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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद और भारत

  • 07 Mar 2022
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग, क्वाड, अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी।

मेन्स के लिये:

रूस-यूक्रेन संघर्ष, भारत के हितों पर देशों की नीतियों एवं राजनीति का प्रभाव, महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत ने ‘जिनेवा’ में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में मतदान में हिस्सा नहीं लिया। इस परिषद ने यूक्रेन में रूस की कार्रवाइयों की जाँच के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रस्ताव पेश किया है।

  • यह कदम इस मायने में महत्त्वपूर्ण है कि यह मतदान ‘क्वाड’ देशों के साथ भारत की बैठक के बाद हुआ था।
  • भारत ने इससे पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भी इसी तरह के प्रस्तावों के संबंध में मतदान में हिस्सा नहीं लिया था।
  • भारत ने ‘अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी’ (IAEA) के प्रस्ताव में भी हिस्सा नहीं लिया है, जो चार परमाणु ऊर्जा स्टेशनों और चेर्नोबिल सहित कई परमाणु अपशिष्ट स्थलों पर सुरक्षा से संबंधित था, क्योंकि रूसियों ने उन पर नियंत्रण कर लिया था।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:

  • परिचय:
    • मानवाधिकार परिषद संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर एक अंतर-सरकारी निकाय है जो दुनिया भर में मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण को मज़बूत करने हेतु ज़िम्मेदार है।
  • गठन:
    • इस परिषद का गठन वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया गया था। इसने मानवाधिकार पर पूर्व संयुक्त राष्ट्र आयोग का स्थान लिया था।
    • मानवाधिकार हेतु उच्चायुक्त का कार्यालय (OHCHR) मानवाधिकार परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।
    • OHCHR का मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है।
  • सदस्य: 
    • इसका गठन 47 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों से मिलकर हुआ है जो संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) द्वारा चुने जाते हैं।
      • संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकारों के संवर्द्धन और संरक्षण में भागीदार राज्यों के योगदान के साथ-साथ इस संबंध में उनके द्वारा की गई स्वैच्छिक प्रतिज्ञाओं और प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रखता है।
    • परिषद की सदस्यता समान भौगोलिक वितरण पर आधारित है। इसकी सीटों का वितरण निम्नलिखित प्रकार से किया गया है:
      • अफ्रीकी देश: 13 सीटें
      • एशिया-प्रशांत देश: 13 सीटें
      • लैटिन अमेरिकी और कैरेबियन देश: 8 सीटें
      • पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश: 7 सीटें
      • पूर्वी यूरोपीय देश: 6 सीटें
    • परिषद के सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है और लगातार दो कार्यकाल की सेवा के बाद कोई भी सदस्य तत्काल पुन: चुनाव के लिये पात्र नहीं होता है।
  • प्रक्रिया और तंत्र:
    • सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा: सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (Universal Periodic Review- UPR) यूपीआर सभी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों में मानवाधिकार स्थितियों के आकलन का कार्य करता है।  
    • सलाहकार समिति: यह परिषद के "थिंक टैंक" के रूप में कार्य करता है जो इसे विषयगत मानवाधिकार मुद्दों पर विशेषज्ञता और सलाह प्रदान करता है।
    • शिकायत प्रक्रिया: यह लोगों और संगठनों को  मानवाधिकार उल्लंघन से जुड़े मामलों को परिषद के ध्यान में लाने की अनुमति देता है।
    • संयुक्त राष्ट्र की विशेष प्रक्रिया: ये विशेष प्रतिवेदक, विशेष प्रतिनिधियों, स्वतंत्र विशेषज्ञों और कार्य समूहों से बने होते हैं जो विशिष्ट देशों में विषयगत मुद्दों या मानव अधिकारों की स्थितियों की निगरानी, जाँच करने, सलाह देने और सार्वजनिक रूप से रिपोर्ट करने का कार्य करते हैं।
  • मुद्दे:
    • सदस्यता से संबंधित: कुछ आलोचकों के लिये परिषद की सदस्यता की संरचना एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय रही है, जिसमें कभी-कभी ऐसे देश भी शामिल होते है जिन्हें व्यापक मानवाधिकार हनन करने वाले देश के रूप में देखा जाता है।
      • चीन, क्यूबा, इरिट्रिया, रूस और वेनेजुएला जैसे देश मानवाधिकारों के हनन के आरोप के बावजूद इस परिषद में शामिल हैं।
    • असंगत फोकस: ज्ञात हो कि वर्ष 2018 में अमेरिका ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ से बाहर हो गया था, क्योंकि उसका मानना था कि परिषद द्वारा इज़रायल के विरुद्ध असंगत रूप से कार्य किया जा रहा है, ज्ञात हो कि परिषद ने इज़रायल के विरुद्ध अब तक सबसे अधिक संख्या में प्रस्ताव पारित किये गए हैं। 
      • अमेरिका फिर से संगठन में शामिल हो गया है.
  • भारत और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद:
    • हाल ही में संयुक्त राष्ट्र (UN) के विशेष प्रतिवेदकों के एक समूह द्वारा पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) अधिसूचना 2020 के मसौदे पर चिंता व्यक्त करते हुए भारत सरकार को पत्र लिखा गया है।
    • वर्ष 2020 में भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा यूनिवर्सल पीरियोडिक रिव्यू (UPR) प्रक्रिया के तीसरे दौर के हिस्से के रूप में अपनी मध्यावधि रिपोर्ट परिषद के समक्ष प्रस्तुत की गई।
    • भारत 1 जनवरी 2019 से तीन साल की अवधि के लिये परिषद के लिये चुना गया था।

Q. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2011) 

1. शिक्षा का अधिकार
2. सार्वजनिक सेवा तक समान पहुंँच का अधिकार
3. भोजन का अधिकार

मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा" के अंतर्गत उपरोक्त में से कौन सा/से मानव अधिकार है/हैं?

(a) केवल 1 
(b) केवल 1 और 2 
(c) केवल 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)

स्रोत: द हिंदू  

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