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मुल्लापेरियार बाँध मुद्दा

  • 11 Apr 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मुल्लापेरियार बाँध, सर्वोच्च न्यायालय, एनडीएसए, पेरियार नदी, पश्चिमी घाट।

मेन्स के लिये:

मुल्लापेरियार बाँध से संबंधित मुद्दा और बाँध सुरक्षा अधिनियम, जल संसाधन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने मुल्लापेरियार बाँध की पर्यवेक्षी समिति के पुनर्गठन का आदेश दिया।

  • समिति में बाँध की सुरक्षा से संबंधित विवाद में शामिल दो राज्यों तमिलनाडु और केरल के एक-एक तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होंगे।

Mullaperiyar-Dam

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:

  • न्यायालय ने पैनल को राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA) के समान कार्यों और शक्तियों के साथ अधिकार दिया है।
    • NDSA बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 के तहत परिकल्पित निकाय है।
  • विफलता के किसी भी कार्य के लिये न केवल न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करने हेतु बल्कि अधिनियम के तहत संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ "उचित कार्रवाई" की जाएगी।
    • अधिनियम कानून के तहत गठित निकायों के निर्देशों का पालन करने से इनकार करने पर एक साल के कारावास या जुर्माना या दोनों की बात करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम आदेश के अनुसार दोनों राज्यों से दो सप्ताह के भीतर पर्यवेक्षी समिति में एक-एक प्रतिनिधि के अलावा एक-एक व्यक्ति को नामित करने की उम्मीद है।

मुल्लापेरियार बाँध:

  • लगभग 126 साल पुराना मुल्लापेरियार बाँध केरल के इडुक्की ज़िले में मुल्लायार और पेरियार नदियों के संगम पर स्थित है।
    • इस बाँध की लंबाई 365.85 मीटर और ऊँचाई 53.66 मीटर है।
  • बाँध का स्वामित्व, संचालन और रखरखाव तमिलनाडु के पास है।
    • तमिलनाडु ने सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और जल विद्युत उत्पादन सहित कई उद्देश्यों के लिये इसे बनाए रखा।

पेरियार नदी की मुख्य विशेषताएँ:

  • पेरियार नदी 244 किलोमीटर की लंबाई के साथ केरल राज्य की सबसे लंबी नदी है।
  • इसे ‘केरल की जीवनरेखा’ (Lifeline of Kerala) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह केरल राज्य की बारहमासी नदियों में से एक है।
  • पेरियार नदी पश्चिमी घाट (Western Ghat) की शिवगिरी पहाड़ियों (Sivagiri Hill) से निकलती है और ‘पेरियार राष्ट्रीय उद्यान’ (Periyar National Park) से होकर बहती है।
  • पेरियार की मुख्य सहायक नदियाँ- मुथिरपूझा, मुल्लायार, चेरुथोनी, पेरिनजंकुट्टी हैं।

विवाद क्या है?

  • वर्ष 1979 के अंत में बाँध की संरचनात्मक स्थिरता पर विवाद उत्पन्न होने के बाद केंद्रीय जल आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष के.सी. थॉमस की अध्यक्षता में एक त्रिपक्षीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि जल स्तर को 152 फीट के पूर्ण जलाशय स्तर के मुकाबले 136 फीट तक कम किया जा सकता है ताकि तमिलनाडु सुदृढ़ीकरण के उपाय कर सके।
  • वर्ष 2006 और वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय  ने कहा था कि जल स्तर 142 फीट तक बढ़ाया जाए, जिस स्तर तक तमिलनाडु ने पिछले वर्ष (2021) भी पानी जमा किया था।
  • वर्ष 2014 के न्यायालय के फैसले ने पर्यवेक्षी समिति के गठन एवं तमिलनाडु द्वारा शेष कार्य को पूरा करने का भी प्रावधान किया।
    • लेकिन हाल के वर्षों में केरल में भूस्खलन के साथ बाँध को लेकर मुकदमों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।
  • हालाँकि बाँध स्थल के आसपास भूस्खलन की कोई रिपोर्ट नहीं मिली थी, किंतु राज्य के अन्य हिस्सों में हुई घटनाओं ने बाँध के खिलाफ एक नए अभियान की शुरुआत की है।
  • केरल सरकार ने प्रस्तावित किया कि मौजूदा बाँध को बंद कर दिया जाए और एक नया बनाया जाए।
    • ये विकल्प तमिलनाडु को पूरी तरह से स्वीकार्य नहीं हैं, जो शेष सुदृढ़ीकरण कार्य को पूरा करना चाहता है और जल स्तर को 152 फीट तक बहाल करना चाहता है।

बाँध सुरक्षा अधिनियम:

  • परिचय:
    • बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021 दिसंबर 2021 में लागू हुआ था।
    • इस अधिनियम का उद्देश्य पूरे देश में प्रमुख बाँधों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना है।
    • यह कुछ बाँधों के सुरक्षित कामकाज को सुनिश्चित करने के लिये संस्थागत तंत्र के अलावा बाँध की विफलता से संबंधित आपदाओं की रोकथाम के लिये कुछ बाँधों की निगरानी, ​​निरीक्षण, संचालन और रखरखाव का भी प्रावधान करता है।
    • इस अधिनियम में उन बाँधों को शामिल किया गया है, जिनकी ऊँचाई 15 मीटर से अधिक और कुछ विशिष्ट परिस्थिति में 10 मीटर से 15 मीटर के बीच है।
  • दो राष्ट्रीय संस्थानों का निर्माण:
    • बाँध सुरक्षा पर राष्ट्रीय समिति (NCDS): यह बाँध सुरक्षा नीतियों को विकसित करने एवं आवश्यक नियमों की सिफारिश करने का प्रयास करती है।
    • राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण (NDSA): यह नीतियों को लागू करने और दोनों राज्यों के बीच अनसुलझे मुद्दों को हल करने का प्रयास करता है। NDSA एक नियामक संस्था होगी।
  • दो राज्य स्तरीय संस्थानों का निर्माण:
    • कानून में बाँध सुरक्षा पर राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों और राज्य समितियों के गठन की भी परिकल्पना की गई है।
      • बाँधों के निर्माण, संचालन, रखरखाव और पर्यवेक्षण के लिये बाँध मालिकों को ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा।

बाँध सुरक्षा अधिनियम मुल्लापेरियार को कैसे प्रभावित करता है?

  • चूँकि अधिनियम यह निर्धारित करता है कि NDSA किसी ऐसे बाँध के लिये ‘राज्य बाँध सुरक्षा संगठन’ की भूमिका निभाएगा, जो किसी एक विशिष्ट राज्य में स्थित है, जबकि उसका उपयोग किसी दूसरे राज्य द्वारा भी किया जाता है, ऐसे में मुल्लापेरियार बाँध NDSA के दायरे में आ जाता है।
  • इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय जो कि वर्ष 2014 में अपने फैसले के बाद याचिका पर सुनवाई कर रहा है, ने बाँध की सुरक्षा एवं रखरखाव का प्रभार लेने के लिये अपनी पर्यवेक्षी समिति की शक्तियों का विस्तार करने का विचार रखा है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन सा युग्म सही सुमेलित नहीं है? (2010) 

बाँध/झील                 नदी

(a) गोविंद सागर      : सतलुज
(b) कोल्लेरू झील    : कृष्णा
(c) उकाई जलाशय   : तापी
(d) वुलर झील        : झेलम

उत्तर: (b) 

  • गोविंद सागर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर ज़िले में सतलज नदी पर स्थित एक मानव निर्मित जलाशय है। इसका निर्माण भाखड़ा बाँध से हुआ है।
  • कोल्लेरू झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक है जो आंध्र प्रदेश में स्थित है। यह कृष्णा और गोदावरी डेल्टा के बीच स्थित है। इसे नवंबर 1999 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत एक वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया था और नवंबर 2002 में रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
  • उकाई बाँध, जिसे वल्लभ सागर के नाम से भी जाना जाता है, गुजरात में तापी नदी पर बनाया गया है। यह सरदार सरोवर के बाद गुजरात का दूसरा सबसे बड़ा जलाशय है।
  • वुलर झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है और कश्मीर घाटी में स्थित है। यह एशिया की सबसे बड़ी ताज़े पानी की झीलों में से एक है। झील बेसिन का निर्माण विवर्तनिक गतिविधि के परिणामस्वरूप हुआ था और झेलम नदी द्वारा पोषित किया जाता है। वुलर झील भी 46 भारतीय आर्द्रभूमियों में से एक है जिसे रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया है।

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2009)

  1. केरल में पूर्व की ओर बहने वाली कोई नदियाँ नहीं हैं।
  2. मध्य प्रदेश में पश्चिम की ओर बहने वाली कोई नदियाँ नहीं हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों 
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d) 

  • पंबर, भवानी और कबानी केरल की तीन पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ हैं। पंबर और भवानी तमिलनाडु में बहती हैं। कबानी कर्नाटक में प्रवेश करती है। ये तीनों कावेरी में मिलती हैं ।
  • पश्चिम की ओर बहने वाली मध्य प्रदेश की दो प्रमुख नदियाँ नर्मदा और ताप्ती या तापी हैं। नर्मदा प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिम की ओर बहने वाली नदी है। यह मध्य प्रदेश राज्य में अमरकंटक पठार के पश्चिमी किनारे से निकलती है।

स्रोत: द हिंदू

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