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शासन व्यवस्था

इंटरनेट शटडाउन का प्रभाव

  • 30 Jun 2022
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR), #KEEPITON गठबंधन, विश्व बैंक।

मेन्स के लिये:

इंटरनेट शटडाउन और उसके निहितार्थ।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (OHCHR) द्वारा इंटरनेट शटडाउन नामक एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई: जिसमें इसके रुझान, कारण, कानूनी निहितार्थ और मानवाधिकारों पर प्रभाव, वर्णित हैं तथा कहा गया है कि इंटरनेट बंद करने से लोगों की सुरक्षा और कल्याण प्रभावित होता है, सूचना प्रवाह में बाधा आती है और अर्थव्यवस्था को क्षति पहुंँचती है।

इंटरनेट शटडाउन:

  • परिचय:
    • इंटरनेट शटडाउन के उपाय का उपयोग आमतौर पर तब किया जाता है जब नागरिक अशांति की स्थिति होती है, ताकि सरकारी कार्रवाइयों के संबंध में सूचनाओं के प्रवाह को अवरुद्ध किया जा सके।
    • शटडाउन में अक्सर इंटरनेट कनेक्टिविटी या प्रभावित सेवाओं की पहुंँच को पूर्णतः प्रतिबंधित किया जाता है। हालांँकि सरकारें तेज़ी से बैंडविड्थ को कम करने या मोबाइल सेवा को 2G तक सीमित करने का सहारा लेती हैं, जो नाममात्र की पहुंँच बनाए रखते हुए इंटरनेट का सार्थक उपयोग करना बेहद मुश्किल बना देती है।
    • दुनिया भर की सरकारों ने कई कारणों का हवाला देते हुए इंटरनेट को बंद करने का सहारा लिया है
    • इसके अलावा वीडियो, लाइव प्रसारण और अन्य पत्रकारिता कार्यों को साझा करना तथा देखना मुश्किल हो जाता है, जिन्हें अक्सर नागरिक समाज आंदोलनों, सुरक्षा उपायों के साथ-साथ चुनावी कार्यवाही के दौरान आदेश दिया जाता है और मानवाधिकारों की निगरानी व रिपोर्टिंग को गंभीर रूप से प्रतिबंधित करता है।
  • संबंधित अंतर्राष्ट्रीय ढाँचे:
    • इंटरनेट शटडाउन कई मानवाधिकारों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, साथ ही यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा तथा लोकतांत्रिक समाजों की नींव में से एक व्यक्ति के पूर्ण विकास के लिये अनिवार्य शर्त की जानकारी तक पहुँच को त्वरित रूप से प्रभावित करता है।
    • यह नागरिक और राजनीतिक अधिकारों और अन्य मानवाधिकार उपकरणों (अर्थात् मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा) पर अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध में गारंटीकृत अन्य सभी अधिकारों के लिये एक मानदंड है।
    • सतत् विकास लक्ष्य अन्यायपूर्ण प्रतिबंधों से मुक्त, सार्वभौमिक रूप से उपलब्ध और सुलभ इंटरनेट द्वारा कार्य करने के लिये राज्यों के मानवाधिकार दायित्वों को सुदृढ़ करते हैं।
    • संचार नेटवर्क में अंतर्राष्ट्रीय कनेक्टिविटी की सुविधा के लिये स्थापित, अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) मानकों को अपनाने पर कार्य करता है जो सुनिश्चित करता है कि नेटवर्क और प्रौद्योगिकियांँ आपस में जुड़ती हैं तथा इंटरनेट तक पहुंँच में सुधार करने का प्रयास करती हैं।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • वैश्विक परिदृश्य:
    • दुनिया का ध्यान खींचने वाला पहला बड़ा इंटरनेट शटडाउन वर्ष 2011 में मिस्र में हुआ था और इसके साथ ही सैकड़ों गिरफ्तारियांँ और हत्याएंँ भी हुई थीं।
    • #कीपइटऑन गठबंधन (#KeepItOn coalition), जो दुनिया भर में इंटरनेट शटडाउन एपिसोड की निगरानी करता है, द्वारा वर्ष 2016-2021 तक 74 देशों में 931 शटडाउन का दस्तावेजीकरण किया गया।
    • उस अवधि के दौरान 12 देशों द्वारा 10 से अधिक शटडाउन लागू किये गए। वैश्विक स्तर पर सभी क्षेत्रों में कई शटडाउन का सामना किया गया है, लेकिन अधिकांश रिपोर्ट एशिया और अफ्रीका में हुई है।
    • नागरिक समाज समूहों द्वारा दर्ज किये गए शटडाउन में से 132 को आधिकारिक तौर पर अभद्र भाषा, दुष्प्रचार या अवैध या हानिकारक समझी जाने वाली सामग्री के अन्य रूपों के प्रसार को नियंत्रित करने की आवश्यकता द्वारा उचित ठहराया गया था।
  • भारतीय परिदृश्य:
    • भारत ने इंटरनेट कनेक्शन को 106 बार अवरुद्ध या बाधित किया तथा भारत के कम-से-कम 85 इंटरनेट शटडाउन एपिसोड जम्मू और कश्मीर में हुए।
    • नागरिक समाज समूहों द्वारा वर्ष 2016-2021 तक दर्ज किये गए सभी शटडाउन में से लगभग आधे को विरोध और राजनीतिक संकटों के संदर्भ में किया गया था, जिसमें सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक शिकायतों की एक विशाल शृंखला से संबंधित सार्वजनिक प्रदर्शनों के दौरान 225 शटडाउन दर्ज किये गए थे।
  • चुनाव के दौरान शटडाउन:
    • यह डिजिटल उपकरणों तक पहुँच को समाप्त करता है जो चुनाव प्रचार, सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देने, मतदान करने और चुनावी प्रक्रियाओं की देख-रेख के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
    • अकेले वर्ष 2019 में 14 अफ्रीकी देशों ने चुनावी अवधि के दौरान इंटरनेट तक पहुँच को बाधित कर दिया।
    • ये व्यवधान निष्पक्ष पत्रकारों और मीडिया के काम को सामान्य रूप से बाधित करते हैं। युगांडा में शटडाउन ने हिंसक दमनकारी उपायों की रिपोर्टों के बीच वर्ष 2021 में चुनावों के मीडिया कवरेज को कमज़ोर कर दिया।
    • चुनावी अवधि के दौरान विरोध के बाद शटडाउन बेलारूस और नाइजर जैसे देशों में भी रिपोर्ट किये गए थे।
  • इंटरनेट शटडाउन का प्रभाव:
    • आर्थिक गतिविधियों पर: यह सभी क्षेत्रों के लिये बड़ी आर्थिक लागत का कारण बनता है, वित्तीय लेनदेन, वाणिज्य और उद्योग को बाधित करता है।
      • विश्व बैंक ने हाल ही में गणना की है कि अकेले म्यांमार में इंटरनेट शटडाउन की लागत फरवरी-दिसंबर 2021 से लगभग 2.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो पिछले दशक में हुई आर्थिक प्रगति को उलट देती है।
    • शिक्षा पर: यह सीखने के परिणामों को कमज़ोर करता है और शिक्षकों, स्कूल प्रशासकों, परिवारों के बीच शिक्षा योजना एवं संचार में हस्तक्षेप करता है।
    • स्वास्थ्य और मानवीय सहायता तक पहुँच पर:
      • अध्ययनों ने स्वास्थ्य प्रणालियों पर शटडाउन के महत्त्वपूर्ण प्रभावों को दिखाया है, जिसमें तत्काल चिकित्सा देखभाल जुटाना, आवश्यक दवाओं की डिलीवरी और उपकरणों के रखरखाव में बाधा डालना, चिकित्सा कर्मियों के बीच स्वास्थ्य सूचनाओं के आदान-प्रदान को सीमित करना और आवश्यक मानसिक स्वास्थ्य सहायता को बाधित करना शामिल है।
      • सहायता प्रदान करने के लिये मानवीय अभिकर्त्ताओं की क्षमता पर इंटरनेट शटडाउन का गहरा प्रभाव पड़ता है। आपूर्ति व वस्तुओं और सेवाओं के वितरण के लिये महत्त्वपूर्ण सूचना के प्रवाह को बाधित किया जा सकता है।
        • म्यांँमार में इंटरनेट शटडाउन ने कथित तौर पर स्थानीय सहायता संगठनों को संकट में डाल दिया, क्योंकि इसने उन्हें धन मांगने और प्राप्त करने से रोका था।

इंटरनेट शटडाउन हेतु भारत के सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश:

  • जैसा कि अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ (2020) में माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला दिया गया कि इंटरनेट शटडाउन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन नहीं करता है। यह एक उचित प्रतिबंध के रूप में कार्य करता है और इसे केवल तभी अधिनियमित किया जाना चाहिये जब सार्वजनिक सुरक्षा या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये कोई वास्तविक खतरा हो। कुछ संतुलन परीक्षण किये जाने चाहिये तथा केवल अत्यधिक आवश्यक होने पर ही सरकार को इस अत्यंत प्रतिबंधात्मक कदम का प्रयोग करना चाहिये।

आगे की राह

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि इंटरनेट शटडाउन की अधिक आवृत्ति की प्रवृत्ति को रोकने में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक उपायों और उनके प्रभावों की सीमित दृश्यता है।
  • रिपोर्ट में राज्यों से शटडाउन से परहेज करने, इंटरनेट पहुँच को अधिकतम करने और संचार के रास्ते में कई बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया गया है।
  • इसने कंपनियों से व्यवधानों पर सूचनाओं को तेज़ी से साझा करने और यह सुनिश्चित करने का भी आह्वान किया कि वे शटडाउन को रोकने के लिये सभी संभव कानूनी उपाय करें जिन्हें उन्हें लागू करने के लिये कहा गया है।
  • शटडाउन डिजिटल डिवाइड को कम करने के प्रयासों, त्वरित आर्थिक और सामाजिक विकास के वादे को कमज़ोर करते हैं, जिससे सतत् विकास लक्ष्यों की उपलब्धि को खतरा होगा।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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