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एडिटोरियल


भारतीय अर्थव्यवस्था

फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स

  • 08 Jul 2022
  • 13 min read

यह एडिटोरियल 07/07/2022 को ‘द मिंट’ में प्रकाशित “Packaged goods marketing in rural pockets gets a facelift and a digital push” लेख पर आधारित है। इसमें फास्ट-मूविंग कंज़्यूमर गुड्स (FMCGs) क्षेत्र और इससे संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

संदर्भ

फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCGs) को ऐसे पैकेज-बंद वस्तुओं के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिनकी नियमित रूप से और छोटे अंतरालों पर उपभोग या बिक्री होती है। FMCG उद्योग की कुल बिक्री में घरेलू एवं व्यक्तिगत देखभाल उत्पाद 50%, स्वास्थ्य सेवा उत्पाद 31-32% और खाद्य एवं पेय पदार्थ शेष 18-19% की हिस्सेदारी रखते हैं।

  • FMCG भारतीय अर्थव्यवस्था का चौथा सबसे बड़ा क्षेत्र है । यह लगभग 3 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है, जो भारत में कारखाना रोज़गार का लगभग 5% है। भारत के जीडीपी विकास में इसका महत्त्वपूर्ण योगदान है। मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों के परिदृश्य में सुधार के कारण देश के FMCG क्षेत्र में वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है।
  • रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की रिपोर्टों के अनुसार वर्ष 2022 में FMCG सेक्टर 10-12 प्रतिशत के दोहरे अंकों की वृद्धि के लिये तैयार है। इस संदर्भ में, भारत में FMCG उद्योगों के भविष्य और संबंधित चुनौतियों पर विचार करना प्रासंगिक होगा।

FMCG क्षेत्र के विकास के लिये उत्तरदायी प्रेरक कारक कौन-से हैं?

  • डिजिटलीकरण:
    • एक ऐसे देश में जहाँ आज भी 80% बिक्री स्थानीय किराना स्टोर से होती है, यह सुनिश्चित किया जाना महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि ऐसे चैनलों से ऑर्डर या मांग स्थिर बने रहें। पिछले कुछ वर्षों में कोरोनावायरस महामारी की कई लहरों के दौरान डिजिटलीकरण ने यही सुनिश्चित किया है।
      • कुल FMCG बिक्री की ई-कॉमर्स हिस्सेदारी वर्ष 2030 तक 11% बढ़ने की उम्मीद है।
    • FMCG कंपनियाँ डिजिटल क्षमताओं की मदद से आपूर्तिकर्ताओं, इन्वेंट्री प्रबंधन और वितरक प्रबंधन को एक पारितंत्र के अंदर ला रही हैं।
      • FMCG कंपनियों द्वारा ग्राहकों के व्यवहार का सटीक अनुमान लगाने के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), बिग डेटा और प्रेडिक्टिव एनालिसिस जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जा रहा है, जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि वास्तव में उनके ग्राहकों की क्या दिलचस्पी है।
      • ग्रोफर्स, फ्लिपकार्ट और अमेज़ॅन जैसे ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर और ऑनलाइन रिटेल स्टोर FMCG उत्पादों को अधिक आसानी से उपलब्ध करा रहे हैं।
      • ई-वॉलेट और यूपीआई (UPI) जैसे डिजिटल भुगतान लेनदेन को आसान और अधिक सुविधाजनक बना रहे हैं।
      • भारत में ऑनलाइन उपयोगकर्त्ताओं की संख्या वर्ष 2025 तक 850 मिलियन को पार कर जाने का अनुमान है।
  • सरकार की पहलों और निवेशों में वृद्धि:
    • भारत में FMCG क्षेत्र ने वर्ष 2020 में 18.19 बिलियन डॉलर का सुदृढ़ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्रवाह पाया।
      • वस्तु एवं सेवा कर (GST): FMCG कंपनियों के लिये जीएसटी पर्याप्त अनुकूल रहा है। इसने भारतीय बाज़ार को एक छत्र के नीचे ला दिया है।
        • वस्तु एवं सेवा कर के प्रवर्तन के साथ जीएसटी परिषद ने अधिकांश प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों पर कर की दरों को घटाकर 5% कर दिया है, जिससे खाद्य उत्पादों की खपत में वृद्धि हुई है।
      • इसके साथ ही, नवंबर 2020 में प्रस्तावित उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (PLI) योजना इस क्षेत्र के लिये विनिर्माण क्षमता एवं निर्यात को बढ़ावा देने में अत्यंत लाभप्रद सिद्ध हुई है।
      • FMCG क्षेत्र को भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण के विकास से भी समर्थन प्राप्त होगा।
  • ग्रामीण बाज़ार का विकास:
    • ग्रामीण भारत में खुदरा बाज़ार और ग्रामीण उपभोग में वृद्धि भी FMCG बाज़ार को आगे बढ़ाने के लिये ज़िम्मेदार है।
      • समग्र FMCG व्यय में ग्रामीण भारत के खुदरा बाज़ार का योगदान 36 प्रतिशत है।
  • बढ़ती युवा आबादी :
    • भारत में युवा आबादी की वृद्धि भी उपभोग रुझान को बदल रही है जो ‘रेडी-टू-ईट’ खाद्य संस्कृति की ओर अधिक झुकाव रखती है।
      • भारत की आबादी का 50% से अधिक 25 वर्ष से कम आयु वर्ग की है, जबकि 65% से अधिक लोग 35 वर्ष से कम आयु के हैं।
      • भारत के प्रसंस्करित खाद्य बाज़ार के वर्ष 2020-21 में 263 बिलियन डॉलर से बढ़कर वर्ष 2025 तक 470 बिलियन डॉलर के हो जाने का अनुमान है।
  • बाज़ार में नया उत्पाद:
    • FMCG क्षेत्र विभिन्न उद्योगों की प्रोडक्ट-लॉन्च क्षमता को बढ़ाता है।
      • नवंबर 2021 में ‘Tru Nativ’ नामक एक स्मार्ट न्यूट्रीशन FMCG कंपनी ने भारत का पहला ‘फैमिली फ्रेंड नेचुरल प्रोटीन- एवरीडे प्रोटीन’ (Everyday Protein) लॉन्च किया जो ग्राहकों को प्राकृतिक फूड फोर्टिफिकेशन समाधान प्रदान कर भारत की वृहत पोषक या मैक्रोन्यूट्रिएंट कमियों को दूर करने का उद्देश्य रखता है।
      • ‘Beco’ नामक एक भारतीय स्टार्टअप निम्न-लागत और पर्यावरण-अनुकूल उपभोक्ता वस्तुओं के साथ FMCG बाज़ार में क्रांति ला रहा है।

FMCG क्षेत्र से संबद्ध प्रमुख चुनौतियाँ

  • उच्च मुद्रास्फीति:
    • घरेलू FMCG उद्योग मुद्रास्फीति के उच्च स्तरों से बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिसके कारण कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और मात्रा पर भी असर पड़ा है।
      • अप्रैल-जून 2022 के दौरान शहरी बाज़ारों की तुलना में ग्रामीण बाज़ारों में धीमी वृद्धि देखी गई।
    • प्रभाव:
      • कच्चे तेल की कीमत में वृद्धि का अर्थ है कि कच्चे तेल से जुड़े मध्यवर्ती उत्पाद महंगे हो जाएँगे, जिससे कपड़े और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के लिये इनपुट लागत भी प्रभावित होगी।
      • ईंधन की उच्च कीमतों से माल ढुलाई लागत में वृद्धि होगी। इससे पैकेजिंग की लागत भी बढ़ेगी।
  • नकली उत्पाद:
    • वितरण केंद्र, रिटेल आउटलेट और थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स प्रदाता नकली उत्पादों (Counterfeit Products) की घुसपैठ के लिये सबसे अधिक संवेदनशील या असुरक्षित हैं।
      • नकली उत्पाद जाली या असली उत्पाद के अनधिकृत प्रतिकृति होते हैं।
  • कमज़ोर आपूर्ति शृंखला अवसंरचना:
    • कच्चे माल और ऊर्जा की बढ़ती लागत के साथ ही भंडारण और परिवहन सुविधाओं की कमी भारतीय FMCG बाज़ार के लिये एक बड़ी चुनौती रही है।
      • भारतीय बाज़ार में कोल्ड चेन अवसंरचना की कमी के कारण FMCG की कई श्रेणियों का विकास गंभीर रूप से बाधित हुआ है।
        • कोल्ड चेन अवसंरचना में तापमान-नियंत्रित भंडारण सुविधाएँ और कुशल प्रबंधन प्रक्रियाओं के साथ परिवहन-प्रशिक्षित संचालन और रखरखाव कर्मी शामिल हैं।
  • वृहत भौगोलिक विस्तार:
    • भारत में मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों में दो निकटवर्ती बाज़ारों के बीच बड़ी दूरी की समस्या पाई जाती है।
      • इसका चैनल पार्टनर्स की व्यवहार्यता पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जो अलग-थलग बाज़ारों में कार्यरत होते हैं।

आगे की राह

  • कुशल आपूर्ति शृंखला प्रबंधन:
    • आपूर्ति शृंखला के कुप्रबंधन से होने वाले नुकसान को रोकने के लिये भारत में FMCG कंपनियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपने वितरण चैनल पर अधिक नियंत्रण रखें, न कि इसे बाज़ार की शक्तियों के अधीन छोड़ दें।
  • नकली उत्पादों की रोकथाम:
    • भारतीय FMCG कंपनियाँ अधिक दृश्यता और अनुरेखणीयता (Greater Visibility and Traceability) की पेशकश के साथ खुदरा उद्योग से साझेदारी कर सकती हैं।
      • नकल/जालसाजी पर रोक के लिये नियमित रूप से मौके की जाँच, उचित निगरानी प्रणाली, स्थानीय एवं राष्ट्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग जैसे उपाय किये जा सकते हैं।
  • साइबर सुरक्षा:
    • उपभोक्ता बाज़ार में डिजिटलीकरण निजता के लिये खतरा बनता जा रहा है। FMCG क्षेत्र को एक स्वस्थ राष्ट्रीय साइबरस्पेस के साथ डेटा सुरक्षित करने और उपभोक्ता सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिये।
  • परिवहन लागत में कमी लाना:
    • थर्ड पार्टी लॉजिस्टिक्स पार्टनर के साथ विनिर्माण उद्योग का सहयोग अतिरिक्त शिपिंग लागत को कम करने में मदद कर सकता है।
  • उत्पादन क्षमता बढ़ाना:
    • श्रम की विशेषज्ञता (Specialisation of labour) और अधिक एकीकृत प्रौद्योगिकी (Integrated technology) उत्पादन की मात्रा को बढ़ावा देती है।
      • कुशल श्रमिक कार्यबल के निर्माण के लिये कौशल विकास पर बल दिया जाना चाहिये।
        • नवंबर 2021 में ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) अपनी महत्त्वाकांक्षी ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (DAY-NRLM)’ कार्यक्रम के लिये फ्लिपकार्ट के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया है ताकि स्थानीय व्यवसायों और स्वयं सहायता समूहों (Self-Help Groups- SHGs) को ई-कॉमर्स के दायरे में लाकर उन्हें सशक्त बनाया जा सके।
    • तंत्र के उचित उपयोग से प्रति इकाई उत्पादन लागत को कम किया जा सकता है जिससे उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को बढ़ावा मिलेगा।

अभ्यास प्रश्न: भारत में फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र के विकास को मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों में परिदृश्य के सुधार के साथ बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके विकास के लिये उत्तरदायी प्रेरक कारकों की चर्चा कीजिये।

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