कॉर्पोरेट ऋण के लिये द्वितीयक बाज़ार का विकास | 05 Sep 2019
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) द्वारा टी. एन. मनोहरन (T.N. Manoharan) की अध्यक्षता में गठित पैनल ने देश में कॉर्पोरेट ऋणों (Corporate Loans) के लिये द्वितीयक बाज़ार (Secondary Market) के विकास हेतु कुछ सुझाव दिये हैं।
- द्वितीयक बाज़ार वह बाज़ार है जहाँ निवेशक प्रतिभूतियों को खरीदते एवं बेचते हैं।
पैनल द्वारा दिये गए सुझाव
- कॉर्पोरेट ऋणों की ट्रेडिंग के लिये उपयुक्त मानक विकसित करने हेतु प्रतिभागियों के एक स्व-नियामक निकाय (Self-Regulatory Body-SRB) की स्थापना करना।
- खरीदारों और विक्रेताओं के बीच सूचना विषमता को दूर करने के लिये एक लोन कॉन्ट्रैक्ट रजिस्ट्री (Loan Contract Registry) बनाना।
- ऋणों की नीलामी और बिक्री के लिये एक ऑनलाइन ऋण बिक्री मंच (Online Loan Sales Platform) का निर्माण करना।
- म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और पेंशन फंड जैसी गैर-बैंकिंग संस्थाओं को प्राथमिक तथा द्वितीयक ऋण बाज़ार में भाग लेने हेतु सक्षम करना।
- ज्ञातव्य है कि वर्तमान में बैंक (Banks) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (Non-Banking Financial Companies-NBFCs) ही प्राथमिक और द्वितीयक ऋण बाज़ारों में एकमात्र प्रतिभागी हैं।
- ऋण प्रतिभूतिकरण (Securitisation) की अनुमति देकर उसे द्वितीयक बाज़ार के माध्यम से निवेशकों को ऋण प्राप्ति हेतु प्रोत्साहित करने के लिये एक साधन के रूप में देखा जा सकता है।
- गौरतलब है कि इससे पूर्व सिर्फ सजातीय संपत्तियों (Homogenous Assets) के प्रतिभूतिकरण की ही अनुमति दी गई थी।
प्रतिभूतिकरण का आशय गैर-तरल परिसंपत्तियों (Illiquid Assets) को प्रतिभूतियों में बदलने की प्रक्रिया से है।
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign Portfolio Investors-FPIs) को सीधे बैंकों से दबावग्रस्त ऋण (Distressed Loans) खरीदने की भी अनुमति दे दी गई है।
- वर्तमान में FPI एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियों (Asset Reconstruction Companies-ARC) के माध्यम से दबावग्रस्त ऋणों को खरीदते हैं।
- दबावग्रस्त ऋण उन कंपनियों से संबंधित ऋण होते हैं जो या तो दिवालिया हो चुकी हैं या भविष्य में होने वाली हैं।
एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी
(Asset Reconstruction Companies-ARC)
- ARC एक विशेष प्रकार की वित्तीय संस्था होती है जो बैंक की देनदारी को एक निश्चित मूल्य पर खरीदती है एवं स्वयं उनसे वसूली करती है।
- इस प्रकार की वित्तीय संस्थाओं को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के तहत पंजीकृत किया जाता है।
- ARC बैंकों की मुख्यतः उन परिसंपत्तियों को खरीदती है जो गैर-निष्पादित परिसंपत्ति के रूप में वर्गीकृत की गई हैं।