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भारतीय अर्थव्यवस्था

निर्यात और रियल एस्टेट सेक्टर के प्रोत्साहन हेतु प्रयास

  • 16 Sep 2019
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?

अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती से निपटने के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ नए उपायों की घोषणा की है।

  • सुस्ती से निपटने हेतु की गई इन घोषणाओं में निर्यात और रियल एस्टेट सेक्टर पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया है।
  • साथ ही वित्त मंत्री ने कहा है कि देश में मुद्रास्फीति की दर 4 प्रतिशत से कम बनी हुई है एवं निवेश दर में भी वृद्धि हुई है और उद्योग जगत में भी सुधार के संकेत दिखाई दे रहे हैं।

रियल एस्टेट संबंधी मुख्य घोषणाएँ

  • अधूरे पड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट्स को पूरा करने हेतु वित्तपोषण के लिये एक स्पेशल विंडो (Special Window) की व्यवस्था की जाएगी।
    • इस स्पेशल विंडो के लिये 10000 करोड़ रुपए की राशि का निवेश सरकार द्वारा किया जाएगा, जबकि इतनी ही राशि के निवेश की आशा अन्य निवेशकों जैसे- LIC, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश या FDI से की जा रही है।
    • उल्लेखनीय है कि इस फंड के तहत राशि केवल उन्ही परियोजनाओं को मिलेगी जो NPA या गैर-निष्पादित परिसंपत्ति और नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (National Company Law Tribunal-NCLT) के तहत नहीं आती हैं।
    • सरकार के इस कदम का उद्देश्य सस्ती और मध्यम-वर्ग से संबंधित आवासीय परियोजनाओं को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करना है। अनुमानतः इस योजना से लगभग 3.5 लाख घर खरीदारों को फायदा होगा।
  • रिज़र्व बैंक के परामर्श पर प्रधानमंत्री आवास योजना (Pradhan Mantri Awas Yojana-PMAY) के तहत घर खरीदारों को किफायती ऋण उपलब्ध कराने हेतु बाह्य वाणिज्यिक उधार (External Commercial Borrowing-ECB) से संबंधित नियमों में भी छूट दी जाएगी।
    • बाह्य वाणिज्यिक उधार: इसका अभिप्राय उस ऋण या उधार से होता है जो भारतीय कंपनी द्वारा किसी विदेशी कंपनी से लिया जाता है। इस प्रकार का ऋण भारतीय मुद्रा में भी हो सकता है एवं विदेशी मुद्रा में भी। ECB के माध्यम से कोई भी भारतीय कंपनी रियायती दर पर किसी विदेशी वित्तीय संस्थान से ऋण प्राप्त कर सकती है।
  • भवन निर्माण पर ऋण की ब्याज दरों को भी कम करने का प्रयास किया जाएगा।
    • वित्त मंत्री के अनुसार, सरकार के इस कदम से सरकारी कर्मचारियों को काफी फायदा मिलेगा, क्योंकि देश में घरों या आवासों की सर्वाधिक मांग उन्ही के द्वारा की जाती है।

निर्यात को बढ़ावा देने हेतु मुख्य घोषणाएँ

  • 1 जनवरी, 2020 से निर्यात किये जाने वाले उत्पादों को निर्यात शुल्क और कर में छूट (Remission of Duties or Taxes on Export Product-RoDTEP) देने के लिये योजना की शुरुआत की जाएगी, जो कि मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम (Merchandise Exports from India Scheme-MEIS) का स्थान लेगी।
    • वित्त मंत्री के अनुसार, इस योजना की अनुमानित लागत लगभग 50,000 करोड़ रुपए है।
  • वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax-GST) में इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credits-ITC) के लिये पूर्णतः स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक रिफंड मार्ग सितंबर 2019 से कार्यान्वित होगा।
  • मार्च 2020 में देश भर की 4 जगहों पर वार्षिक मेगा शॉपिंग फेस्टिवल का आयोजन।
  • निर्यात ऋण बीमा योजना (Export Credit Insurance Scheme-ECIS) के क्षेत्र का विस्तार किया जाएगा। निर्यात के लिये कार्यशील पूंजी देने वाले बैंकों को उच्च बीमा कवर प्रदान किया जाएगा, जिससे बैंकों को अधिक-से-अधिक सुरक्षा मिलेगी और वे निर्यातकों को अधिक ऋण प्रदान कर पाएंगे।
  • हस्तशिल्प कारीगरों और हस्तशिल्प सहकारी समितियों को ई-कॉमर्स पोर्टल से जोड़ा जाएगा, ताकि इस क्षेत्र को एक नया आयाम देकर निर्यात को बढ़ाया जा सके।

सुस्ती से निपटने का तीसरा प्रयास

  • उल्लेखनीय है कि उपरोक्त घोषणाएँ भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी की स्थिति से उबारने हेतु तीसरे चरण की घोषणाएँ हैं। इससे पूर्व भी बीते महीने वित्त मंत्री ने दो चरणों में भिन्न-भिन्न घोषणाएँ की थीं।
  • आर्थिक गति को बढ़ाने के पहले प्रयास में वित्त मंत्री ने घोषणा की थी कि घरेलू व विदेशी निवेशकों पर लगने वाले अधिभार (Surcharge) को समाप्त कर दिया जाएगा। पहले चरण में ऑटोमोबाइल सेक्टर की सहायता के लिये भी कई महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ की गई थीं।
  • इसी प्रकार दूसरे चरण में सरकार ने देश के 10 बैंकों का 4 बैंकों विलय में करने की घोषणा की थी। सरकार के इस कदम के परिणामस्वरूप देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की कुल संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है।

क्यों हो रहे हैं प्रयास?

  • हाल ही में वित्तीय वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही को लेकर कुछ आँकड़े जारी किये गए थे, जिनके अनुसार इस अवधि में देश की GDP वृद्धि दर 5.0 प्रतिशत पर पहुँच गई है।
  • ज्ञातव्य हो कि GDP वृद्धि की यह दर विगत 6 वर्षों में सबसे कम है। इससे पूर्व वर्ष 2012-13 की चौथी तिमाही में यह आँकड़ा सबसे कम 4.3 प्रतिशत पहुँचा था।
  • भारत में कमज़ोर आर्थिक स्थिति का सबसे अधिक प्रभाव ऑटोमोबाइल सेक्टर पर देखने को मिला है, जहाँ घरेलू यात्री वाहनों की बिक्री में कुल 31.57 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
  • हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund-IMF) ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से अधिक धीमी गति से विकास कर रही है।

स्रोत: पी.आई.बी

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