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भारतीय राजव्यवस्था

COVID-19 के कारण कैदियों की रिहाई

  • 16 Apr 2020
  • 9 min read

प्रीलिम्स के लिये

राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, COVID-19

मेन्स के लिये 

COVID-19 से उत्पन्न समस्याओं से निपटने में न्याय तंत्र की भूमिका, COVID-19 से निपटने में सरकार के प्रयास 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में देश में COVID-19 के प्रसार को देखते हुए सुरक्षात्मक कदम के तहत देश की विभिन्न जेलों से लगभग 11,077 विचाराधीन कैदियों को रिहा कर दिया गया है।

मुख्य बिंदु:

  • राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority- NALSA) के अनुसार, COVID-19 के कारण देश की विभिन्न जेलों में भीड़ को कम करने के मिशन के तहत इन कैदियों को रिहा किया गया है।
  • NALSA के अनुसार, वर्तमान नियमों में दी गई राहत के तहत जो भी कैदी पैरोल (Parole) या अंतरिम जमानत पर रिहा होने के पात्र हैं, उन्हें NALSA के वकीलों के माध्यम से विधिक सहायता प्रदान की गई है। इसी प्रकार दोषियों (Convicts) को भी आवश्यक विधिक सहायता प्रदान की जा रही है।
  • वर्तमान में NALSA को देश के 232 ज़िलों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार, अब तक लगभग 11,077 विचाराधीन कैदियों और 5,981 दोषियों को रिहा किया जा चुका है।

कैदियों की रिहाई से जुड़े नियमों में ढील का कारण:

  • हाल ही में देश के विभिन्न भागों में COVID-19 के मामलों की संख्या में तीव्र वृद्धि देखी गई है।
  • ध्यातव्य है कि देश में COVID-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने 23 मार्च, 2020 को देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जेलों में बंद कैदियों के मामलों की जाँच करने और उनमें से अंतरिम जमानत या पेरोल पर रिहा किये जा सकने वाले कैदियों की सूची तैयार करने के लिये एक विशेष समिति का गठन करने का आदेश दिया था। 
  • इसी संबंध में 13 अप्रैल, 2020 की सुनवाई उच्चतम न्यायालय ने असम के विदेशी निरोध केंद्रों/फाॅरेनर्स डिटेंशन सेंटर्स (Foreigners’ Detention Centres) में दो वर्ष से अधिक समय तक बंद कैदियों को रिहा किये जाने पर सहमति ज़ाहिर की थी।
  • हालाँकि न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कैदियों को रिहा करने से पहले उनके COVID-19 से संक्रमित होने की जाँच की जाएगी और ऐसे किसी भी कैदी को रिहा नहीं किया जाएगा जो परीक्षण में COVID-19 से संक्रमित पाया जाता है। 
  • ध्यातव्य है कि ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ (National Crime Records Bureau- NCRB) द्वारा पिछले वर्ष जारी ‘भारतीय कारावास आँकड़े’ (Prison Statistics India), 2016 के अनुसा, वर्ष 2016 तक भारतीय जेलों में बंद कुल कैदियों में से 68 प्रतिशत विचाराधीन कैदी (undertrials) थे अर्थात् वे लोग जिन पर दोषसिद्धि होना अभी बाकी था। 
  • COVID-19 की महामारी को देखते हुए उच्चतम न्यायालय ने जेलों में भीड़ (Overcrowding) तथा जेल प्रशासन के दबाव को कम करने के लिये यह फैसला लिया था, जिससे किसी भी आपातकालीन स्थिति को आसानी नियंत्रित किया जा सके।  
  • NALSA के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद ज़मानत पर रिहा किये जा सकने वाले विचाराधीन कैदियों की पहचान के लिये बनी इन उच्चाधिकार प्राप्त समितियों (High-Powered Committee) को स्थानीय विधिक सेवा प्राधिकारियों द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है। 

विधिक सहायता उपलब्ध करने में NALSA की भूमिका: 

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत भारतीय सीमा के अंदर सभी को विधि के समक्ष समानता का अधिकार प्राप्त है और संविधान के अनुच्छेद 39A में राज्यों के लिये विधि तंत्र के माध्यम से न्याय के सामान अवसर तथा उचित कानून व योजनाओं द्वारा या अन्य किसी भी तरीके से नि:शुल्क कानूनी सेवाएँ उपलब्ध कराने की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे
  • वर्ष 1995 में NALSA ने अपनी स्थापना के साथ ही भारतीय संविधान के इन मूल्यों को मज़बूत आधार प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। 
  • ध्यातव्य है कि NALSA की स्थापना ‘विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम” (Legal Services Authorities Act) 1987 के तहत की गई थी तथा भारत का मुख्य न्यायाधीश इसका मुख्य संरक्षक होता है। 
  • देश के न्याय तंत्र के हर स्तर तक NALSA पहुँच ही इसकी सबसे बड़ी विशेषता है। NALSA राष्ट्रीय स्तर (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से), राज्य स्तर (राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से), ज़िला स्तर (जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से) एवं तालुका स्तर पर (तालुका विधिक सेवा समितियों के माध्यम से) निःशुल्क विधिक सेवाएँ प्रदान करता है।
  • वर्तमान में COVID-19 के कारण देश में लागू लॉकडाउन से अन्य सेवाओं के साथ ही लोगों को विधिक सहायता मिलने में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में NALSA ने देश के दूरस्थ क्षेत्रों में भी ज़रूरतमंद लोगों तक विधिक एवं अन्य सहायता उपलब्ध करा कर COVID-19 से उत्पन्न हुई चुनौतियों को कम करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।            

अन्य मामलों में NALSA द्वारा सहयोग:  

  • NALSA के अनुसार, विधिक सेवा प्राधिकारी विधिक सहायता हेल्पलाइन नंबरों और विशेषकर राष्ट्रीय विधिक सहायता हेल्पलाइन नंबर- 15100 पर लगातार लोगों को सहायता उपलब्ध करा रहें हैं। 
  • वर्तमान में हेल्पलाइन नंबरों पर प्राप्त होने वाले मामलों में ज़्यादातर खाद्य पदार्थों की कमी, अपने गृह राज्यों से दूर फँसे प्रवासी मज़दूरों की समस्याएँ, मज़दूरी न मिलने के मामले या किसी हिंसा के शिकार लोगों से संबंधित हैं। 
  • NALSA के अनुसार, विधिक सेवा प्राधिकारियों द्वारा वकीलों के पैनल,  पैरा-लीगल वालंटियर्स (Para Legal Volunteers) और ज़िला प्रशासन के सहयोग से हेल्पलाइन नंबरों पर प्राप्त होने वाली समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।
  • साथ ही  पैरा-लीगल वालंटियर दूरस्थ क्षेत्रों में जाकर भोजन और मास्क वितरण में ज़िला प्रशासन और स्थानीय लोगों का भी सहयोग कर रहे हैं। 

स्रोत: द हिंदू

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