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अनपेक्षित वाणिज्यिक संचार पर नियंत्रण

  • 05 Feb 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा  भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India-TRAI) को अनपेक्षित वाणिज्यिक संचार ( Unsolicited Commercial Communications- UCC) पर अंकुश लगाने हेतु न्यायालय द्वारा वर्ष 2018 में जारी किये गए विनियमन के ‘पूर्ण और सख्त’ कार्यान्वयन सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है।

  • UCC का अर्थ ऐसे किसी भी वाणिज्यिक संचार से है, जिसका चयन स्वयं ग्राहक द्वारा नहीं किया जाता है, हालाँकि इसके दायरे में ट्रांज़ेकशन संदेश और केंद्र या राज्य सरकार या उसके द्वारा अधिकृत एजेंसियों के निर्देश पर प्रेषित कोई भी संदेश शामिल नहीं होता है। 

प्रमुख बिंदु:

पृष्ठभूमि:

  • एक कंपनी द्वारा उच्च न्यायालय  में याचिका दायर की गई थी कि उसके लाखों ग्राहकों को मोबाइल नेटवर्क को लेकर फिशिंग गतिविधियों (Phishing Activities) और दूरसंचार कंपनियों की विफलता के कारण धोखा दिया गया है जिसे रोकने के लिये कंपनी की वित्तीय स्थिति तथा प्रतिष्ठित को नुकसान हुआ है।
    • कंपनी द्वारा यह दावा किया गया कि नियमों के तहत टेलीकॉम कंपनियों को अपने ग्राहक को डेटा तक पहुँच प्रदान करने से पहले उनके साथ पंजीकरण (जिसे पंजीकृत टेलीकॉम या RTMs कहा जाता है) की आवश्यकता होती है।
    • फिशिंग एक साइबर अपराध (Cybercrime) है जिसमें किसी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत रूप से ईमेल, टेलीफोन या संदेश द्वारा पहचान योग्य जानकारी, बैंकिंग और क्रेडिट कार्ड विवरण तथा पासवर्ड जैसे संवेदनशील डेटा प्रदान करने के लिये एक वैध संस्था के रूप में लक्षित से संपर्क किया जाता है।
    • याचिका में दलील दी गई कि टेलीकॉम कंपनियांँ अनचाही कमर्शियल कम्यूनिकेशन की समस्या पर अंकुश लगाने के लिये टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर प्रिवेंशंस रेगुलेशन (Telecom Commercial Communications Customer Preferences Regulations- TCCCPR) 2018 के तहत अपने दायित्वों का उल्लंघन कर रही हैं।

उच्च न्यायालयों का निर्देशन:

  • भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (TRAI) के लिये:  
    • UCC पर नियंत्रण स्थापित करने के लिये TRAI द्वारा वर्ष 2018 में जारी विनियमन का "पूर्ण और सख्त" कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए।
  • दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिये (TSPs): 
    • TRAI द्वारा जारी TCCCPR 2018 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

टेलीकॉम कमर्शियल कम्युनिकेशंस कस्टमर प्रिवेंशंस रेगुलेशन (TCCCPR) 2018

  • TCCCPR द्वारा दूरसंचार वाणिज्यिक संचार ग्राहक वरीयता विनियम, 2010 (Telecom Commercial Communications Customer Preference Regulations, 2010 को विस्थापित किया गया है ।
  • इसे  TRAI द्वारा भारत में 'अनपेक्षित वाणिज्यिक संचार' (UCC) को विनियमित करने के उद्देश्य से एक संशोधित नियामक ढांँचा प्रदान करने के उद्देश्य से जारी किया गया था।
  • नए नियामक ढांँचे ने प्रदाताओं तक पहुंँचने के लिये नियंत्रण और नियामक शक्तियों को विकसित किया है, जिन्हें अब UCC की समस्या से निपटने हेतु अपने स्वयं के कोड ऑफ प्रैक्टिस (Codes of Practice- CoPs) को स्थापित करने की आवश्यकता है।
  • यह ग्राहकों की प्राथमिकताओं की एक विस्तृत शृंखला प्रदान करता है, जिसे संचार को सुगम बनाने और प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सक्षम बनाने हेतु डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र टेक्नोलॉजी ( Distributed Ledger Technology- DLT) का उपयोग कर उचित समय पर लागू किया जाना है।
  • यह शिकायतों से निपटने के लिये क्लाउड-आधारित समाधानों का उपयोग, हेडर और प्रेफेरेंस के पंजीकरण तथा वाणिज्यिक संचार पारिस्थितिकी तंत्र में संस्थाओं के मध्य भूमिकाओं के स्वतः-आवंटन हेतु स्मार्ट अनुबंधों के उपयोग की सुविधा भी प्रदान करता है।
    • TRAI की देख-रेख में रेगुलेटरी सैंडबॉक्स (Regulatory Sandboxes) में प्रौद्योगिकी आधारित समाधानों का परीक्षण किया जाना आवश्यक है।

स्रोत: द हिंदू

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