इथेनॉल सम्मिश्रण | 10 May 2022
प्रिलिम्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण, जैव ईंधन, कच्चा तेल, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018 मेन्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
भारत में पेट्रोल में एथेनॉल सम्मिश्रण का स्तर 9.99% तक पहुंँच गया है।
इथेनॉल सम्मिश्रण:
- यह प्रमुख जैव ईंधनों में से एक है, जो प्रकृतिक रूप से खमीर अथवा एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा के किण्वन द्वारा उत्पन्न होता है।
- इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (EBP): इसका उद्देश्य कच्चे तेल के आयात पर देश की निर्भरता को कम करना, कार्बन उत्सर्जन में कटौती करना और किसानों की आय को बढ़ाना है।
- सम्मिश्रण लक्ष्य: भारत सरकार ने पेट्रोल में 20% इथेनॉल सम्मिश्रण (जिसे E20 भी कहा जाता है) के लक्ष्य को वर्ष 2030 से परिवर्तित कर वर्ष 2025 तक कर दिया है।
इथेनॉल सम्मिश्रण का महत्त्व:
- पेट्रोलियम पर कम निर्भरता:
- इथेनॉल को गैसोलीन में मिलाकर यह कार चलाने के लिये आवश्यक पेट्रोल की मात्रा को कम कर सकता है जिससे आयातित महंँगे और प्रदूषणकारी पेट्रोलियम पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
- आज भारत अपनी ज़रूरत का 85 फीसदी तेल आयात करता है।
- इथेनॉल को गैसोलीन में मिलाकर यह कार चलाने के लिये आवश्यक पेट्रोल की मात्रा को कम कर सकता है जिससे आयातित महंँगे और प्रदूषणकारी पेट्रोलियम पर निर्भरता को कम किया जा सकता है।
- पैसे की बचत/लागत में कमी:
- भारत का शुद्ध पेट्रोलियम आयात 2020-21 में 185 मिलियन टन था जिसकी लागत 551 बिलियन अमेरिकी डाॅलर थी।
- अधिकांश पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग परिवहन में किया जाता है, अतः E20 कार्यक्रम देश के लिये सालाना 4 बिलियन अमेरिकी डाॅलर बचा सकता है।
- कम प्रदूषण:
- इथेनॉल कम प्रदूषणकारी ईंधन है और पेट्रोल की तुलना में कम लागत पर समान दक्षता प्रदान करता है।
- अधिक कृषि योग्य भूमि की उपलब्धता, खाद्यान्न और गन्ने के बढ़ते उत्पादन के कारण अधिशेष, संयंत्र-आधारित स्रोतों से इथेनॉल का उत्पादन करने के लिये प्रौद्योगिकी की उपलब्धता तथा इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (EBP) के अनुरूप वाहनों को बनाने की व्यवहार्यता रोडमैप में उपयोग किये जाने वाले कुछ सहायक कारक हैं। E20 लक्ष्य "न केवल एक राष्ट्रीय अनिवार्यता है, बल्कि इसे एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक आवश्यकता" के रूप में संदर्भित किया गया है।
- इथेनॉल कम प्रदूषणकारी ईंधन है और पेट्रोल की तुलना में कम लागत पर समान दक्षता प्रदान करता है।
संबंधित मुद्दे:
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति:
- नया इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य मुख्य रूप से अनाज के अधिशेष और प्रौद्योगिकियों की व्यापक उपलब्धता के आलोक में खाद्य-आधारित कच्चे माल पर केंद्रित है।
- जैव ईंधन पर 2018 की राष्ट्रीय नीति का ब्लूप्रिंट इस क्रम में एक महत्त्वपूर्ण कदम है, जिसमें जैव ईंधन के उत्पादन के लिये घास ,शैवाल व खोई, खेत और वानिकी के अवशेष जैसी सेल्यूलोसिक सामग्री एवं चावल, गेहूँ और मकई से निकले भूसे जैसी वस्तुओं को प्राथमिकता दी गई थी।
- नया इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य मुख्य रूप से अनाज के अधिशेष और प्रौद्योगिकियों की व्यापक उपलब्धता के आलोक में खाद्य-आधारित कच्चे माल पर केंद्रित है।
- भुखमरी का खतरा:
- गरीबों के लिये दिया जाने वाला खाद्यान्न, आसवनियों(Distilleries) को उन कीमतों पर बेचा जा रहा है जिस कीमत पर राज्य अपने सार्वजनिक वितरण नेटवर्क के लिये भुगतान करते हैं।
- सब्सिडी वाले खाद्यान्न के लिये आसवनियों और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के बीच प्रतिस्पर्द्धा ग्रामीण क्षेत्र में गरीबों हेतु प्रतिकूल परिणाम उत्पन्न कर सकती है और उनके बीच भुखमरी के जोखिम को बढ़ा सकती है।
- विश्व भूख सूचकांक 2021 में भारत 116 देशों में 101वें स्थान पर है।
- गरीबों के लिये दिया जाने वाला खाद्यान्न, आसवनियों(Distilleries) को उन कीमतों पर बेचा जा रहा है जिस कीमत पर राज्य अपने सार्वजनिक वितरण नेटवर्क के लिये भुगतान करते हैं।
- लागत:
- जैव ईंधन के उत्पादन के लिये भूमि की आवश्यकता होती है, इससे जैव ईंधन की लागत के साथ-साथ खाद्य फसलों की लागत भी प्रभावित होती है।
- जल उपयोग:
- जैव ईंधन फसलों की उचित सिंचाई के साथ-साथ ईंधन के निर्माण के लिये भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है, जो स्थानीय और क्षेत्रीय जल संसाधनों को प्रभावित कर सकता है।
- दक्षता:
- जीवाश्म ईंधन कुछ जैव ईंधन की तुलना में अधिक ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। उदाहरण के लिये 1 गैलन इथेनॉल (जीवाश्म ईंधन), 1 गैलन गैसोलीन (जीवाश्म ईंधन) की तुलना में कम ऊर्जा पैदा करता है।
आगे की राह
- अपशिष्ट से इथेनॉल: भारत के पास टिकाऊ जैव ईंधन नीति में वैश्विक नेता बनने का एक वास्तविक अवसर है यदि वह अपशिष्ट से बने इथेनॉल पर फिर से ध्यान केंद्रित करना चाहता है।
- यह मज़बूत जलवायु और वायु गुणवत्ता दोनों में लाभ प्रदान करेगा क्योंकि वर्तमान में इन अपशिष्ट को अक्सर जलाया जाता है, जो स्मॉग का कारण बनता है।
- जल संकट: नई इथेनॉल नीति को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि यह किसानों को जल-गहन फसलों की ओर न ले जाए और देश के ऐसे क्षेत्रों में जल संकट पैदा न हो जहाँ इसकी पहले से ही गंभीर कमी है।
- गेहूँ के साथ-साथ चावल और गन्ने में भारत के सिंचाई जल का लगभग 80% का उपयोग होता है।
- फसल उत्पादन को प्राथमिकता देना: हमारे घटते भूजल संसाधनों, कृषि योग्य भूमि की कमी, अनिश्चित मानसून और जलवायु परिवर्तन के कारण फसल की पैदावार में गिरावट के साथ ईंधन के लिये फसलों पर खाद्य उत्पादन को प्राथमिकता दी जानी चाहिये।
- वैकल्पिक तंत्र:
- मुख्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये उत्सर्जन में कमी, वैकल्पिक तंत्र, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ाना, अतिरिक्त नवीकरणीय उत्पादन क्षमता की स्थापना, शून्य-उत्सर्जन रिचार्जिंग की अनुमति देना आदि का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।
विगत वर्षों के प्रश्न (पीवाईक्यू):प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a)
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