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डेली न्यूज़


भारतीय अर्थव्यवस्था

विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक

  • 19 Jun 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक सूचकांक में भारत की स्थिति

मेन्स के लिये:

रैंक सुधारने हेतु भारत के प्रयास

चर्चा में क्यों?

वर्ल्ड कॉम्पिटिटिवनेस ईयरबुक (World Competitiveness Yearbook- WCY) के अनुसार भारत ने वार्षिक विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक (World Competitiveness Index) में 43वाँ स्थान बनाए रखा है।

  • विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक एक व्यापक वार्षिक रिपोर्ट और देशों की प्रतिस्पर्द्धात्मकता को लेकर विश्वव्यापी संदर्भ बिंदु है।

प्रमुख बिंदु:

संदर्भ:

  • WCY को पहली बार वर्ष 1989 में प्रकाशित किया गया था और इसका संकलन इंस्टीट्यूट फॉर मनेजमेंट डेवलपमेंट (Institute for Management Development- IMD) द्वारा किया गया है।
    • वर्ष 2021 में IMD ने विश्व की अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड -19 के प्रभाव की जाँच की।
    • यह सूचकांक 64 अर्थव्यवस्थाओं को रैंक प्रदान करता है।
  • कारक: यह चार कारकों (334 प्रतिस्पर्द्धात्मकता मानदंड) की जाँच करके देशों की समृद्धि और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को मापता है:
    • आर्थिक प्रदर्शन
    • सरकारी दक्षता
    • व्यापार दक्षता
    • आधारभूत संरचना

शीर्ष वैश्विक परफॉरमर्स:

  • यूरोप
    • यूरोपीय देश स्विटज़रलैंड (प्रथम), स्वीडन (द्वितीय), डेनमार्क (तीसरे), नीदरलैंड (चौथे) के साथ विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मक रैंकिंग में क्षेत्रीय ताकत प्रदर्शित करते हैं।
  • एशिया
    • शीर्ष प्रदर्शन करने वाली एशियाई अर्थव्यवस्थाओं में, सिंगापुर 5वें, हॉन्गकॉन्ग 7वें, ताइवान 8वें और चीन 16वें स्थान पर है।
      •  विश्व प्रतिस्पर्द्धात्मकता सूचकांक, 2020 में सिंगापुर प्रथम स्थान पर था।
  • अन्य: 
    • संयुक्त अरब अमीरात और संयुक्त राज्य अमेरिका पिछले वर्ष (क्रमशः 9वें और 10वें) की तरह ही अपने स्थान पर बने हुए हैं।

भारत का प्रदर्शन:

  • ब्रिक्स राष्ट्रों की तुलना में: ब्रिक्स देशों में भारत, चीन (16वें) के बाद दूसरे (43वें) स्थान पर है, इसके बाद रूस (45वें), ब्राज़ील (57वें) और दक्षिण अफ्रीका (62वें) का स्थान है।
  • चार कारकों में प्रदर्शन: प्रयोग में लाए गए चार सूचकांकों में सरकारी दक्षता में भारत की रैंकिंग पिछले वर्ष 50 से बढ़कर 46 हो गई, जबकि अन्य मापदंडों जैसे- आर्थिक प्रदर्शन (37वाँ), व्यावसायिक दक्षता (32वाँ) और बुनियादी ढाँचे (49वाँ) में इसकी रैंकिंग पूर्व की भाँती ही बनी रही। 
  • सरकारी दक्षता में सुधार: अधिकांशतः अपेक्षाकृत स्थिर सार्वजनिक वित्त के कारण महामारी के बावजूद वर्ष  2020 में सरकारी घाटा 7% रहा। सरकार ने निजी कंपनियों को सहायता और सब्सिडी भी प्रदान की।
  • भारत का अच्छा प्रदर्शन:
    • भारत की शक्ति दूरसंचार (प्रथम), मोबाइल टेलीफोन लागत (प्रथम), आईसीटी सेवाओं के निर्यात (तीसरे), सेवा व्यवसायों में पारिश्रमिक (चौथा) और व्यापार सूचकाँक (पाँचवें) में निवेश में निहित है।
  • भारत की कमज़ोरी

विश्लेषण:

  • देशों के शीर्ष प्रदर्शन के कारक: नवाचार में निवेश, डिजिटलीकरण, कल्याणकारी लाभ, विविध आर्थिक गतिविधियों, सहायक सार्वजनिक नीति और नेतृत्व जैसे गुण, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक सामंजस्य ने देशों को संकट का बेहतर प्रबंधन करने में मदद की है तथा इस प्रकार इन देशों को प्रतिस्पर्द्धा में उच्च रैंकिंग प्राप्त हुई है।
  •  बेरोजगारी को संबोधित करना: प्रतिस्पर्द्धी अर्थव्यवस्थाएँ दूरस्थ शिक्षा की अनुमति देते हुए एक दूरस्थ कार्य दिनचर्या में परिवर्तन करने में सफल रहीं।
  • सार्वजनिक खर्च: प्रमुख सार्वजनिक खर्च की प्रभावशीलता जैसे- सार्वजनिक वित्त, कर नीति और व्यापार कानून की प्रभावशीलता को कोविड -19 द्वारा प्रभावित अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव को दूर करने के लिये देखा जाता है।

अपनी प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ाने के लिये भारत द्वारा हाल ही में उठाए गए कदम:

  • सरकार ने भारत की विनिर्माण क्षमताओं और निर्यात को बढ़ाने के लिये विभिन्न क्षेत्रों में उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना शुरू की है।
  • आत्मनिर्भर भारत अभियान (या आत्मनिर्भर भारत मिशन) के पाँच स्तंभ हैं- अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढाँचा, प्रणाली, जीवंत जनसांख्यिकी और मांग।

आगे की राह:

  • माइकल पोर्टर के अनुसार एक राष्ट्र जो आर्थिक और सामाजिक प्रगति के बीच संतुलन सुनिश्चित करता है, अपनी उत्पादकता बढ़ा सकता है तथा इसके बाद प्रतिस्पर्द्धात्मकता और इस प्रकार समृद्धि प्राप्त कर सकता है।
  • इसलिये एक ऐसा वातावरण बनाना आवश्यक है जो न केवल व्यवसायों को स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये प्रेरित करे, बल्कि यह सुनिश्चित करे कि औसत नागरिक के जीवन स्तर में भी सुधार हो।
  • सरकारों को कुशल बुनियादी ढाँचे, संस्थानों और नीतियों की विशेषता वाला वातावरण प्रदान करने की आवश्यकता है ताकि उद्यमों द्वारा स्थायी मूल्य निर्माण को प्रोत्साहित किया जा सके।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड

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