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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संबंधित चिंताएँ

  • 17 Jun 2020
  • 5 min read

प्रीलिम्स के लिये:

IAEA और उसका जनादेश

मेन्स के लिये:

परमाणु महत्त्वाकांक्षाएँ 

चर्चा में क्यों?

वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने अपनी दो अप्रकाशित रिपोर्टों में ईरान द्वारा चार महीनों से अधिक समय से दो संदिग्ध स्थानों के निरीक्षणों को रोके जाने के बाद गंभीर चिंता व्यक्त की है। 

प्रमुख बिंदु

  • हालांकि IAEA ने सार्वजनिक रूप से इन स्थलों का नाम घोषित नहीं किया, लेकिन यह माना जा रहा है कि ईरान के संवर्द्धित यूरेनियम भंडार की सीमा तय सीमा को पार कर चुकी है।
  • IAEA के अनुसार, ईरान ने वर्ष 2003 में यूरेनियम अयस्क के रूपांतरण और प्रसंस्करण हेतु इन स्थलों का उपयोग किया होगा। 

यूरेनियम संवर्द्धन  (Uranium Enrichment)

  • यूरेनियम संवर्द्धन एक संवेदनशील प्रक्रिया है जो परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के लिये ईंधन का उत्पादन करती है। 
  • सामान्यतः इसमें यूरेनियम-235 और यूरेनियम-238 के आइसोटोप का प्रयोग किया जाता है। यूरेनियम संवर्द्धन  के लिये सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) में गैसीय यूरेनियम को शामिल किया जाता है। 
  • संवर्द्धन  से पहले,  पहले यूरेनियम ऑक्साइड को फ्लोराइड में बदलने के लिये कम तापमान पर रखा जाता है।
  • परमाणु संयंत्रों में ऊर्जा का उत्पादन इन आइसोटोपों के विखंडन से होता है। 
  • ईरान ने इन रिपोर्टों का खंडन करते हुए कहा है कि ये प्रश्न खुफिया सेवाओं से प्राप्त जानकारी के आधार पर उठाए जा रहे हैं।
  • ईरान ने अपने कार्यक्रमों को शांतिपूर्ण बताते हुए हमेशा इस बात से इनकार किया है कि उसने कभी परमाणु हथियार विकसित करने का प्रयास किया है।
  • ये रिपोर्टें ऐसे समय में आई हैं जब ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका बढ़ते तनावों के कारण वर्ष 2015 के अंतर्राष्ट्रीय समझौते से बाहर निकल चुके हैं।

परमाणु समझौता, 2015

  • वर्ष 2015 में बराक ओबामा प्रशासन के दौरान अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्राँस और जर्मनी के साथ मिलकर ईरान ने परमाणु समझौता किया था। 
  • इस समझौते को ‘ज्वाइंट कॉम्प्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन’ (Joint Comprehensive Plan of Action- JCPOA) नाम दिया गया। 
  • इस समझौते के अनुसार, ईरान को संबंधित यूरेनियम के भंडार में कमी करते हुए अपने परमाणु संयंत्रों की निगरानी के लिये अनुमति प्रदान करनी थी। इसके बदले ईरान पर आरोपित आर्थिक प्रतिबंधों में रियायत दी गई थी।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी

(International Atomic Energy Agency- IAEA)

  • IAEA परमाणु क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा परमाणु सहयोग केंद्र है। इसकी स्थापना वर्ष 1957 में की गई थी। 
  • यह संगठन परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और किसी भी सैन्य उद्देश्य के लिये परमाणु हथियारों के प्रयोग को रोकने का कार्य करता है।
  • IAEA विश्व भर में परमाणु प्रौद्योगिकी और परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग हेतु एक अंतर-सरकारी मंच के रूप में भी कार्य करता है।
  • हालाँकि एक अंतर्राष्ट्रीय संधि (International Treaty) के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र द्वारा इसकी स्थापना की गई थी लेकिन यह संगठन संयुक्त राष्ट्र के प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं आता है। 
  • IAEA, संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) और सुरक्षा परिषद (Security Council) दोनों को रिपोर्ट करता है।
  • इसका मुख्यालय ऑस्ट्रिया के विएना (Vienna) में है।

आगे की राह

  • वर्ष 2015 के समझौते में शामिल सभी देशों को रचनात्मक रूप से संलग्न होना चाहिये और सभी मुद्दों को शांति तथा आपसी वार्ता के माध्यम से हल करना चाहिये।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका और ईरान दोनों को ही रणनीतिक संयम के साथ कार्य करना चाहिये क्योंकि पश्चिम एशिया में कोई भी संकट न केवल इस क्षेत्र को प्रभावित करेगा बल्कि वैश्विक मामलों पर भी हानिकारक प्रभाव डालेगा। 

स्रोत: द हिंदू

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