जबकि G20 का न तो स्थायी स्टाफ होता है और न ही हेड क्वार्टर, यह एक फोरम मात्र है।
- वर्ष 2020 में G20 की अध्यक्षता सऊदी अरब कर रहा है।
- वर्ष 2021 में इसका आयोजन इटली में किया जाएगा।
उत्पत्ति
- वर्ष 1997 के वित्तीय संकट के पश्चात् यह निर्णय लिया गया कि दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को एक मंच पर एकत्रित होना चाहिये।
सदस्य:
- इस फोरम में भारत समेत 19 देश तथा यूरोपीय संघ भी शामिल है। जिनमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राज़ील, कनाडा, चीन, यूरोपियन यूनियन, फ्राँस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं।
G20 समूह के उद्देश्य:
- वैश्विक आर्थिक स्थिरता और सतत् आर्थिक संवृद्धि हासिल करने हेतु सदस्यों के मध्य नीतिगत समन्वय स्थापित करना।
- वित्तीय विनियमन (Financial Regulations) को बढ़ावा देना जो कि जोखिम (Risk) को कम करते हैं तथा भावी वित्तीय संकट (Financial Crisis) को रोकते हैं।
- एक नया अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय आर्किटेक्चर बनाना।