इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये बैटरी स्वैपिंग ड्राफ्ट पॉलिसी | 22 Apr 2022
प्रिलिम्स के लिये:बैटरी स्वैपिंग, नीति आयोग, ईवी प्रोत्साहन के लिये सरकारी योजनाएँ, मेन्स के लिये:इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये बैटरी स्वैपिंग नीति का मसौदा, वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के लिये बैटरी स्वैपिंग नीति का मसौदा जारी किया।
- नीति का उद्देश्य इलेक्ट्रिक स्कूटर और तिपहिया इलेक्ट्रिक रिक्शा के लिये बैटरी स्वैपिंग इकोसिस्टम की दक्षता में सुधार करना है, ताकि इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) को अपनाया जा सके।
- मसौदा नीति के अनुसार, पहले चरण के तहत बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क के विकास के लिये 40 लाख से अधिक आबादी वाले सभी महानगरीय शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी।
बैटरी स्वैपिंग क्या है?
- बैटरी स्वैपिंग एक ऐसा तंत्र है जिसके तहत चार्ज की गई बैटरी को चार्ज खत्म हो चुकी बैटरी (Discharged Batteries) से बदला जाता है।
- यह इन बैटरियों को अलग से चार्ज करने की सुविधा प्रदान करता है और नगण्य डाउनटाइम के साथ वाहन को परिचालन मोड में रखता है।
- बैटरी की अदला-बदली आमतौर पर छोटे वाहनों जैसे- दोपहिया और तीनपहिया वाहनों के लिये किया जाता है, जिनमें छोटी बैटरी इस्तेमाल होती है, साथ ही चार पहिया और ई-बसों की तुलना में स्वैप करना आसान होता है, हालाँकि इन बड़े वाहनों के लिये भी समाधान खोजा जा रहां है।
मसौदा नीति के मुख्य बिंदु:
- परिचय: मसौदा नीति के अनुसार, बैटरी की अदला-बदली बैटरी-एज़-ए-सर्विस (Battery-as-a-Service - BaaS) व्यवसाय मॉडल के अंतर्गत की जाएगी तथा ऐसे मॉडलों को वैकल्पिक रूप से बैटरी स्वैपिंग के लिये ईवीएस और बैटरी के बीच अंतर-संचालन सुनिश्चित करना होगा।
- उद्देश्य:
- न्यूनतम तकनीकी मानक: यह नीति बैटरी-स्वैपिंग बुनियादी ढाँचे के प्रभावी, कुशल, विश्वसनीय, सुरक्षित और ग्राहक-अनुकूल कार्यान्वयन को सक्षम बनाने के लिये बैटरी स्वैपिंग पारिस्थितिकी तंत्र हेतु आवश्यक न्यूनतम तकनीकी व परिचालन आवश्यकताओं को निर्धारित करती है।
- वित्तीय सहायता: बैटरी प्रदाताओं (बैटरी की लागत के लिये) और ईवी उपयोगकर्त्ताओं को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- कर को कम करना: मसौदा नीति में सुझाव दिया गया है कि वस्तु एवं सेवा कर परिषद लिथियम-आयन बैटरी और इलेक्ट्रिक वाहन आपूर्ति उपकरणों पर कर दरों में अंतर को कम करने पर विचार कर रही है।
- पूर्व में वर्तमान कर की दर 18% थी, जो बाद में 5% कर दी गई।
- विशिष्ट पहचान संख्या: नीति में विनिर्माण स्तर पर स्वैपेबल बैटरियों को ट्रैक तथा उनकी निगरानी करने हेतु एक विशिष्ट पहचान संख्या (UIN) प्रदान करने का भी प्रस्ताव है।
- नोडल एजेंसी: ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (Bureau of Energy Efficiency) केंद्रीय नोडल एजेंसी है, जो ईवी (EV) पब्लिक चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के रोलआउट तथा देश भर में बैटरी स्वैपिंग नेटवर्क के कार्यान्वयन के लिये ज़िम्मेदार होगी।
नीति की आवश्यकता क्यों है?
- EVs पारंपरिक रूप से "फिक्स्ड" बैटरी के साथ खरीदे जाते हैं जिन्हें केवल EV के भीतर रखे जाने पर बिजली का उपयोग करके चार्ज किया जा सकता है।
- पारंपरिक वाहनों के लिये ईंधन स्टेशनों की तरह बड़े पैमाने पर EV अपनाने के लिये पर्याप्त, किफायती, सुलभ और विश्वसनीय चार्जिंग नेटवर्क ज़रूरी है।
- भारत में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की उपलब्धता को बढ़ावा देने के लिये प्रयास किये जा रहे हैं।
- हालांँकि चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में अभी भी काफी समय लग सकता है और शहरी क्षेत्रों में जगह की कमी है।
- इसलिये भारत सरकार ने बजट भाषण 2022-23 में घोषणा की थी कि ईवी पारिस्थितिकी तंत्र दक्षता में सुधार हेतु केंद्रीय बैटरी स्वैपिंग नीति और इंटरऑपरेबिलिटी मानकों को पेश किया जाएगा।
नीति का महत्त्व:
- डीकार्बोनाइज़िंग ट्रांसपोर्ट सेक्टर: भारत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) का एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है, जिस पर भारत द्वारा वर्ष 2021 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- जनादेश के तहत भारत वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य लक्ष्य प्राप्त करने हेतु प्रतिबद्ध है।
- परिवहन को डीकार्बोनाइज़ करने हेतु इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के नेतृत्व में स्वच्छ गतिशीलता के लिये यह परिवर्तन आवश्यक है।
- सड़क परिवहन क्षेत्र कार्बन उत्सर्जन में प्रमुख योगदानकर्त्ताओं में से एक है और लगभग 33% पार्टिकुलेट मैटर का उत्सर्जन करता है।
- ईवी बाज़ार का लाभ उठाना: वर्ष 2021 में समग्र भारतीय ईवी बाज़ार 1,434.04 बिलियन अमेरिकी डाॅलर आंँका गया था तथा जिसके वर्ष 2027 तक 47.09% CAGR से बढ़कर 15,397.19 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने की उम्मीद है।
ईवी को बढ़ावा देने हेतु संबंधित सरकारी योजनाएंँ:
- सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों और हाइब्रिड वाहनों को बढ़ावा देने हेतु वर्ष 2015 में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को फेम-इंडिया (Faster Adoption and Manufacturing of Hybrid and Electric Vehicles-FAME) योजना शुरू की थी।
- इसके अलावा इसने वर्ष 2021 में एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (ACC) बैटरियों के निर्माण के लिये प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को भी मंज़ूरी दी गई।
- एक अन्य PLI योजना, जिसमें ईवी स्टार्टअप भी शामिल हैं, को भी बजटीय परिव्यय के साथ मोटर वाहन क्षेत्र हेतु अनुमोदित किया गया था।