लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना | 22 Jun 2020
प्रीलिम्स के लिये:लघु वनोत्पाद (MFP) योजना, न्यूनतम समर्थन मूल्य मेन्स के लिये:लघु वनोत्पाद योजना के निहितार्थ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में 16 राज्यों में लघु वनोत्पाद (Minor Forest Produce-MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत चल रही सरकारी खरीद के अंतर्गत 79.42 करोड़ रुपए की रिकॉर्ड खरीद हुई है।
प्रमुख बिंदु:
- इसी के साथ वर्तमान वर्ष में लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के तहत कुल खरीद (सरकारी और निजी व्यापार दोनों) 2000 करोड़ रुपए से अधिक हो गई है।
- COVID -19 महामारी के इस संकटपूर्ण समय में, जिसने आदिवासियों के जीवन और आजीविका को बाधित किया है, यह योजना बहुत आवश्यक सिद्ध हुई है।
हाल ही में क्या-क्या उत्पाद किये गए हैं शामिल?
- 26 मई, 2020 को जनजातीय मामलों के मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) ने लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के तहत तहत 23 नई वस्तुओं को शामिल करने की भी सिफारिश की थी। इस योजना में शामिल कृषि और बागवानी उत्पाद आदिवासियों द्वारा एकत्रित किये जाते हैं।
- अप्रैल 2020 के बाद पिछले दो महीनों से केंद्र सरकार वन धन योजना के माध्यम से राज्यों को एक उत्प्रेरक और सक्रिय भागीदारी साबित करने के लिये प्रेरित कर रही है।
योजना के अंतर्गत राज्यों की स्थिति:
- लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य योजना के अंतर्गत छत्तीसगढ़ 52.80 करोड़ रुपए के 20270 मीट्रिक टन लघु वनोत्पाद की खरीद के साथ प्रथम स्थान पर है।
- ओडिशा और गुजरात ने क्रमशः 21.32 करोड़ रुपए की 9908 मीट्रिक टन लघु वनोत्पाद और 1.61 करोड़ रुपए मूल्य की 155 मीट्रिक टन लघु वनोत्पाद की खरीद की है।
- विशेष रूप से, छत्तीसगढ़ अपने सराहनीय प्रयासों के माध्यम से एक चैंपियन राज्य के रूप में उभरा है।
- छत्तीसगढ़ सरकार ने लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के कार्यान्वयन में संपूर्ण प्रयास किये हैं, खरीद की व्यवस्था और प्रक्रिया पूरे ज़िलों में लागू है।
- छत्तीसगढ़ में 866 लघु वनोत्पाद खरीद केंद्र हैं और राज्य ने 139 वन धन केंद्रों के विशाल नेटवर्क के माध्यम से वन धन स्वयं सहायता समूहों का प्रभावी रूप से उपयोग किया है।
योजना से लाभ:
- COVID-19 महामारी के कारण अभूतपूर्व परिस्थितियों ने चुनौतियों को जन्म दिया , जिसके परिणामस्वरूप जनजातीय आबादी के बीच एक गंभीर संकट पैदा हो गया। युवाओं में बेरोज़गारी, आदिवासियों के विपरीत प्रवास से पूरी आदिवासी अर्थव्यवस्था पर पटरी से नी चे आने का खतरा उत्पन्न हो गया। ऐसे परिदृश्य में लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना ने सभी राज्यों को एक अवसर प्रदान किया।
- वन धन योजना के सफल क्रियान्वयन में 22 राज्यों में 3.6 लाख आदिवासी लाभार्थी शामिल हैं और वन धन के योजना के तहत ट्राइफेड ( TRIFED) के साथ राज्यों के निरंतर जुड़ाव और लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना के कार्यान्वयन ने उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया है।
- आदिवासी अर्थव्यवस्था में 2000 करोड़ रुपए से अधिक की खरीद के साथ लघु वनोत्पाद (MFP) हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजना आदिवासी पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन और आदिवासी लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में नेतृत्त्व कर सकती है।
- अप्रैल-जून के महीनों में लघु वन उत्पादों के संग्रह के मामले में अपने शिखर पर स्थित यह योजना, सरकारी हस्तक्षेप और खरीद के बिना, आदिवासियों के लिये लाभदायक नहीं हो पाती।
- जनजातीय अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिये, लघु वन उत्पादों से संबंधित दिशा-निर्देशों में 1 मई 2020 को संशोधित न्यूनतम समर्थन मूल्य जारी किया गया था, जिसने कीमतों में 90% तक की वृद्धि की और इस तरह से आदिवासी समुदाय को उच्च आय प्रदान करने में मदद मिली।