शासन व्यवस्था
2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट इन इंडिया: यूनेस्को
- 07 Oct 2021
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट इन इंडिया, यूनेस्को मेन्स के लिये:भारत में शिक्षा की चुनौतियाँ और प्रयास |
चर्चा में क्यों?
विश्व शिक्षक दिवस (5 अक्तूबर) के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 2021 स्टेट ऑफ द एजुकेशन रिपोर्ट इन इंडिया : "नो टीचर, नो क्लास" लॉन्च की।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के बारे में:
- इसके निष्कर्ष बड़े पैमाने पर आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) और शिक्षा के लिये एकीकृत ज़िला सूचना प्रणाली (UDISE) डेटा (2018-19) के विश्लेषण पर आधारित हैं।
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के कार्यान्वयन को बढ़ाने और सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 4 (शिक्षकों पर लक्ष्य 4c) की प्राप्ति के लिये एक संदर्भ के रूप में कार्य करना है।
- लक्ष्य 4c: वर्ष 2030 तक विकासशील देशों, विशेष रूप से कम विकसित देशों और छोटे द्वीपीय विकासशील राज्यों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग सहित योग्य शिक्षकों की संख्या में पर्याप्त वृद्धि करना।
- रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष:
- शिक्षकों की कमी :
- देश में लगभग 1.2 लाख एकल-शिक्षक विद्यालय हैं, जिनमें से 89% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को शिक्षकों की मौजूदा कमी को पूरा करने के लिये 11.16 लाख अतिरिक्त शिक्षकों की ज़रूरत है।
- राज्यों का प्रदर्शन (महिला शिक्षक):
- त्रिपुरा में सबसे कम महिला शिक्षक हैं, इसके बाद असम, झारखंड और राजस्थान का स्थान है।
- महिला शिक्षा के संदर्भ में क्रमशः गोवा, दिल्ली, केरल और चंडीगढ़ सबसे आगे हैं।
- निजी क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि:
- निजी क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों का अनुपात 2013-14 के 21% से बढ़कर 2018-19 में 35% हो गया।
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार, छात्र-शिक्षक अनुपात (PTR) कक्षा 1-5 तक 30:1 और उच्च कक्षाओं में 35:1 होना चाहिये।
- निजी क्षेत्र में कार्यरत शिक्षकों का अनुपात 2013-14 के 21% से बढ़कर 2018-19 में 35% हो गया।
- डिजिटल अवसंरचना की कमी:
- स्कूलों में कंप्यूटिंग डिवाइस (डेस्कटॉप या लैपटॉप) की कुल उपलब्धता शहरी क्षेत्रों में 43% और समग्र भारत के स्तर पर 22% है। शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में कंप्यूटिंग डिवाइस की कुल उपलब्धता मात्र 18% है।
- पूरे भारत में स्कूलों में इंटरनेट की पहुँच शहरी क्षेत्रों में 42% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 14% है और समग्र भारत के स्तर पर यह 19% है।
- सकल नामांकन अनुपात में वृद्धि (GER):
- प्राथमिक विद्यालयों में GER का स्तर वर्ष 2001 के 81.6 से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 93.03 और 2019-2020 में 102.1 हो गया है।
- GER शिक्षा के किसी दिये गए स्तर में नामांकित छात्रों की संख्या है जो विद्यालय-आयु की आबादी के प्रतिशत के रूप में व्यक्त की जाती है।
- 2019-20 में प्रारंभिक शिक्षा के लिये कुल प्रतिधारण (Overall Retention) 74.6% और माध्यमिक शिक्षा में 59.6% है।
- प्राथमिक विद्यालयों में GER का स्तर वर्ष 2001 के 81.6 से बढ़कर वर्ष 2018-19 में 93.03 और 2019-2020 में 102.1 हो गया है।
- शिक्षकों की कमी :
- सिफारिशें:
- पूर्वोत्तर राज्यों, ग्रामीण क्षेत्रों और 'आकांक्षी ज़िलों' में शिक्षकों की संख्या में वृद्धि एवं प्रदर्शन में सुधार।
- शारीरिक शिक्षा, संगीत, कला, व्यावसायिक शिक्षा, प्रारंभिक बचपन और विशेष शिक्षा शिक्षकों की संख्या में वृद्धि।
- शिक्षकों की पेशेवर स्वायत्तता को महत्त्व।
- शिक्षकों का बेहतर कॅरियर।
- शिक्षकों को सार्थक सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) प्रशिक्षण प्रदान करना।
- पारस्परिक जवाबदेही के आधार पर परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से शिक्षण शासन का विकास करना।
- प्रारंभ की गई पहलें: