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भारतीय अर्थव्यवस्था

DTH सेवाओं में 100% FDI

  • 28 Dec 2020
  • 10 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Information and Broadcasting- I&B) ने डायरेक्ट-टू-होम (Direct-to-Home- DTH) प्रसारण सेवाओं के लिये संशोधित दिशा-निर्देशों को मंज़ूरी दे दी है, जिनमें 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के साथ-साथ लाइसेंस की अवधि को भी बढ़ाकर 20 वर्ष कर दिया गया है।

  • डायरेक्ट-टू-होम (DTH) ब्रॉडकास्टिंग सर्विस उपग्रह प्रणाली का उपयोग करके केयू बैंड (Ku Band) में मल्टी चैनल टीवी कार्यक्रमों के वितरण से संबंधित है, जो ग्राहकों के घरों में सीधे टीवी सिग्नल प्रदान  करता है।
    • Ku Band, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम का एक हिस्सा है। यह उपग्रह प्रसारण संचार के क्षेत्र में इसके उपयोग के लिये जाना जाता है। आवृत्ति के संदर्भ में Ku Band मध्य में पड़ता है, जो रेडियोफ्रीक्वेंसी के 12-18 गीगाहर्ट्ज़ (GHz) की अनुमानित सीमा का उपयोग करता है।

प्रमुख बिंदु:

लाइसेंस अवधि:

  • वर्तमान में 10 वर्षों की तुलना में 20 वर्ष की अवधि के लिये लाइसेंस जारी किये जाएंगे और 10 वर्ष की अवधि के लिये इसका नवीनीकरण किया जाएगा।

लाइसेंस शुल्क:

  • लाइसेंस शुल्क को 10% सकल राजस्व ( Gross Revenue-GR) से समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenue- AGR) के 8% तक संशोधित किया गया है, जिसकी गणना GR में से GST की कटौती करके की जाएगी।
    • समायोजित सकल राजस्व (AGR) दूरसंचार विभाग ( Department of Telecommunications- DoT) द्वारा टेलीकॉम ऑपरेटरों पर लगाया जाने वाला लाइसेंस शुल्क है।

    • इसे स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और लाइसेंस शुल्क में विभाजित किया गया है।

  • इसके अलावा ब्रॉडकास्टिंग फर्मों को अब वार्षिक आधार के बजाय तिमाही आधार पर लाइसेंस शुल्क का भुगतान करना होगा।  

बुनियादी ढाँचे का साझाकरण: सरकार ने DTH ऑपरेटरों को भी बुनियादी ढाँचे को साझा करने की अनुमति दी है।

  • टीवी चैनलों वितरकों को अपने सब्सक्राइबर मैनेजमेंट सिस्टम (SMS) आदि के लिये सामान्य (Common) हार्डवेयर साझा करने की अनुमति होगी।
    • SMS एक सर्वर है जो केबल टीवी डिज़िटल सिस्टम के लिये महत्त्वपूर्ण  है।

लाभ: 

  • संशोधित दिशा-निर्देश DTH सेवा प्रदाताओं को और अधिक कवरेज के लिये निवेश करने में सक्षम बना सकते हैं जिससे वृद्धि तथा उच्च विकास एवं नियमित भुगतान को बढ़ाया जा सकेगा।
  • DTH ऑपरेटरों द्वारा बुनियादी ढाँचे को साझा किये जाने से, दुर्लभ उपग्रह संसाधनों को अधिक कुशलता के साथ उपयोग में लाया जा सकता है और उपभोक्ताओं द्वारा वहन की जाने वाली लागत को कम किया जा सकता है।

पृष्ठभूमि: 

  • पूर्व में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने DTH क्षेत्र में 100% FDI की बात की थी, परंतु सूचना और प्रसारण (I&B) मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के कारण FDI 49% तक ही सीमित था।
  • हाल ही में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने भी सिफारिश की है कि देश में समग्र क्षेत्रों की वृद्धि को बढ़ावा देने के लिये सभी सेट टॉप बॉक्स (STBs) को  इंटरऑपरेबल बनाया जाना चाहिये।
  •  भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने लाइसेंस शुल्क में कमी की सिफारिश वर्ष 2014 में की थी।
  • DTH ऑपरेटर तर्क दे रहे हैं कि जबसे TRAI ने वर्ष 2019 में TV के लिये नया टैरिफ ऑर्डर (NTO) जारी किया है, वे चैनलों के मात्र वाहक बनकर रह गए हैं तथा उनके पास कोई मूल्य निर्धारण शक्ति नहीं रहीं।
  • ओवर द टॉप (OTT) सेवाओं के बढ़ने का असर DTH सदस्यता संख्या पर भी पड़ा है। टेलीकॉम क्षेत्र में उच्च प्रतिस्पर्द्धा के साथ OTT सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को आकर्षक सामग्री और सदस्यता पैकेज दोनों प्रदान करते हैं।

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment- FDI):

  • FDI एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत एक देश (मूल देश) के निवासी किसी अन्य देश (मेज़बान देश) में एक फर्म के उत्पादन, वितरण और अन्य गतिविधियों को नियंत्रित करने के उद्देश्य से संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त करते हैं।
    • यह विदेशी पोर्टफोलियो (Foreign Portfolio Investment-FPI) निवेश से भिन्न है, इसमें विदेशी इकाई केवल एक कंपनी के स्टॉक और बाॅण्ड  खरीदती है लेकिन यह FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण का अधिकार नहीं प्रदान करता है।
  • FDI के प्रवाह में शामिल पूंजी, किसी उद्यम के लिये एक विदेशी प्रत्यक्ष निवेशक द्वारा (या तो सीधे या अन्य संबंधित उद्यमों के माध्यम से) प्रदान की जाती है।
  • FDI में तीन घटक- इक्विटी कैपिटल (Equity Capital), पुनर्निवेशित आय (Reinvested Earnings) और इंट्रा-कंपनी लोन  (Intra-Company Loans) शामिल हैं।

DTH बनाम OTT:

DTH सेवाओं में गिरावट:

  • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2020 से जून 2020 की तिमाही में DTH सेवाओं के औसत सक्रिय ग्राहकों की संख्या  25% की गिरावट (जनवरी से मार्च 2020 की तुलना में) के साथ 54.26 मिलियन रह गई है।
  • एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 55% भारतीय DTH सेवाओं की बजाय OTT सेवाओं का उपयोग करते हैं और वर्तमान में लगभग 87% भारतीय वीडियो देखने के लिये मोबाइल का उपयोग करते हैं।

OTT की सुविधा:

  • जिस सुविधा और आसानी से OTT प्लेटफाॅर्मों का उपयोग किया जाता है वह इसे और अधिक आकर्षक बनाता है। मोबाइल फोन को कहीं भी ले जाया जा सकता है और उपयोगकर्त्ता कभी भी, कहीं भी इंटरनेट उपलब्धता को देखते हुए अपनी इच्छा से कुछ भी देख सकता है।
  • उच्च टैरिफ और DTH में चैनल संयोजन के चुनाव की अरुचिकर प्रक्रिया की तुलना में OTT प्लेटफ़ॉर्म एक बेहतर विकल्प लगता है।

किफायती इंटरनेट सेवाएँ:

  • पिछले कुछ वर्षों में इंटनेट सेवाओं की लागत में भारी गिरावट आई है जिसने ग्रामीण क्षेत्रों सहित औसत उपयोगकर्त्ताओं की संख्या में वृद्धि की है।
  • इंटरनेट की उपलब्धता और स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप को आसानी से कहीं भी ले जाए जाने के कारण नेटफ्लिक्स और अमेज़ॅन प्राइम जैसे OTT प्लेटफाॅर्मों के उच्च शुल्क के बावजूद इनकी खपत अधिक होती है, जो लोगों की मांग और रुचि को दर्शाता है।

DTH-OTT

आगे की राह:

  • भारत, अनुमानित रुप से 200 मिलियन केबल और सैटेलाइट के साथ दर्शकों के लिये सबसे बड़े एकल बाज़ारों में से एक है। OTT, DTH बाज़ार को टेक ओवर करेगा या नहीं, यह विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है। उनमें से एक OTT प्लेटफाॅर्मों की इंटरनेट कनेक्शन पर निर्भरता है जो अभी भी अनियमित है और भारत के आधे से अधिक लोगों के लिये सुलभ नहीं है। 
  • भारत में लगभग दो-तिहाई लोग सक्रिय रूप से इंटरनेट का उपयोग नहीं करते हैं, इसलिये OTT विकल्प बहुत सीमित हो जाते हैं। 
  • इस प्रकार OTT का DTH या केबल कनेक्शन पर टेक ओवर का विचार थोड़ा असामयिक है।
  • प्रसारकों को समझना चाहिये कि दर्शकों को प्राधिकृत प्रोग्रामिंग और मनोरंजन की शक्ति से जीता जाता है। विविध सांस्कृतिक परिवेश में प्रौद्योगिकी और मूल्य निर्धारण के सबसे अच्छे संयोजन द्वारा ही दर्शकों को आकर्षित किया जा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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