सामाजिक न्याय
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, 2021
- 03 Jun 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट, 2021 मेन्स के लिये:भारत के हित में देशों की नीतियांँ और राजनीति का प्रभाव, भारत में धार्मिक स्वतंत्रता। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता (IRF) पर 2021 की रिपोर्ट ज़ारी की गई।
- यह दस्तावेज़ अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) द्वारा ज़ारी IRF रिपोर्ट से अलग है।
- USCIRF एक स्वतंत्र, द्विदलीय संघीय सरकारी इकाई है, जबकि IRF अमेरिकी विदेश विभाग का हिस्सा है। पूर्व की रिपोर्ट एक वैधानिक स्थान रखती है।
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता का अमेरिकी कार्यालय:
- पृष्ठभूमि:
- वर्ष 1998 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम (IRFA, 1998) को हस्ताक्षरित किया।
- इस अधिनियम ने अमेरिकी सरकार के विदेश विभाग के तहत एक राजदूत-एट-लार्ज की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के कार्यालय का निर्माण किया और अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की स्थापना की।
- उद्देश्य:
- यूएस ऑफिस ऑफ इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम (IRF) विश्व स्तर पर धार्मिक रूप से प्रेरित दुर्व्यवहार, उत्पीड़न और भेदभाव पर नज़र रखता है।
- इसके अतिरिक्त यह उल्लिखित चिंताओं को दूर करने के लिये नीतियों और कार्यक्रमों की सिफारिश, विकास और कार्यान्वयन करता है।
- IRF में यह भी उल्लेख किया गया है कि यह धर्म और विवेक की स्वतंत्रता को लागू करने के लिये वैश्विक स्तर पर उभरते लोकतंत्रों की सहायता करता है।
- इसके अलावा उन शासनों की पहचान करें और उनकी निंदा करें जो धर्म के आधार पर उत्पीड़न करते हैं और धार्मिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में विश्व स्तर पर गैर सरकारी संगठनों की सहायता करते हैं।
रिपोर्ट की मुख्य बिंदु:
- भारत:
- बढ़ते हमले:
- भारत में लोगों (धार्मिक असहिष्णुता के कारण) और पूजा स्थलों पर हमलों में वृद्धि देखी गई है।
- धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों पर ये हमले वर्ष भर होते रहे हैं जिनमें हत्याएँ और उनको डराना-धमकाना शामिल है।
- इनमें गोहत्या या गोमांस के व्यापार के आरोपों के आधार पर गैर-हिंदुओं के खिलाफ हमले की घटनाएँ भी शामिल थीं।
- धर्मांतरण विरोधी कानून:
- इसके भारत खंड में देश में धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर भी प्रकाश डाला गया है, यह देखते हुए कि 28 राज्यों में ये कानून हैं और उनके तहत गिरफ्तारी की गई थी।
- ये यह भी बताता है कि कई राज्य सरकारों ने धर्मांतरण विरोधी कानूनों को पेश करने की योजना की घोषणा की है।
- पुलिस द्वारा गिरफ्तारियाँ:
- पुलिस ने गैर-हिंदुओं को मीडिया या सोशल मीडिया पर टिप्पणी करने के लिये गिरफ्तार किया, जिन्हें हिंदु धर्म या हिंदुओं के लिये अपमानजनक माना गया था।
- संदिग्ध आतंकी:
- जम्मू-कश्मीर में बिहार के हिंदू प्रवासी श्रमिकों सहित नागरिकों और प्रवासियों को निशाना बनाकर और उनकी हत्या करने वाले हमले भी हुए हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, इसने हिंदू और सिख समुदायों में व्यापक भय पैदा कर दिया है, जिससे कई क्षेत्र से प्रवासियों का पलायन हुआ।
- लिंचिंग:
- वर्ष 2021 में त्रिपुरा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में मुस्लिमों की लिंचिंग की घटनाओं का भी जिक्र है।
- विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम:
- गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के कामकाज को बाधित करने के लिये सरकार द्वारा विदेशी योगदान विनियम अधिनियम का इस्तेमाल किया गया था।
- हालाँकि, सरकार का दावा है कि इस अधिनियम का इस्तेमाल विदेशी गैर सरकारी संगठनों की निगरानी और जवाबदेही को बढ़ाने के लिये किया जाता है।
- बढ़ते हमले:
- वैश्विक स्थिति:
- परिचय:
- वियतनाम और नाइजीरिया को उन देशों के रूप में उद्धृत किया गया है जहाँ धार्मिक अभिव्यक्ति पर अंकुश लगाया जा रहा था।
- धार्मिक स्वतंत्रता प्रतिबंधों वाले देशों के उदाहरणों के एक अन्य वर्ग में अमेरिका सहयोगी देश सऊदी अरब, साथ ही चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं
- चीन मुख्य रूप से मुस्लिम उइगर और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों के नरसंहार और दमन को जारी रखा है।
- पाकिस्तान में, कई लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है, या वर्ष 2021 में अदालतों द्वारा मौत की सजा सुनाई गई है।
- प्रगति :
- मोरक्को, तिमोर लेस्ते, ताइवान और इराक उन देशों के उदाहरण हैं जहांँ धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रगति हुई है।
- कुछ देश नागरिकों के "मूल अधिकारों" का सम्मान नहीं कर रहे थे, जिसमें धर्मत्याग और ईशनिंदा कानूनों का उपयोग करना और धार्मिक अभिव्यक्ति को कम करना- जैसे कि धार्मिक पोशाक को प्रतिबंधित करना शामिल है।
- मोरक्को, तिमोर लेस्ते, ताइवान और इराक उन देशों के उदाहरण हैं जहांँ धार्मिक स्वतंत्रता पर प्रगति हुई है।
- परिचय:
भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25-28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का एक मौलिक अधिकार के रूप में उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 25 (अंतःकरण की स्वतंत्रता एवं धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंधन की स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 27 (किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि हेतु करों के संदाय को लेकर स्वतंत्रता)।
- अनुच्छेद 28 (कुछ विशिष्ट शैक्षिक संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने को लेकर स्वतंत्रता)।
- इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 29-30 में अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा से संबंधित प्रावधान हैं।