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शासन व्यवस्था

ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये सहायता अनुदान

  • 03 Sep 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये :

15वाँ वित्त आयोग, ग्रामीण स्थानीय निकाय, अनुदान, 73वाँ संविधान संशोधन

मेन्स के लिये :

ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये आवंटित सहायता अनुदान का महत्त्व

चर्चा में क्यों?    

हाल ही में वित्त मंत्रालय ने ग्रामीण स्थानीय निकायों (Rural Local Bodies-RLBs) को सहायता अनुदान प्रदान करने हेतु 25 राज्यों को 13,385.70 करोड़ रुपए की राशि जारी की है।

  • यह सहायता अनुदान वर्ष 2021-22 के बद्ध अनुदान (Tied Grants) की पहली किस्त है।
  • 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा के आधार पर यह अनुदान जारी किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • वित्त आयोग (FC) के अनुदान :
    • संघीय बजट स्थानीय निकायों को धन, राज्य आपदा राहत कोष प्रदान करता है और FC की सिफारिश पर करों के हस्तांतरण के बाद राज्यों के किसी भी राजस्व हानि की भरपाई करता है।
      • 73वें संविधान संशोधन, 1992 में केंद्र और राज्यों दोनों को पंचायती राज संस्थाओं को निधि, कार्य और पदाधिकारियों को सौंपकर स्वशासन की एक इकाई के रूप में विकसित करने में मदद करने की आवश्यकता है।
    • 15वें वित्त आयोग ने 2021-22 से 2025-26 की अवधि के दौरान पंचायतों को 'जल आपूर्ति और स्वच्छता' के लिये 1 लाख 42 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की राशि आवंटित करने की सिफारिश की है।
  • बद्ध बनाम खुला अनुदान : 
    • पंचायती राज ( Panchayati Raj) संस्थाओं के लिये आवंटित कुल सहायता अनुदान (grants) में से 60 प्रतिशत 'बंधन या बद्ध अनुदान' है। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तहत खुले में शौच मुक्त (ODF) स्थिति की स्वच्छता और रखरखाव में सुधार , पेयजल की आपूर्ति, वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण के लिये केंद्र द्वारा आवंटित धन के अलावा ग्रामीण स्थानीय निकायों को अतिरिक्त धन की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु बद्ध अनुदान प्रदान किया जाता है। 
    • शेष 40 प्रतिशत ‘अनटाइड या खुला ग्रांट‘ है और वेतन के भुगतान को छोड़कर, स्थान–विशिष्ट ज़रूरतों के लिये पंचायती राज संस्थानों के स्वविवेक पर इसका उपयोग किया जाता है।
  • संसाधनों का आवंटन : राज्यों को केंद्र सरकार से अनुदान प्राप्त होने के 10 कार्य दिवसों के भीतर ग्रामीण स्थानीय निकायों को अनुदान हस्तांतरित करना आवश्यक है। 
    • 10 कार्य दिवसों से अधिक समय लगने पर राज्य सरकारों को ब्याज सहित अनुदान जारी करने की आवश्यकता होती है।

वित्त आयोग (Finance Commission)

  • वित्त आयोग (FC) एक संवैधानिक निकाय है, जो केंद्र और राज्यों के बीच तथा राज्यों के मध्य संवैधानिक व्यवस्था एवं वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप कर से प्राप्त आय के वितरण के लिये विधि तथा सूत्र निर्धारित करता है।
  • संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत भारत के राष्ट्रपति को प्रत्येक पाँच वर्ष या उससे पहले एक वित्त आयोग का गठन करना आवश्यक है।
  • 15वें वित्त आयोग का गठन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नवंबर 2017 में एन.के. सिंह की अध्यक्षता में किया गया था। 
    • इसकी सिफारिशें वर्ष 2021-22 से वर्ष 2025-26 तक पाँच वर्ष की अवधि के लिये मान्य होंगी।

FC अनुदान का विभाजन:

  • ग्रामीण स्थानीय निकायों के लिये अनुदान: संविधान में परिकल्पित शासन का त्रिस्तरीय मॉडल ग्राम पंचायतों को स्पष्ट भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ प्रदान करता है।
    • FC की सिफारिशें यह सुनिश्चित करती हैं कि इन स्थानीय निकायों को पर्याप्त रूप से वित्तपोषित किया गया है।
    • वास्तव में केंद्रीय बजट में FC अनुदान का लगभग आधा ग्राम स्थानीय निकायों को जाता है।
  • शहरी स्थानीय निकायों के लिये अनुदान: ग्राम स्तर पर स्वशासन की इकाइयों के अलावा संविधान में शहरों को स्वशासन की इकाइयों के रूप में भी परिकल्पित किया गया है।
    • शहरी स्थानीय निकायों जैसे- नगर परिषदों को ग्रामीण स्थानीय निकायों और राज्यों को हस्तांतरण के बाद FC अनुदान का सबसे बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) को सहायता: केंद्र सरकार राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के वित्तपोषण के अलावा राज्य आपदा राहत कोष में भी धन मुहैया कराती है।
    • FC की सिफारिशों के अनुसार राज्य सरकार के आपदा राहत अधिकारियों को सहायता प्रदान की जाती है।
  • हस्तांतरण के बाद राजस्व घाटा अनुदान: केंद्र द्वारा एकत्र किये गए कुल राजस्व का लगभग एक-तिहाई हिस्सा विभाज्य पूल में उनके हिस्से के रूप में सीधे राज्यों को हस्तांतरित किया जाता है।
    • हालाँकि FC राज्यों द्वारा किये गए किसी भी नुकसान के मुआवज़े के लिये एक तंत्र भी प्रदान करता है, जिसे पोस्ट-डिवोल्यूशन राजस्व घाटा अनुदान कहा जाता है।
    • यह अनुदान स्थानीय ग्रामीण निकायों को सहायता के बाद FC हस्तांतरण का दूसरा सबसे बड़ा हिस्सा है।
  • FC अनुदान के तहत चार मुख्य हस्तांतरणों के अलावा केंद्र अपने स्वयं के संसाधनों से राज्यों और कमज़ोर समूहों को काफी राशि हस्तांतरित करता है।
    • उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और सिक्किम के लिये संसाधनों का केंद्रीय पूल
    • बाहरी सहायता प्राप्त परियोजना अनुदान
    • बाहरी सहायता प्राप्त परियोजना ऋण
    • उत्तर-पूर्व परिषद के लिये योजनाएँ
    • संविधान के अनुच्छेद 275(1) के तहत योजनाएँ
    • अनुसूचित जातियों को विशेष केंद्रीय सहायता तथा जनजातीय क्षेत्रों को विशेष केंद्रीय सहायता।

स्रोत: पी.आई.बी

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