राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता केंद्र | 02 Dec 2020
चर्चा में क्यों?
वर्ष 2008 के 26/11 मुंबई हमले के बाद स्थापित नौसेना के ‘सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र’ (IMAC), जो समुद्री डेटा संलयन के लिये नोडल एजेंसी है, को शीघ्र ही ‘राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता (NDMA) केंद्र’ के रूप में बदल दिया जाएगा।
प्रमुख बिंदु:
- पृष्ठभूमि:
- समुद्री डोमेन जागरूकता (Maritime Domain Awareness-MDA) तटीय सुरक्षा बढ़ाने से जुड़े महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है, हालाँकि यह बहुत ही चुनौतीपूर्ण कार्य है क्योंकि भारत विश्व के सबसे व्यस्त समुद्री यातायात क्षेत्रों में से एक पर स्थित है।
- इसी वर्ष भारत हिंद महासागर आयोग (IOC) में एक पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हुआ, गौरतलब है कि यह आयोग पश्चिमी/अफ्रीकी हिंद महासागर में एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संस्थान है।
- इससे पहले 2018 में समुद्री सुरक्षा पर क्षेत्रीय देशों के साथ समन्वय स्थापित करने और समुद्री डेटा के क्षेत्रीय भंडार के रूप में कार्य करने के लिये IMAC परिसर में ‘सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र’ (IFC-IOR) की स्थापना की गई थी। वर्तमान में विश्व के 21 साझेदार देशों और 22 बहु-राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ इसका संपर्क है।
- हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) एशिया के बहुत से देशों को वैश्विक बाज़ार से जोड़ने के लिये एक वाणिज्यिक राजमार्ग का कार्य करता है और यह कई देशों की समृद्धि के लिये बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। ऐसे में इस क्षेत्र की हर समय समुद्री आतंकवाद, समुद्री डकैती, तस्करी, अवैध मछली शिकार आदि जैसे खतरों से रक्षा करना आवश्यक है।
समुद्री डोमेन जागरूकता
(Maritime Domain Awareness- MDA):
- अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) के अनुसार, MDA से आशय समुद्री डोमेन से जुड़ी उन सभी चीज़ों की प्रभावी समझ से है जो सुरक्षा, अर्थव्यवस्था या पर्यावरण को प्रभावित कर सकती हैं।
- समुद्री डोमेन से आशय उन सभी क्षेत्र और वस्तुओं से है जो समुद्र, महासागर या अन्य नौगम्य जलमार्ग के अंतर्गत आते हों, सीमा साझा करते हों या अन्य किसी प्रकार से संबंधित हों।
- इसमें सभी समुद्री गतिविधियाँ, बुनियादी ढाँचे, लोग, मालवाहक जहाज़ और अन्य संप्रेषण आदि शामिल हैं।
प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता केंद्र’:
- यह एक बहु-एजेंसी केंद्र होगा जो मत्स्य विभाग से लेकर स्थानीय पुलिस अधिकारियों सहित विभिन्न हितधारकों को समुद्री क्षेत्र में प्राकृतिक, मानवीय तथा अन्य गतिविधियों की जानकारी देगा।
- यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी जोखिम, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय जोखिम को रोका जा सकता है।
सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र
(Information Management and Analysis Centre- IMAC)
- IMAC तटीय निगरानी के लिये भारतीय नौसेना का मुख्य केंद्र है। यह गुरुग्राम (हरियाणा) में स्थित है और इसे वर्ष 2014 में शुरू किया गया था।
- IMAC भारतीय नौसेना (Indian Navy), तटरक्षक (Coast Guard) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड की एक संयुक्त पहल है तथा यह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) के तहत कार्य करता है।
- यह राष्ट्रीय कमान नियंत्रण संचार और खुफिया नेटवर्क (NC3I नेटवर्क) का नोडल केंद्र है।
कार्य:
- IMAC अंतर्राष्ट्रीय जल क्षेत्र में जहाज़ों की आवाजाही की निगरानी करता है तथा यह तटीय रडार, वाइट शिपिंग समझौते (White Shipping Agreements), स्वचालित पहचान प्रणाली (एआईएस) व्यापारी जहाज़ों पर लगाए गए ट्रांसपोंडर, वायु और यातायात प्रबंधन प्रणालियों तथा वैश्विक शिपिंग डेटाबेस से महत्त्वपूर्ण डेटा प्राप्त करता है। यह सागर पहल (Security and Growth for All in the Region-SAGAR) में सूचीबद्ध सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करता है।
- IMAC द्वारा की गई हालिया पहलें:
- वर्ष 2019 में इसने बिम्सटेक (BIMSTEC) देशों के लिये एक तटीय सुरक्षा कार्यशाला का आयोजन किया।
- श्रीलंका के तट से दूर एमटी न्यू डायमंड (पोत) में आग लगने की घटना के दौरान IFC-IOR ने संसाधनों के त्वरित संघटन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप घटना के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया की जा सकी।
नेशनल कमांड कंट्रोल कम्युनिकेशन एंड इंटेलिजेंस नेटवर्क
(National Command Control Communication and Intelligence Network- NC3IN)
- भारतीय नौसेना ने नोडल सूचना प्रबंधन और विश्लेषण केंद्र (IMAC) के साथ नौसेना के 20 और तटरक्षक बल के 31 स्टेशनों सहित कुल 51 स्टेशनों को जोड़ने वाले NC3IN की स्थापना की है।
- NC3IN सभी तटीय रडार (RADAR) शृंखलाओं को जोड़ने वाला एकल बिंदु है और लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी समुद्र तट की एक समेकित तथा वास्तविक स्थिति को प्रदर्शित करता है।
‘वाइट शिपिंग’ समझौता
- ‘वाइट शिपिंग’ समझौता व्यापारिक और गैर-सैन्य जहाज़ों की पहचान तथा आवाजाही पर प्रासंगिक अग्रिम सूचनाओं के आदान-प्रदान को संदर्भित करता है।
- समुद्री जहाज़ों को मुख्यतः ‘व्हाइट’ (व्यापारिक और गैर-सैन्य जहाज़), ‘ग्रे’ (सैन्य जहाज़) और ‘ब्लैक’ (अवैध जहाज़) के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
स्वचालित पहचान प्रणाली (Automatic Identification System- AIS): यह विशिष्ट भार (टन में) के सभी वाणिज्यिक जहाज़ों पर स्थापित एक स्वचालित ट्रैकिंग प्रणाली है।
- 26/11 के आतंकी हमले के बाद 20 मीटर से अधिक लंबे सभी मछली पकड़ने वाले जहाज़ों के लिये AIS ट्रांसपोंडर स्थापित करना अनिवार्य कर दिया गया था। वर्तमान में 20 मीटर या उससे कम लंबाई वाले मछली पकड़ने के जहाज़ों के लिये भी इस तरह की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है।