लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया | 07 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health & Family Welfare) ने वर्चुअल प्लेटफॉर्म से लॉन्गिटूडिनल एजिंग स्टडीज ऑफ इंडिया (Longitudinal Ageing Study of India- LASI) वेव-1 रिपोर्ट जारी की।
प्रमुख बिंदु:
LASI के विषय में:
- यह भारत में उम्रदराज हो रही आबादी के स्वास्थ्य, आर्थिक तथा सामाजिक निर्धारकों और परिणामों की वैज्ञानिक जाँच का व्यापक राष्ट्रीय सर्वेक्षण है। इसे वर्ष 2016 में मान्यता प्रदान की गई थी।
- यह भारत का पहला और विश्व का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है जो सामाजिक, स्वास्थ्य तथा आर्थिक खुशहाली के पैमानों पर वृद्ध आबादी के लिये नीतियाँ और कार्यक्रम बनाने के उद्देश्य से लॉन्गिटूडिनल डाटाबेस प्रदान करता है।
सर्वेक्षण में शामिल एजेंसियाँ:
- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के वृद्धजनों हेतु राष्ट्रीय कार्यक्रम (National Programme for Health Care of Elderly) में हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (United Nations Population Fund- UNFPA) तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग के सहयोग से मुंबई स्थित इंटरनेशलन इंस्टीट्यूट फॉर पॉपुलेशन साइंसेज (IIPS) के माध्यम से यह सर्वेक्षण किया गया।
सर्वेक्षण का दायरा:
- LASI, वेव-1 में 45 वर्ष तथा उससे ऊपर के 72,250 व्यक्तियों और उनके जीवनसाथी के बेसलाइन सैंपल को कवर किया गया है। इसमें 60 वर्ष और उससे ऊपर की उम्र के 31,464 व्यक्ति तथा 75 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के 6,749 व्यक्ति शामिल हैं। ये सैंपल सिक्किम को छोड़कर सभी राज्यों तथा केंद्रशासित प्रदेशों से लिये गए।
प्रक्रिया:
- इस सर्वेक्षण में परिवार तथा सामाजिक नेटवर्क, आय, परिसंपत्ति तथा उपयोग पर सूचना के साथ स्वास्थ्य तथा बायोमार्कर पर विस्तृत डाटा एकत्रित किया गया है।
- चिकित्सा क्षेत्र में जैवसूचक/बायोमार्कर एक प्रमुख आणविक या कोशिकीय घटनाएँ हैं जो किसी विशिष्ट पर्यावरणीय आवरण को स्वास्थ्य के लक्षणों से जोड़ते हैं। पर्यावरणीय रसायनों के संपर्क में आने, पुरानी मानव बीमारियों के विकास और रोग के लिये बढ़ते खतरे के बीच उप-समूहों की पहचान करने में जैवसूचक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष:
- वर्ष 2011 की जनगणना में 60+आबादी भारत की आबादी का 8.6 प्रतिशत थी यानी 103 मिलियन वृद्ध लोग थे।
- 3 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से वर्ष 2050 में वृद्धिजनों की आबादी बढ़कर 319 मिलियन हो जाएगी।
- 75 प्रतिशत वृद्धजन किसी न किसी गंभीर बीमारी से ग्रसित होते हैं। 40 प्रतिशत वृद्धजन किसी न किसी दिव्यांगता से ग्रसित हैं और 20 प्रतिशत वृद्धजन मानसिक रोगों से ग्रसित हैं।
- स्व-रिपोर्टिंग के आधार पर 45 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों में निदान किये गए हृदय तथा रक्तवाहिकाओं संबंधी रोगों (CardioVascular Diseases (CVDs) की व्यापकता 28% है।
- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों में बहु-रुग्णता की स्थिति (Multi-Morbidity Conditions) का प्रसार केरल (52%), चंडीगढ़ (41%), लक्षद्वीप (40%), गोवा (39%) और अंडमान तथा निकोबार द्वीप (38%) में अधिक है। एकल रुग्णता तथा बहु-रुग्णता की स्थिति की व्यापकता उम्र के साथ बढ़ती जाती है।
सर्वेक्षण का महत्त्व:
- LASI से प्राप्त साक्ष्यों का उपयोग वृद्धजनों के लिये राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम को मज़बूत एवं व्यापक बनाने में किया जाएगा और इससे वृद्धजनों की आबादी के लिये प्रतिरोधी तथा स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाने में मदद मिलेगी।
- कोविड-19 महामारी के प्रकाश में यह अध्ययन और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि बुजुर्गों तथा एक से अधिक बिमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को इस बीमारी का खतरा सबसे अधिक है।
राष्ट्रीय वृद्धजन स्वास्थ्य देखभाल कार्यक्रम (NPHCE)
(National Programme for Health Care of Elderly)
- कार्यक्रम के विषय में:
- बुजुर्गों के प्रतिबंधित खर्चों जैसे कि सेवानिवृत्ति के बाद आय में कमी तथा आश्रित बुजुर्ग महिलाओं के लिये स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की है।
- विज़न:
- वृद्धजनों के लिये सुलभ, सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दीर्घकालिक, व्यापक तथा समर्पित देखभाल सेवाएँ प्रदान करना।
- वृद्धजनों के लिये एक नया "स्थापत्य/आर्किटेक्चर" बनाना।
- "वृद्धजनों के समाज" हेतु सक्षम वातावरण बनाने के लिए ढाँचा तैयार करना।
- सक्रिय और स्वस्थ वृद्धावस्था की अवधारणा को बढ़ावा देना।
- वित्तपोषण:
- ज़िला स्तर तक की गतिविधियों के लिये केंद्र सरकार द्वारा कुल बजट का 75% और राज्य सरकार बजट का 25% योगदान किया जाता है।
- पात्र लाभार्थी:
- देश में सभी 60 वर्ष से अधिक आयु के वृद्ध।
- लाभ के प्रकार:
- राज्य स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के माध्यम से बुजुर्गों के लिये विशेष रूप से निशुल्क, विशिष्ट स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएँ।