नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ | 24 Feb 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों एवं स्ट्रोक की रोकथाम और नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम (NPCDCS) के साथ ‘नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़’ (NAFLD) के एकीकरण को लेकर परिचालन दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
- NPCDCS को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत लागू किया जा रहा है। इसे गैर-संचारी रोगों (NCD) की रोकथाम और नियंत्रण हेतु वर्ष 2010 में शुरू किया गया था।
प्रमुख बिंदु
नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD)
- इसका आशय फैटी लीवर के माध्यमिक कारणों जैसे- हानिकारक शराब का उपयोग, वायरल हैपेटाइटिस की अनुपस्थिति में यकृत में वसा का असामान्य संचय है।
- फैटी लिवर की स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब यकृत कोशिकाओं में बहुत अधिक वसा एकत्रित हो जाती है।
- यह एक गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह यकृत की कई अन्य बीमारियों को जन्म देता है, जिसमें सामान्य नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFL- साधारण फैटी लिवर) से लेकर ज़्यादा गंभीर नॉन-अल्कोहलिक स्टेटोहैपेटाइटिस (NASH), सायरोसिस और यहाँ तक कि लिवर कैंसर आदि शामिल हैं।
- स्टेटोहैपेटाइटिस, यकृत में वसा संचय के साथ-साथ उसमें सूजन को संदर्भित करता है।
- सिरोसिस(Cirrhosis) यकृत रोग की जटिलता है, जिसमें यकृत कोशिकाओं की स्थायी क्षति शामिल होती है
- ‘नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़’ (NAFLD) भविष्य में हृदय रोगों, टाइप-2 मधुमेह और अन्य उपापचयी सिंड्रोम जैसे- उच्च रक्तचाप, मोटापा, डिस्लिपिडीमिया, ग्लूकोज़ इनटॉलेरेंस आदि के जोखिम को गंभीर रूप से बढ़ा देता है।
NAFLD के जोखिम:
- उच्च मृत्यु दर:
- पिछले दो दशकों में NASH का वैश्विक बोझ दोगुना से अधिक हो गया है। वर्ष 1990 में NASH के कारण सिरोसिस के 40 लाख प्रचलित मामले देखने को मिले हैं, जो वर्ष 2017 में बढ़कर 94 लाख हो गए।
- मोटापे और मधुमेह से ग्रसित व्यक्तियों के लिये खतरा:
- एक अध्ययन के अनुसार, भारत की 9 से 32 प्रतिशत तक आबादी में ‘नॉन-एल्कोहलिक फैटी लिवर डिज़ीज़’ (NAFLD) का प्रसार है, इसमें भी सबसे अधिक प्रसार उच्च वज़न वाले और मधुमेह या पूर्व-मधुमेह से पीड़ित लोगों में है।
- लाइलाज:
- एक बार जब बीमारी उत्पन्न हो जाती है, तो इसका कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है, स्वस्थ जीवन शैली और वज़न घटाने जैसे उपायों आदि के माध्यम से NAFLD के कारण होने वाली मृत्यु और रुग्णता पर कुछ हद तक काबू करने का प्रयास किया जाता है।
सरकार द्वारा उठाए गए कदम:
- विभिन्न स्तरों पर व्यावहारिक परिवर्तन, शीघ्र निदान और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित कर NAFLD को रोकने और नियंत्रित करने हेतु NPCDCS कार्यक्रम के अनुरूप रणनीति तैयार करना।
- आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat scheme) के तहत कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप की जाँच को बढ़ावा देना।
- ‘ईट राइट इंडिया’ और ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ के साथ स्वास्थ्य निवारक/निरोधक नैदानिक इलाज (Diagnostic Cure to Preventive Health) के सरकार के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाना है।