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डेली न्यूज़


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत का व्यापार

  • 31 May 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत-अमेरिका संबंध, भारत-प्रशांत रणनीति। 

मेन्स के लिये:

भारत और इसके पड़ोसी, भारत-प्रशांत क्षेत्र, भारत-अमेरिका संबंध- चुनौतियाँ और सहयोग के क्षेत्र। 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आँकड़े जारी किये, जिससे पता चलता है कि अमेरिका ने वर्ष 2021-22 में भारत के शीर्ष व्यापारिक भागीदार बनने वाले चीन को पीछे छोड़ दिया है।  

  • भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम, पॉलिश किये गए हीरे, दवा उत्पाद, आभूषण, फ्रोज़न झींगा शामिल हैं, जबकि अमेरिका से आयातित प्रमुख वस्तुओं में पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, तरल प्राकृतिक गैस, सोना, कोयला, अपशिष्ट, बादाम आदि शामिल हैं। . 
  • आँकड़ों से पता चला है कि वर्ष 2013-14 से वर्ष 2017-18 तक और वर्ष 2020-21 में भी चीन भारत का शीर्ष व्यापारिक भागीदार था। 
    • चीन से पहले यूएई भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था। 

प्रमुख बिंदु 

  • अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार: 
    • अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 119.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2021-2022) का हुआ, जबकि वर्ष 2020-21 में यह 80.51 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 
    • अमेरिका को निर्यात वर्ष 2021-22 में बढ़कर 76.11 बिलियन अमेरिकी डॉलरा हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 51.62 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि  2020-21 में आयात लगभग 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 43.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। 
    • अमेरिका उन कुछ देशों में से एक है जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है। 
      • वर्ष 2021-22 में भारत का अमेरिका के साथ 32.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार अधिशेष था। 
  • इसी अवधि के दौरान चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार: 
    • वर्ष 2021-22 के दौरान चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020-21 के 86.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर की तुलना में 115.42 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।  
    • पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में चीन को निर्यात मामूली रूप से बढ़कर 21.25 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वर्ष 2020-21 में 21.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। 

अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बनने के कारक: 

  • भारत एक विश्वसनीय व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है और वैश्विक फर्में आपूर्ति के लिये चीन पर अपनी निर्भरता को कम कर रही हैं तथा भारत जैसे अन्य देशों के माध्यम से व्यापार में विविधता ला रही हैं। 
  • भारत एक इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) स्थापित करने के लिये अमेरिका के नेतृत्व वाली पहल में शामिल हो गया है एवं इस कदम से आर्थिक संबंधों को और बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। 
  • सेवाओं के निर्यात के लिये अमेरिका लगातार भारत का सबसे बड़ा बाज़ार रहा है, हाल ही में अमेरिका को सामान की बिक्री के मामले में भी इसने चीन को पीछे छोड़ दिया, जिससे यह भारत का सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक भागीदार बन गया।
    • भारत का कुल व्यापारिक निर्यात 2021-22 में रिकॉर्ड 418 बिलियन अमेरिकी डॉलर का रहा, जो केंद्र के लक्ष्य से लगभग 5% अधिक है और इसने पिछले वर्ष की तुलना में 40% की वृद्धि दर्ज की है। 

भारत-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति: 

  • भारत-अमेरिका द्विपक्षीय साझेदारी में वर्तमान में कोविड-19 की प्रतिक्रिया, महामारी के बाद आर्थिक सुधार, जलवायु संकट और सतत् विकास, महत्त्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकियाँ, आपूर्ति शृंखला अनुकूलन, शिक्षा, प्रवासी  रक्षा एवं सुरक्षा सहित कई मुद्दों को शामिल किया गया है। 
  • भारत-अमेरिका संबंधों की प्रगाढ़ता बेजोड़ है और इस साझेदारी के प्रेरक तत्त्व भी अभूतपूर्व दर से बढ़ रहे हैं। 
    • भारत -अमेरिका के मध्य यह संबंध अद्वितीय बना हुआ है क्योंकि यह दोनों स्तरों- रणनीतिक अभिजात वर्ग के साथ-साथ लोगों-से-लोगों के स्तर पर संचालित होता है। 
  • हालाँकि रूस-यूक्रेन संकट को लेकर भारत और अमेरिका की प्रतिक्रियाएँ परस्पर विरोधाभासी रही हैं। 
  • भारत और अमेरिका ने हाल के वर्षों में अपने संबंधों को जारी रखने और व्यापक रणनीतिक साझेदारी को बनाे रखने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया है। 

भारत-अमेरिका संबंधों से संबद्ध चुनौतियाँ: 

  • टैरिफ अधिरोपण: वर्ष 2018 में अमेरिका ने कुछ स्टील उत्पादों पर 25% टैरिफ और भारत द्वारा कुछ अल्युमीनियम उत्पादों पर 10% टैरिफ लगाया गया था  
    • भारत ने जून 2019 में अमेरिकी आयात पर लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर के 28 उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाकर जवाबी कार्रवाई की। 
      • हालाँकि धारा 232 टैरिफ लागू करने के बाद अमेरिका में स्टील निर्यात में साल-दर-साल 46% की गिरावट आई है।  
  • आत्मनिर्भरता को संरक्षणवाद के रूप में गलत समझना: आत्मनिर्भर भारत अभियान ने इस विचार को और बढ़ावा दिया है कि भारत तेजी से एक संरक्षणवादी बंद बाज़ार अर्थव्यवस्था बनता जा रहा है। 
  • अमेरिका की वरीयता की सामान्यीकृत प्रणाली (GSP) से छूट: जून 2019 से प्रभावी, अमेरिका ने GSP कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों से शुल्क मुक्त निर्यात के प्रावधान को वापस ले लिया। 
    • परिणामस्वरूप अमेरिका को 5.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निर्यात पर विशेष शुल्क उपचार को हटा दिया गया, जिससे भारत के निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों जैसे- फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव पार्ट्स आदि क्षेत्र प्रभावित हुए। 
  • अन्य देशों के प्रति अमेरिका की शत्रुता: 
    • भारत और अमेरिका के बीच कुछ मतभेद भारत-अमेरिका संबंधों के प्रत्यक्ष परिणाम नहीं हैं, बल्कि ईरान और रूस जैसे तीसरे देशों के प्रति अमेरिका की शत्रुता के कारण हैं जो कि भारत के पारंपरिक सहयोगी देश हैं । 
    • भारत-अमेरिका संबंधों को चुनौती देने वाले अन्य मुद्दों में ईरान के साथ भारत के संबंध और रूस से भारत द्वारा एस-400 की खरीद शामिल है। 
    • भारत के रूस से दूरी बनाने के अमेरिका के आह्वान का दक्षिण एशिया की यथास्थिति पर दूरगामी परिणाम हो सकता है। 
  • अफगानिस्तान में अमेरिका की नीति: 
    • भारत, अफगानिस्तान में अमेरिका की नीति से भी चिंतित है क्योंकि अमेरिका इस क्षेत्र में भारत की सुरक्षा और हितों को खतरे में डाल रहा है। 

आगे की राह 

  • जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी एवं भारतीय फर्मों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के लिये अत्यधिक अवसर प्रदान करता है। 
  • भारत अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रही अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में  प्रमुख अभिकर्त्ता के रूप में उभर रहा है। यह अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग अपने महत्त्वपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के अवसरों का पता लगाने के लिये करेगा 
  • वर्तमान में भारत और अमेरिका सही अर्थों में रणनीतिक साझेदार हैं, इनका उद्देश्य प्रमुख शक्तियों के बीच  साझेदारी को बढ़ावा देकर निरंतर संवाद सुनिश्चित करके मतभेदों का हल निकालकर नए अवसरों की तलाश करना  है। 
  • यूक्रेन संकट के परिणामस्वरूप चीन के साथ रूस का मज़बूत गठजोड़, चीन के प्रति संतुलन के रूप में रूस पर भरोसा करने की भारत की क्षमता को जटिल बनाता है। इसलिये सुरक्षा क्षेत्रों में सहयोग जारी रखना दोनों देशों के हित में है। 
  • चीनी सेना की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं के कारण साझा चुनौतियों से प्रेरित होकर अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंध के केंद्र में अंतरिक्ष क्षेत्र का विकास प्रमुख विषय बन गया है। 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

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