‘नदी प्रबंधन का भविष्य’ पर आइडियाथॉन का आयोजन | 04 May 2020
प्रीलिम्स के लिये:आइडियाथॉन, स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन, गंगा क्वेस्ट पुरस्कार, अर्थ-गंगा परियोजना मेन्स के लिये:बेहतर नदी प्रबंधन के सुझाव |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘जल शक्ति मंत्रालय’ (Ministry of Jal Shakti) के ‘राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन’ (National Mission for Clean Ganga- NMCG) और ‘नगरीय मामलों पर राष्ट्रीय संस्थान’ (National Institute of Urban Affairs- NIUA) द्वारा ‘नदी प्रबंधन का भविष्य’ (Future of River Management) विषय पर ‘आइडियाथॉन वेबिनार’ का आयोजन किया।
मुख्य बिंदु:
- इस अंतर्राष्ट्रीय ‘वेबिनार’ में विभिन्न देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के लगभग 500 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
- आइडियाथॉन (IDEAthon) में COVID-19 महामारी के तहत लगाए गए लॉकडाउन तथा नदी प्रबंधन पर इसके प्रभाव से सीखी गई बातों पर मंथन किया गया।
आइडियाथॉन (IDEAthon):
- आइडियाथॉन में विशेषज्ञ आपस में किसी माध्यम (यथा डिजिटल) से जुड़कर आपस में विचार-विमर्श करके किसी समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं।
लॉकडाउन का नदियों पर सकारात्मक प्रभाव:
- COVID-19 महामारी ने जहाँ एक तरफ विश्व के सभी देशों को बुरी तरह प्रभावित किया है वहीं इस महामारी के कुछ सकारात्मक परिणाम भी नजर आ रहे हैं। इन्हीं में से एक है प्राकृतिक पर्यावरण में सुधार का दिखाई देना।
- भारत में पिछले कुछ सप्ताह में गंगा और यमुना नदी की जल गुणवत्ता में उल्लेखनीय रूप से सुधार हुआ है। गंगा डॉल्फिन को गंगा नदी के कई हिस्सों में देखा जाने लगा है।
- वेनिस की नहरों के प्रदूषण स्तर में काफी गिरावट देखी गई है तथा इटली के जल मार्गों में नेविगेशन बंद होने के कारण डॉल्फिन इन जलमार्गों में वापस लौट आई हैं।
आइडियाथॉन आयोजन का उद्देश्य:
- आइडियाथॉन वेबीनार के माध्यम से निम्नलिखित प्रश्नों का हल निकालने की कोशिश की गई:
- लॉकडाउन के दौरान नदी गुणवत्ता में देखे गए सुधार को लंबे समय तक कैसे बनाए रखा जाए?
- नदियों के प्रबंधन में सामाजिक दृष्टिकोण का लाभ कैसे उठाया जा सकता है?
- COVID-19 महामारी से नदी प्रबंधन की दिशा में क्या-क्या सीखा जा सकता है?
- नदी संकट की स्थिति में किस अनुक्रिया तंत्र की आवश्यकता है?
बेहतर नदी प्रबंधन:
- बेहतर नगर नियोजन मॉडल:
- नगरीय नियोजन के नवीन मापदंडों को अपनाने की आवश्यकता है। नगरीय नियोजन को केवल भूमि नियोजन पर आधारित नहीं होना चाहिये अपितु इसे मानवीय नियोजन तथा पारिस्थितिकी नियोजन पर आधारित होना चाहिये।
- लोगों के व्यवहार में परिवर्तन की आवश्यकता:
- नदियों के प्रबंधन में लोगों की भागीदारी आवश्यक है। 'नागरिक सहभागिता कार्यक्रमों' को इस प्रकार तैयार करना चाहिये ताकि लोगों के व्यवहार में स्थायी परिवर्तन हो सके।
- बेहतर कचरा प्रबंधन:
- नदियों में फेंके जाने वाले ठोस कचरे की समस्या को समाप्त करने के लिये उद्योगों और अन्य वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से होने वाले बहिस्त्राव को रोकने के साथ ही सीवेज उत्पादों का प्रशोधन करना अनिवार्य होना चाहिये।
- बहु आयामी दृष्टिकोण:
- नदी बेसिन प्रबंधन की दिशा में बहु-हितधारकों के मध्य 'एकीकृत सूचना प्रणालियों' की आवश्यकता है।
- नदी प्रबंधन योजना को बहु-स्तरीय, बहु-क्षेत्रीय या क्रॉस-लेवल वर्किंग ग्रुप पर आधारित होना चाहिये।
- वाटर गवर्नेंस (Water Governance):
- ‘गुड वाटर गवर्नेंस' के लिये सरकार के अलावा सभी समुदायों, समाजों, गैर सरकारी संगठनों, कार्रवाई समूहों, स्टार्टअप तथा व्यक्तिगत प्रयासों को भी एकीकृत करना होगा।
- पारिस्थितिक मूल्यांकन:
- ‘पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं’ का आर्थिक मूल्यांकन किया जाना चाहिये ताकि प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन किया जा सके।
गंगा नदी के प्रबंधन से जुड़ी प्रमुख पहल:
- स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन (NMCG):
- NMCG को 12 अगस्त, 2011 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (Society Registration Act), 1860 के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत किया गया था।
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इसका कार्यान्वयन जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय (जल शक्ति मंत्रालय) के अंतर्गत किया जाता है।
- गंगा क्वेस्ट पुरस्कार (Ganga Quest Awards):
- यह गंगा नदी पर पहली राष्ट्रीय स्तर की ऑनलाइन क्विज़ है। गंगा नदी के बारे में जागरूकता और ज्ञान प्रसार के लिये एक महीने तक ऑनलाइन क्विज़ आयोजित की गई।
- अर्थ-गंगा परियोजना:
- प्रधानमंत्री ने गंगा नदी से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ ही ‘नमामि गंगे’ परियोजना को ‘अर्थ-गंगा’ जैसे एक सतत् विकास मॉडल में परिवर्तित करने का आग्रह किया था।
- सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, बांध, जैविक खेती को बढ़ावा, मत्स्य पालन, औषध वृक्षारोपण, पर्यटन, परिवहन आदि ‘अर्थ गंगा’ के कुछ प्रमाणिक मॉडल हैं।
निष्कर्ष:
- आइडियाथॉन में विभिन्न विशेषज्ञों की भागीदारी से प्राप्त जानकारी का उपयोग विभिन्न विषयगत क्षेत्रों में सहयोग करने तथा भविष्य में नदियों के बेहतर प्रबंधन में किया जाएगा।