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भारतीय अर्थव्यवस्था

डिजिटल रुपया: आवश्यकता और महत्त्व

  • 07 Dec 2020
  • 14 min read

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में देश में डिजिटल मुद्रा तथा भारत में इसकी संभावनाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

संदर्भ

बीते एक दशक में एथरियम और बिटकॉइन जैसी डिजिटल मुद्राओं या क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती लोकप्रियता ने विश्व भर के अधिकांश केंद्रीय बैंकों को उनके द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा लॉन्च करने पर गंभीरता से विचार करने के लिये मजबूर कर दिया है, जो कि कैशलेस सोसाइटी के लक्ष्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में डिजिटल मुद्रा की कमियों को दूर करने की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण साबित होगी। 

इस संदर्भ में यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) ने यूरोपीय संघ के लिये ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा के मूल्यांकन का इरादा व्यक्त किया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थाओं को किसी भी प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देनों को सुविधा न प्रदान करने का निर्देश दिया था। 

हालाँकि बीते दिनों रिज़र्व बैंक ने संकेत दिया था कि वह सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) विकसित करने की व्यवहार्यता का अध्ययन कर रहा है। विश्व भर में आज ऐसे तमाम देश हैं, जो सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा की संभावना की तलाश कर रहे हैं, जिसमें चीन और अमेरिका जैसे बड़े देश भी शामिल हैं, ऐसे में भारत को डिजिटल मुद्रा विकसित करने हेतु प्रतिस्पर्द्धा में पीछे नहीं रहना चाहिये और जल्द-से-जल्द इस प्रकार की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।

मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर

  • डिजिटल रुपए के महत्त्व को समझने से पूर्व हमें सर्वप्रथम मुद्रा के डिजिटलीकरण और डिजिटल मुद्रा में अंतर को समझना होगा।
  • मौजूदा वास्तविक मुद्रा के डिजिटलीकरण की शुरुआत इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट और इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम के आगमन के साथ हुई थी। इसकी सहायता से वाणिज्यिक बैंक अधिक कुशल और स्वतंत्र तरीके से ऋण के प्रवाह को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है, हालाँकि इससे देश की बुनियादी मुद्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • इसके विपरीत ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा देश की बुनियादी मुद्रा को प्रभावित करती है, जिससे देश के केंद्रीय बैंक को मुद्रा सृजन और आपूर्ति के लिये मौजूदा बैंकिंग प्रणाली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि वह स्वयं डिजिटल करेंसी का सृजन कर इसे सीधे उपभोक्ता तक पहुँचा सकेगा।

सरकार द्वारा नियंत्रित डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता

  • अवैध गतिविधियों पर रोक: एक संप्रभु डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी (एथरियम और बिटकॉइन आदि) के अराजक डिज़ाइन के कारण उत्पन्न होती है, जिसमें डिजिटल मुद्रा के सृजन और रखरखाव की शक्तियाँ प्रयोगकर्त्ताओं अथवा उपभोक्ताओं के पास होती हैं।
    • बिना किसी सरकारी निगरानी और सीमा पार भुगतान में आसानी के कारण इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा का उपयोग प्रायः चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिये काफी आसानी से किया जा सकता है।
    • डिजिटल मुद्रा को नियंत्रित करके केंद्रीय बैंक इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लगा सकता है।
  • अस्थिरता: चूँकि क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल मुद्रा किसी भी संपत्ति अथवा मुद्रा द्वारा समर्थित नहीं होती है और इसका मूल्य केवल मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित किया जाता है, इसलिये बिटकॉइन जैसे अन्य क्रिप्टोकरेंसीज़ के मूल्य में काफी अस्थिरता देखने को मिलती है।
    • केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को किसी संपत्ति अथवा पारंपरिक मुद्रा का समर्थन प्राप्त होगा, जिसके कारण इसका मूल्य अन्य डिजिटल मुद्राओं जैसे एथरियम और बिटकॉइन की तरह अस्थिर नहीं होगा।
  • रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण: अंतर्राष्ट्रीय निपटान बैंक (BIS) द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक, इसमें शामिल होने वाले तकरीबन 80 प्रतिशत केंद्रीय बैंकों ने यह स्वीकार किया कि वे किसी-न-किसी रूप में ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) पर कार्य कर रहे हैं।
    • इसके अलावा चीन भी अपनी डिजिटल रेनमिनबी (चीन की मुद्रा) को लॉन्च करके मुद्रा और भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
    • ऐसे में भारत के लिये डिजिटल करेंसी को लॉन्च करना न केवल वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी काफी आवश्यक है।
  • डिजिटल मुद्रा छद्म युद्ध: चीन अपनी डिजिटल मुद्रा को बढ़ावा देकर एक नए और उन्नत वैश्विक वित्तीय सिस्टम की स्थापना का प्रयास कर रहा है, वहीं अमेरिका भी इसी दिशा में प्रयास कर रहा है। उदाहरण के लिये बीते दिनों अमेरिका की दिग्गज सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक ने लिब्रा (Libra) नामक क्रिप्टोकरेंसी लॉन्च करने की घोषणा की थी, जिससे चीन की डिजिटल मुद्रा से मुकाबले के लिये अमेरिका की डिजिटल मुद्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
    • ऐसे में भारत एक छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध के मुहाने पर खड़ा है, क्योंकि अमेरिका और चीन नए युग के वित्तीय उत्पादों (डिजिटल मुद्रा) के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिये संघर्षरत हैं।
    • इस तरह डिजिटल रुपया न केवल वित्तीय नवाचार की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच इस छद्म युद्ध में भारत की स्थिति को और अधिक मज़बूत करने के लिये भी काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • डॉलर पर निर्भरता को कम करना: यह भारत को अपने सामरिक साझेदारों के साथ व्यापार हेतु लेन-देन की मुद्रा के रूप में डिजिटल रुपया के प्रभुत्त्व को स्थापित करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे डॉलर पर भारत की निर्भरता स्वतः ही कम हो जाएगी।

डिजिटल छद्म युद्ध (Digital Proxy War)

  • अमेरिकी डॉलर को लंबे समय से विश्व व्यापार की प्रमुख मुद्रा माना जाता रहा है और अब तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमेरिकी डॉलर के वर्चस्व को चुनौती नहीं मिली है, जिसके कारण अमेरिका को वैश्विक वित्तीय प्रणाली में काफी लाभ प्राप्त होता है तथा वह इसका उपयोग अपने प्रतिद्वंद्वियों पर प्रतिबंध लगाने हेतु भी करता है।
  • हालाँकि अमेरिका और चीन के बीच हुए व्यापार युद्ध के कारण अब चीन डिजिटल रेनमिनबी का उपयोग करके अधिक उन्नत वित्तीय प्रणाली के निर्माण पर ज़ोर दे रहा है।

डिजिटल रुपए का महत्त्व

  • मौद्रिक नीति का तत्काल प्रभाव: डिजिटल रुपया रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने हेतु प्रत्यक्ष उपकरण प्रदान कर और अधिक सशक्त बनाएगा।
    • डिजिटल रुपए के उपयोग से रिज़र्व बैंक को प्रत्यक्ष रुप से मुद्रा सृजन और आपूर्ति की शक्ति प्रदान होगी, जिससे नीतिगत बदलावों के प्रभावों को तत्काल प्रतिबिंबित किया जा सकेगा, जबकि अब तक रिज़र्व बैंक अपने नीतिगत निर्णयों को लागू करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर है।
  • जमाकर्त्ताओं के हितों की रक्षा: गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के मौजूदा संकट, PMC बैंक घोटाला और भारतीय वित्तीय प्रणाली की मौजूदा स्थिति हमारे मौजूदा बैंकिंग मॉडल की नाजुकता का प्रमाण है।
    • देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नियामकों को अर्थव्यवस्था में लेन-देन और ऋण प्रवाह की निगरानी में मदद करेगा, जिससे घोटालों और धोखाधड़ी की निगरानी करने में सहायता मिलेगी और जमाकर्त्ताओं के पैसे को भी सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी। 
    • इसके अलावा यह निवेशकों को मौजूदा अत्यधिक जोखिम वाली डिजिटल मुद्रा की तुलना में एक अधिक स्थिर और सुरक्षित विकल्प प्रदान करेगा। 
  • बैंकिंग प्रणाली के लिये नया आयाम: डिजिटल रुपया बैंकों की अनुमति अथवा उनके साथ साझेदारी किये बिना भारत की लगभग सभी बड़ी प्रोद्योगिकी कंपनियों को फिनटेक (Fintech) कंपनी के रूप में परिवर्तित कर देगा। तकनीकी कंपनियों के लिये उन ग्राहकों को लुभाना आसान होगा, जिनकी पहुँच बैंकिंग सिस्टम तक नहीं है।
  • कैशलेस सोसाइटी के लिये महत्त्वपूर्ण: सरकार द्वारा समर्थित आधिकारिक डिजिटल मुद्रा आम उपयोगकर्त्ताओं और उपभोक्ताओं को नकदी का उपयोग न करने के प्रति प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण हो सकती है, जो कि कर चोरी पर नियंत्रण हेतु काफी उपयोगी होगा।
    • डिजिटल रुपया स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट की मदद से कैशबैक, पैसे भेजने, ऋण देने, बीमा, शेयर खरीदने और दूसरे वित्तीय लेन-देनों को आसान बना देगा।

निष्कर्ष

भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें तेज़ी से बढ़ती वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपना स्थान तलाशने में मदद करेगा। साथ ही इससे भारतीय नागरिकों को देश की पुरानी बैंकिंग प्रणाली से भी मुक्ति मिलेगी और भारत के बैंकिंग मॉडल में एक नया आयाम जुड़ सकेगा। अर्थव्यवस्था में तरलता, बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाज़ार आदि पर डिजिटल रुपए के प्रभाव को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत के नीति निर्माताओं द्वारा भारत में सरकार समर्थिक डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। चूँकि आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच छद्म डिजिटल मुद्रा युद्ध देखने को मिल सकता है, इसलिये यदि ऐसे में भारत भी अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय तनाव का सामना करना पड़ सकता है, और भारत को इसके लिये पहले से ही तैयार रहना चाहिये।

CBDC

अभ्यास प्रश्न: भारत में ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) यानी केंद्र बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) की संभावनाओं पर चर्चा कीजिये।

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