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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारतीय वृद्धजनों की ज़रूरतें एवं नवीन सरकारी पहलें

  • 08 Jun 2017
  • 4 min read

संदर्भ
वृद्धजनों की ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए देश में अब सरकारी स्तर पर प्रयास प्रारंभ किये गए हैं। वस्तुतः सरकार, इन प्रयासों के माध्यम से जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा जो 45 वर्ष से अधिक का है, उनकी विशेष सामाजिक- आर्थिक व स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की पूर्ति करना चाहती है।   इसके लिये स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के साथ कुछ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। अब इस कार्य में गुजरात, दिल्ली व हरियाणा के साथ कुछ केन्द्र्शाषित प्रदेश भी शामिल हो चुके हैं।   

मुख्य बिंदु

  • पिछले वर्ष स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा द लॉगीट्युडिनल ऐजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) नामक सर्वेक्षण प्रारंभ  किये गए जिसमें 45 वर्ष की उम्र से अधिक के 60000 लोगों के सैंपल इकठ्ठा किये गये जिनके स्वास्थ्य संबंधी सूचनाओं को   25 वर्षों तक दर्ज़ किया जायेगा।
  • इस प्रकार का ही एक फील्डवर्क, गुजरात सरकार के द्वारा किया गया जिसमें दमन एवं दिउ और दादर और नागर हवेली भी शामिल थे।  
  • एल.ए.एस.आई. सर्वे के लिये मुंबई की संस्था इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पापुलेशन साइंसेज़ (IIPS) नोडल एजेंसी का कार्य करेगी।   यही संस्था  इन वृद्धजनों की  विभिन्न स्वास्थ्य व सामाजिक- आर्थिक ज़रूरतों को   अगले 25 वर्षों तक दर्ज़  करेगी। 
  • सरकार का यह कहना है कि इन सूचनाओं के इकठ्ठा करने  के पीछे हमारा मूल उद्देश्य वृद्धजनों से संबंधित एक वैज्ञानिक आंकड़ा तैयार करना है एवं  इन सर्वेक्षणों में निम्नलिखित विषयों पर ध्यान दिया जा रहा है-

I.  वित्तीय पृष्ठभूमि 
II.  स्वास्थ्य बीमा की वर्तमान दशा 
III.  वृद्धावस्था आश्रम एवं मनोचिकित्सालय में रह रहे परिवार के सदस्यों की सूचना
IV.  स्वास्थ्य दशा जिसमें मलेरिया, डायबिटीज, कैंसर एवं मनोरोग तथा महिलाओं में मेनोपौज की दशा आदि की जानकारी शामिल होंगी 

  • इस सर्वे में ये भी व्यवस्था की गई है कि दो वर्षों के बाद पुनः उसी व्यक्ति के पास सर्वे टीम जाकर उस व्यक्ति की स्वास्थ्य संबंधी व अन्य ज़रूरतों का पता लगाएगी।  
  • वर्तमान में एल.ए.एस.आई. सर्वे का वित्तीयन संयुक्त रूप से स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार; यू.एस. नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एजिंग (US National Institute of Ageing) और यू.एन. नेशनल फण्ड-इंडिया(UN National Fund-India) के द्वारा किया जा रहा है।   

निष्कर्ष
मूलतः सरकार का प्रयास वर्तमान जनसंख्या के एक ऐसे हिस्से की ज़रूरतों के संदर्भ में एक डेटाबेस तैयार करने की है जो अपनी सामाजिक-आर्थिक ज़रूरतों के लिये दूसरे पर आश्रित हैं। इस दशा में सरकार की भूमिका उनके लिये एक सुविधा प्रदाता की तरह होगी।  दूसरी तरफ देश आज जनांकिकीय संक्रमण की उस अवस्था में है जहाँ जनसँख्या में युवाओं का प्रतिशत अधिकतम है परन्तु 25 वर्षों के बाद देश की आबादी में वृद्धजनों की जनसंख्या लगभग आधे के करीब होगी। अतः सरकार के द्वारा किये जा रहे ये प्रयास भविष्य के लिये लाभकारी सिद्ध होंगे।

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