परमाणु निरीक्षण पर IAEA - ईरान समझौता | 24 Feb 2021

चर्चा में क्यों?

ईरान ने एक समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को अपने परमाणु कार्यक्रम तक सीमित पहुँच की इजाज़त दे दी है। 

  • दिसंबर 2020 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा प्रतिबंधों में ढील न दिये जाने पर ईरान की संसद ने कुछ निरीक्षणों को निलंबित करने की मांग करते हुए एक कानून पारित किया।

प्रमुख बिंदु:

  • व्यापक सुरक्षा उपायों के तहत IAEA का अधिकार और दायित्व यह सुनिश्चित करना है कि इस क्षेत्र में सभी परमाणु सामग्री पर सुरक्षा उपायों को लागू किया गया है तथा वह पुष्टि करे कि यह सामग्री अनन्य उद्देश्य के लिये राज्य के अधिकार क्षेत्र या नियंत्रण में है और ऐसी सामग्री को परमाणु हथियारों या अन्य नाभिकीय विस्फोटकों के निर्माण में प्रयोग नहीं किया जाएगा।
  • परमाणु अप्रसार संधि के तहत सुरक्षा उपायों के अतिरिक्त IAEA को कोई अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • ईरान कुछ स्थलों पर स्थापित निगरानी कैमरों की फुटेज की ‘रियल टाइम एक्सेस’ देने से इनकार कर देगा और अगर तीन महीने के भीतर प्रतिबंध नहीं हटाया जाता है तो वह इन्हें डिलीट कर देगा।

समझौते का महत्त्व:

  • यह निश्चित रूप से ईरान की परमाणु गतिविधियों और वर्ष 2015 के परमाणु समझौते को नए प्रकार से लागू करने के प्रयासों पर बढ़ते संकट को कम करेगा।
  • यह वर्ष 2020 में पारित एक नए ईरानी कानून के प्रभाव को काफी कम कर देता है, जिससे IAEA की कार्य करने की क्षमता में गंभीर बाधा उत्पन्न हो रही थी।

वर्ष 2015 का परमाणु समझौता:

  • वर्ष 2015 में  ईरान ने वैश्विक शक्तियों P5 + 1 के समूह (संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन, फ्राँस, चीन, रूस और जर्मनी) के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम से संबंधित दीर्घकालिक समझौते पर सहमति व्यक्त की।
  • इसे संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (Joint Comprehensive Plan Of Action-JCPOA) और सामान्यतः 'ईरान परमाणु समझौता' के नाम से जाना जाता है।
  • इस समझौते के तहत ईरान ने प्रतिबंधों को हटाने और वैश्विक व्यापार तक पहुँच स्थापित करने के बदले अपनी परमाणु गतिविधियों पर अंकुश लगाने की सहमति व्यक्त की।
  • इस समझौते के तहत ईरान को शोध के लिये थोड़ी मात्रा में यूरेनियम जमा करने की अनुमति दी गई लेकिन यूरेनियम के संवर्द्धन पर प्रतिबंध लगा दिया गया, जिसका उपयोग रिएक्टर ईंधन और परमाणु हथियार बनाने के लिये किया जाता है।
  • ईरान को एक भारी जल-रिएक्टर (Heavy-Water Reactor) के निर्माण की भी आवश्यकता थी, जिसमें ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु भारी मात्रा में प्लूटोनियम (Plutonium) की आवश्यकता के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षण की अनुमति देना भी आवश्यक था।

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वर्ष 2018 में समझौते से अमेरिका का अलग होना:

  • मई 2018 में अमेरिका ने इस समझौते को दोषपूर्ण बताते हुए इससे अलग हो गया और ईरान पर प्रतिबंध बढ़ाने शुरू कर दिये।
  • प्रतिबंधों को कड़ा कर दिये जाने के बाद से ईरान प्रतिबंधों में राहत का रास्ता खोजने के लिये शेष हस्ताक्षरकर्त्ताओं पर दबाव बनाने हेतु अपनी कुछ प्रतिबद्धताओं का लगातार उल्लंघन कर रहा है।
  • अमेरिका ने कहा कि वह सभी देशों को ईरान से तेल खरीदने से रोकने और नए परमाणु समझौते हेतु दबाव बनाने के लिये ईरान को मजबूर करने का प्रयास करेगा।

IAEA का पक्ष:

  • वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के यूरेनियम और भारी जल के भंडार के साथ-साथ इसके द्वारा अतिरिक्त प्रोटोकॉल का कार्यान्वयन, समझौते के अनुरूप था।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी

  • इसे संयुक्त राष्ट्र के अंदर व्यापक रूप से दुनिया में  ‘शांति और विकास हेतु संगठन’ के रूप में जाना जाता है, IAEA परमाणु क्षेत्र में सहयोग के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय केंद्र है।

स्थापना:

  • IAEA की स्थापना वर्ष 1957 में परमाणु प्रौद्योगिकी के विविध उपयोगों से उत्पन्न आशंकाओं और खोजों की प्रतिक्रिया में की गई थी।

मुख्यालय: वियना (ऑस्ट्रिया)

उद्देश्य:

  • यह एजेंसी अपने सदस्य राज्यों और कई भागीदारों के साथ परमाणु प्रौद्योगिकियों के सुरक्षित, निश्चिंत और शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने के लिये काम करती है।
    • वर्ष 2005 में एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया के निर्माण में इसके योगदान के लिये IAEA को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

कार्य:

स्रोत- द हिंदू