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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव 2021

  • 05 Jan 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में प्रधानमंत्री ने एक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव 2021 (National Metrology Conclave 2021) का उद्घाटन किया और राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला (National Environmental Standards Laboratory) की आधारशिला भी रखी।

  • इस कॉन्क्लेव का आयोजन काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-नेशनल फिज़िकल लेबोरेटरी (CSIR-NPL), नई दिल्ली द्वारा अपनी स्थापना के 75वें वर्ष के अवसर पर किया गया था।
  • इस अवसर पर नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल (National Atomic Time Scale) और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्रणाली (Bharatiya Nirdeshak Dravya Pranali) को राष्ट्र को समर्पित किया गया।
  • मेट्रोलॉजी को इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ़ वेट्स एंड मेज़र्स (BIPM) द्वारा परिभाषित किया गया है- “माप विज्ञान, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के किसी भी क्षेत्र में अनिश्चितता के किसी भी स्तर पर दोनों के प्रयोगात्मक और सैद्धांतिक निर्धारण को अपनाता है”।

प्रमुख बिंदु:

नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल (National Atomic Time Scale):

  • नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल भारतीय मानक समय को 2.8 नैनो सेकंड की सटीकता प्रदान करता है।
    • 82° 30'E के देशांतर को भारत के' मानक मध्याह्न 'के रूप में चुना गया है, जिसके अनुसार भारतीय मानक समय निर्धारित है।
  • अब भारतीय मानक समय 3 नैनो सेकंड से भी कम सटीक स्‍तर के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुरूप हो गया है। 
  • CSIR-NPL भारत का राष्ट्रीय मापन संस्थान है और भारतीय मानक समय (IST) को स्पष्ट करने तथा इसे बनाए रखने के लिये अधिकृत (संसद के एक अधिनियम द्वारा) है।
  • IST को राष्ट्रीय प्राथमिक समय के पैमाने के माध्यम से CSIR-NPL में स्पष्ट किया जाता है जिसमें अल्ट्रा-स्टेबल एटोमिक क्लॉक ( Ultra Stable Atomic Clock) का एक समूह होता है।
  • CSIR-NPL डिज़िटल बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित करने और साइबर अपराध को कम करने के लिये राष्ट्र में सभी क्लोक्स को IST के साथ सिंक्रनाइज़ करने के मिशन पर अग्रसर है।
  • CSIR-NPL भारत के राष्ट्रीय समय के बुनियादी ढाँचे को मजबूत कर रहा है, जो अनुमानतः GDP के 10% से अधिक के आर्थिक स्तर को प्रभावित कर सकता है।
  • लाभ:
    • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसी उन संस्थाओं के लिये एक बड़ी मदद होगी जो अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम कर रहे हैं। बैंकिंग, रेलवे, रक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, उद्योग 4.0 और इसी तरह के कई क्षेत्रों को इस उपलब्धि से लाभ मिलेगा।
    • हालाँकि भारत पर्यावरण के क्षेत्र में शीर्ष स्थिति की ओर बढ़ रहा है लेकिन वायु की गुणवत्ता और उत्सर्जन को मापने के लिये अभी भी आवश्‍यक प्रौद्योगिकी एवं उपकरणों के लिये दूसरे देशों पर निर्भर है। 
      • इस उपलब्धि से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रदूषण नियंत्रण के लिये अधिक प्रभावी तथा सस्ते उपकरणों के निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगा। 
      • इससे वायु गुणवत्ता और उत्सर्जन प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिये वैश्विक बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी भी बढ़ेगी।

भारतीय निर्देशक द्रव्य प्राणाली (Bhartiya Nirdeshak Dravya Pranali- BND):

  • ये CSIR-NPL द्वारा विकसित भारतीय संदर्भ सामग्री है। SI ट्रेसेबल माप और मेट्रोलॉजी के माध्यम से नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जीवन प्रदान कर विनिर्माण और उपभोक्ता क्षेत्र में उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
    • SI प्रणाली का उपयोग अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली (फ्रेंच से 'सिस्टेम इंटरनेशनल') में माप की इकाइयों का वर्णन करने के लिये किया जाता है।
  • संदर्भ सामग्री (RM) SI इकाइयों के लिये ट्रेसेबल माप के साथ परीक्षण और मापांकन के माध्यम से किसी भी अर्थव्यवस्था की गुणवत्ता के बुनियादी ढाँचे को बनाए रखने में  महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 
    • हाल ही में NPLI ने सोने की शुद्धता और बिटुमिनस कोयले के लिये भारतीय निर्देशक द्रव्य (BNDs) के रूप में दो बहुत महत्त्वपूर्ण प्रमाणित RM जारी किये हैं
  • हाल ही में भारत सरकार ने आयुष, सामग्री, नैनो, चिकित्सा, खाद्य और कृषि तथा जीव विज्ञान के क्षेत्र में BNDs विकसित करके अपने BND कार्यक्रम को मज़बूत करने के लिये NPLI का समर्थन किया है।
  • ट्रेसेबल SI BND की उपलब्धता "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम को बढ़ावा देने और देश के गुणवत्तायुक्त बुनियादी ढाँचे में सामंजस्य बनाए रखने हेतु आवश्यक है।

स्रोत: PIB

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